Life in Space : हाल ही में भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) की 286 दिनों के बाद धरती पर सुरक्षित वापसी ने एक बार फिर अंतरिक्ष में जीवन के अनुभवों को लेकर चर्चा को हवा दी। इतने लंबे समय तक स्पेस (Space) में रहने के बाद शरीर पर क्या असर होता है और वहां जीवन कैसा होता है – ऐसे कई सवाल आम लोगों के मन में उठते हैं। इन्हीं सवालों के जवाब दिए हैं नासा (NASA) के पूर्व एस्ट्रोनॉट स्कॉट केली (Scott Kelly) ने, जिन्होंने अंतरिक्ष में लगातार 340 दिन गुजारे हैं।
स्कॉट केली, जो चार बार अंतरिक्ष यात्रा कर चुके हैं और जिनके नाम 520 से अधिक दिनों तक अंतरिक्ष में रहने का रिकॉर्ड है, ने न्यूज़ 18 (News18) के एक कार्यक्रम के दौरान अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS – International Space Station) में बिताए गए दिनों को लेकर अहम जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष में एक आम दिन कैसे शुरू होता है और क्या-क्या करना पड़ता है।
केली ने बताया कि स्पेस में दिन GMT (Greenwich Mean Time) के अनुसार चलता है। आमतौर पर सुबह 6 बजे उठना होता है। फिर रिसर्च, मेडिकल सैंपल इकट्ठा करना, नहाने जैसी गतिविधियां की जाती हैं। स्कॉट ने बताया, “हमें खुद को साफ करने के लिए वॉशक्लॉथ (Washcloth) का उपयोग करना होता है, क्योंकि वहां पानी से नहाना संभव नहीं होता। नाश्ता करने के बाद पूरा दिन विभिन्न रिसर्च कार्य, मशीनों की मरम्मत और हार्डवेयर की देखरेख में बीतता है।”
उन्होंने बताया कि स्पेस में एक्सरसाइज एक बहुत जरूरी हिस्सा होता है ताकि जीरो ग्रैविटी (Zero Gravity) के कारण मसल्स पर बुरा असर न पड़े। शाम के समय, लगभग 7 बजे, धरती पर मौजूद ग्राउंड कंट्रोल (Ground Control) के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस होती है जिसमें अगले दिन की योजना बनाई जाती है। इसके बाद रात का खाना और फिर आराम का समय आता है।
उन्होंने बताया कि स्पेस में क्रू मेंबर्स को हफ्ते में एक दिन की छुट्टी (Week Off) भी मिलती है। लेकिन ये छुट्टी कई बार स्पेसवॉक (Spacewalk) या रोबोटिक मिशन (Robotics Mission) जैसी अहम गतिविधियों के चलते टल भी सकती है। अधिकतर समय ISS में मरम्मत और रखरखाव का कार्य होता रहता है।
स्कॉट केली की ये बातें न सिर्फ स्पेस में जीवन को समझने में मदद करती हैं, बल्कि यह भी दिखाती हैं कि अंतरिक्ष में भी एक कठोर लेकिन नियमित दिनचर्या होती है। यह जानकारी भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों और युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।