HDFC Mutual Fund ने एक इक्विटी स्कीम लॉन्च की है। यह मल्टीनेशनल कंपनियों के इक्विटी से जुड़े इंस्ट्रूमेंट्स में इनवेस्ट करेगी। इस स्कीम का नाम HDFC MNC Fund है। यह ऐसी कंपनियों के शेयरों में निवेश करेगी जिसमें विदेशी प्रमोटर की शेयरहोल्डिंग 50 फीसदी से ज्यादा होगी। यह Nifty MNC Index में शामिल कंपनियों के शेयरों में भी इनवेस्ट करेगी। इस स्कीम के पोर्टफोलियो में 20 फीसदी ऐसी इंडियन कंपनियों के शेयरों का हिस्सा हो सकता है, जिनके कुल रेवेन्यू का कुछ हिस्सा विदेश से आता है।
कैसा रहा है प्रदर्शन?
वैल्यू रिसर्च के डेटा के मुताबिक, एमएनसी थिमैटिक फंडों ने 10 साल में 14.58 फीसदी, पांच साल में 6.84 फीसदी, तीन साल में 12.21 फीसदी और एक साल में 1 फीसदी औसत रिटर्न दिए हैं। HDFC MNC Fund छोटी-बड़ी मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली कंपनियों के शेयरों में निवेश करेगा। इसके पोर्टफोलियो में कुल 30 स्टॉक होंगे। इस स्कीम का बेंचमार्क Nifty MNC Index होगा।
किन सेक्टर की ज्यादा हिस्सेदारी?
Nifty MNC Index का करीब 70 फीसदी एलोकेशन तीन सेक्टर्स में हैं। इनमें एफएमसीजी, कैपिटल गुड्स और ऑटोमोबाइल एंड ऑटो कंपोनेंट्स शामिल हैं। इंडिया में एफएमसीजी कंपनियों के शेयरों में प्रीमियम पर कारोबार होता रहा है। निफ्टी एमएनसी इंडेक्स में एफएमसीजी की हिस्सेदारी (वेटेज) 40 फीसदी है।
फंड मैनेजर कौन है?
HDFC MNC Fund का प्रबंधन राहुल बजाज करेंगे। वह एचडीएफसी टॉप 100 और एचडीएफसी बिजनेस साइकिल फंड का प्रबंधन भी करते हैं। उन्हें इक्विटी रिसर्च और फंड मैनेजमेंट का 21 साल से ज्यादा अनुभव है। एमएनसी कंपनियों को काफी स्टेबल माना जाता है। इसकी वजह यह उनका कॉर्पोरेट गवर्नेंस अच्छा होता है। वे इनोवेशन पर फोकस करती हैं। उनकी बैलेंसशीट भी मजबूत होती है। Hindustan Unilever, Nestlé India, Colgate-Palmolive और Bata India प्रमुख एमएनसी कंपनियां हैं, जो लंबे समय से इंडियन मार्केट में मौजूद हैं।
क्या आपको निवेश करना चाहिए?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनवेस्टर्स को NFO से दूर रहना चाहिए। उन्हें सिर्फ ऐसी स्कीम में पैसे लगाने चाहिए जिनके परफॉर्मेंस का ट्रैक रिकॉर्ड हो। हालांकि, इस कैटेगरी में इनवेस्टर्स के लिए ज्यादा ऑप्शन उपलब्ध नहीं हैं। अभी ऐसी कुल 5 स्कीमें हैं, जिनमें से सिर्फ 3 का ट्रैक रिकॉर्ड 10 साल है। सिर्फ अनुभवी इनवेस्टर्स एमएनसी फंड में निवेश करे बारे में सोच सकते हैं। उनके पास ऐसे फंड में एंट्री और एग्जिट के बारे में फैसले लेने की काबिलियत होनी चाहिए।