Prevention of Money Laundering Act (PMLA) के दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate – ED) को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने बुधवार (12 फरवरी) को छत्तीसगढ़ शराब घोटाले (Chhattisgarh Liquor Scam) में फंसे एक IAS अधिकारी को जमानत देते हुए कहा कि PMLA का मतलब यह नहीं कि किसी भी बहाने किसी आरोपी को लंबे समय तक जेल में बंद रखा जाए।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अभय एस ओका (Justice Abhay S Oka) और जस्टिस उज्ज्वल भुयान (Justice Ujjal Bhuyan) की बेंच ने यह टिप्पणी सुनवाई के दौरान की। कोर्ट ने कहा कि आरोपी 8 अगस्त 2024 से हिरासत में है, जबकि हाई कोर्ट (High Court) ने शिकायत पर संज्ञान लेते हुए निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया था।
SC ने ED को क्यों लगाई फटकार?
सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय एस ओका ने ED के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा,“PMLA की अवधारणा यह नहीं हो सकती कि किसी आरोपी को किसी भी बहाने जेल में रखा जाए। अगर यही चलता रहा तो यह एक गंभीर मामला बन जाएगा।”
कोर्ट ने ED के इस रुख की तुलना 498A IPC (दहेज उत्पीड़न) के मामलों से की, जहां अक्सर झूठे मामलों में आरोपियों को फंसाने की शिकायतें मिलती हैं।
IAS अधिकारी को सुप्रीम कोर्ट से राहत क्यों मिली?
- हाई कोर्ट ने संज्ञान आदेश को रद्द कर दिया था।
- आरोपी 8 अगस्त 2024 से हिरासत में था, लेकिन सुनवाई में देरी हो रही थी।
- कोर्ट ने माना कि ED आरोपी को अनावश्यक रूप से जेल में रखे हुए थी।
ED का तर्क और सुप्रीम कोर्ट का जवाब
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एस. राजू ने ED की ओर से कोर्ट को बताया कि हाई कोर्ट ने संज्ञान का आदेश सिर्फ इस आधार पर रद्द किया था कि सरकार से मंजूरी नहीं ली गई थी, ना कि इसलिए कि कोई अपराध नहीं हुआ।
इस पर जस्टिस ओका ने दो टूक जवाब दिया “हम आपको संकेत दे रहे हैं कि आरोपी 8 अगस्त 2024 से हिरासत में है। अब संज्ञान आदेश रद्द होने के बावजूद व्यक्ति जेल में है, यह कहां तक सही है?”
इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को तुरंत जमानत देने का आदेश दिया।
SC का बड़ा संदेश – ‘PMLA का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं’
सुप्रीम कोर्ट ने अपने जमानत आदेश में साफ कहा कि, अगर जमानत की शर्तों का उल्लंघन होता है, तो अधिकारी जमानत रद्द करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। PMLA कानून का इस्तेमाल केवल सच्चे मामलों में ही होना चाहिए।
क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला (Chhattisgarh Liquor Scam) एक हाई-प्रोफाइल मनी लॉन्ड्रिंग केस है, जिसमें राज्य के कई बड़े अधिकारी और व्यापारी शामिल हैं। ED ने दावा किया था कि करोड़ों रुपये की अवैध शराब बिक्री हुई, जिससे सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान हुआ।
लेकिन इस मामले में IAS अधिकारी की गिरफ्तारी को लेकर सवाल उठाए गए थे, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अब ED को कड़ी चेतावनी दी है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला PMLA के तहत की जा रही अनावश्यक गिरफ्तारियों पर एक अहम संदेश है। कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि ED मनमाने ढंग से किसी आरोपी को लंबे समय तक जेल में नहीं रख सकता।
अब सवाल यह उठता है कि क्या भविष्य में ED के काम करने के तरीके में बदलाव आएगा?