1984 Anti-Sikh Riots के एक और मामले में कांग्रेस (Congress) के पूर्व नेता सज्जन कुमार (Sajjan Kumar) को दोषी करार दिया गया है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) ने उन्हें सरस्वती विहार (Saraswati Vihar) इलाके में एक सिख पिता-पुत्र की हत्या और उनके घर को आग लगाने का दोषी पाया है।
कोर्ट अब 18 फरवरी को उनकी सजा पर बहस करेगी। इससे पहले, सज्जन कुमार एक अन्य केस में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं और पिछले छह साल से जेल में हैं।
क्या है पूरा मामला?
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की हत्या के बाद 1984 में दिल्ली में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे। हजारों निर्दोष सिखों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। 1 नवंबर 1984 को सरस्वती विहार (Saraswati Vihar) इलाके में भीड़ ने जसवंत सिंह (Jaswant Singh) और उनके बेटे तरुणदीप सिंह (Tarundeep Singh) को बेरहमी से मार डाला और फिर उनके घर को आग के हवाले कर दिया।
इस मामले में पहले पंजाबी बाग पुलिस स्टेशन (Punjabi Bagh Police Station) में केस दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में इसे विशेष जांच टीम (SIT) को सौंप दिया गया। 16 दिसंबर 2021 को कोर्ट ने सज्जन कुमार पर आरोप तय किए थे और अब 2024 में उन्हें दोषी करार दिया गया है।
कैसे दोषी पाए गए सज्जन कुमार?
अभियोजन पक्ष ने अदालत में तर्क दिया कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हथियारों से लैस भीड़ ने सिखों के खिलाफ बदला लेने के नाम पर लूटपाट, आगजनी और हत्याएं कीं। शिकायतकर्ता के घर पर भीड़ ने हमला किया, पिता-बेटे की हत्या की और फिर घर को जला दिया।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सज्जन कुमार सिर्फ दंगों में शामिल ही नहीं थे, बल्कि भीड़ का नेतृत्व भी कर रहे थे। इसके पहले भी उन्हें 2018 में एक अन्य दंगा मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी और वह फिलहाल तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में बंद हैं।
1984 दंगों में सज्जन कुमार की अब तक की सजा
- 2018 में उम्रकैद की सजा – दिल्ली कैंट (Delhi Cantt) में 5 सिखों की हत्या के मामले में दोषी करार।
- अब नया दोष सिद्ध हुआ – सरस्वती विहार केस में बाप-बेटे की हत्या और आगजनी का दोषी।
- 18 फरवरी को सजा तय होगी – कोर्ट उनकी सजा पर अंतिम फैसला लेगी।
41 साल बाद इंसाफ, लेकिन अभी भी कई केस बाकी
1984 सिख विरोधी दंगे भारत के इतिहास का एक काला अध्याय हैं, जिनमें हजारों निर्दोष सिखों की हत्या कर दी गई थी। हालांकि, इन मामलों में न्याय मिलने में दशकों लग गए।
अब जबकि सज्जन कुमार को एक और मामले में दोषी ठहराया गया है, यह उन सिख परिवारों के लिए एक बड़ी राहत है जो सालों से न्याय की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन अभी भी 1984 दंगों से जुड़े कई केस लंबित हैं, जिनका निपटारा होना बाकी है।