Uniform Civil Code (UCC) : उत्तराखंड (Uttarakhand) ने देशभर में एक ऐतिहासिक मिसाल कायम करते हुए समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को आधिकारिक रूप से लागू कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने 27 जनवरी 2025 को देहरादून स्थित मुख्य सेवक सदन (Chief Sevak Sadan) में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में UCC पोर्टल और नियमावली का लोकार्पण किया।
"समानता और समरसता के नए युग का आरंभ !"
माँ गंगा की उद्गम स्थली देवभूमि उत्तराखण्ड से समानता की अविरल धारा प्रवाहित हो चुकी है। उत्तराखण्ड समान नागरिक संहिता कानून लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन चुका है।https://t.co/u9HOUEjK3c#UCCInUttarakhand pic.twitter.com/4aWKhMdMLq
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) January 27, 2025
UCC के लागू होने से क्या बदलेगा?
यूसीसी (UCC) के तहत उत्तराखंड में विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, सहवासी संबंध और इससे जुड़े अन्य विषयों के लिए एक समान कानून लागू किया जाएगा। यह कानून सभी धर्मों और समुदायों पर समान रूप से लागू होगा।
- विवाह योग्य आयु: सभी धर्मों के लिए पुरुषों और महिलाओं की विवाह योग्य आयु समान होगी।
- तलाक के प्रावधान: तलाक के लिए समान प्रक्रिया और आधार निर्धारित किए गए हैं।
- बहुविवाह और हलाला पर प्रतिबंध: बहुविवाह और हलाला जैसी प्रथाओं को पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है।
- उत्तराधिकार कानून: संपत्ति के अधिकार सभी नागरिकों के लिए समान होंगे।
UCC को लागू करने की प्रक्रिया
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करना भारतीय जनता पार्टी (BJP) का एक प्रमुख चुनावी वादा था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मार्च 2022 में सत्ता संभालने के तुरंत बाद इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी थी।
- विशेषज्ञ समिति का गठन: 27 मई 2022 को उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई (Ranjana Prakash Desai) की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया।
- विस्तृत रिपोर्ट: डेढ़ वर्ष की मेहनत के बाद विशेषज्ञ समिति ने फरवरी 2024 में चार खंडों में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
- विधानसभा में पारित: सात फरवरी 2024 को राज्य विधानसभा के विशेष सत्र में UCC विधेयक पारित किया गया।
- राष्ट्रपति की मंजूरी: मार्च 2024 में राष्ट्रपति द्वारा इसे मंजूरी दी गई।
यूसीसी के प्रभाव और उद्देश्य
समान नागरिक संहिता लागू करने का मुख्य उद्देश्य समाज में समानता और समरसता को बढ़ावा देना है। मुख्यमंत्री धामी ने इसे “नए युग की शुरुआत” करार दिया।
- सामाजिक समानता: यूसीसी सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करेगा, जिससे भेदभाव समाप्त होगा।
- धार्मिक सद्भाव: यह कदम समाज में धार्मिक विभाजन को कम करने और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने में मदद करेगा।
- महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा: महिलाओं को विवाह, तलाक और संपत्ति में समान अधिकार मिलेंगे।
UCC लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य
उत्तराखंड ने पूरे देश में पहली बार समान नागरिक संहिता को लागू किया है। इसे लेकर राज्य की जनता और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने सरकार की सराहना की है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “उत्तराखंड ने एक नई दिशा स्थापित की है, और हमारा प्रयास है कि अन्य राज्य भी इसे अपनाएं।”
विशेषज्ञों की राय
कानूनी विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया: विशेषज्ञों का मानना है कि यूसीसी समाज में कानूनी जटिलताओं को कम करेगा और न्यायपालिका पर दबाव घटाएगा।
सामाजिक संगठनों का समर्थन: महिला संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने UCC को लैंगिक समानता की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है।
विरोध के स्वर: कुछ धार्मिक समूहों ने इस कानून को लेकर आपत्ति जताई है, लेकिन सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि UCC किसी धर्म के खिलाफ नहीं है।
यूसीसी एक क्रांतिकारी कदम
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का लागू होना देश के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल समाज में समानता और न्याय को बढ़ावा देगा, बल्कि अन्य राज्यों को भी प्रेरित करेगा।
आप UCC पर क्या सोचते हैं? अपनी राय नीचे कमेंट में जरूर साझा करें!