दिल्ली हाई कोर्ट ने स्पाइसजेट मामले में कलानिधि मारन के पक्ष में आर्बिट्रेशन के फैसले को सही ठहराया है। इसके साथ ही, इस मामले में आर्बिट्रेशन के फैसले को लागू करने का रास्ता साफ हो गया है। आर्बिट्रेशन के फैसले में स्पाइसजेट और उसके तत्कालीन सीएमडी (CMD)अजय सिंह को निर्देश दिया गया था कि वे काल एयरवेज (Kal Airways) और कलानिधि मारन को 270 करोड़ रुपये लौटएं। इस पर स्पाइसजेट को आपत्ति थी। स्पाइसजेट ने हाई कोर्ट से वारंट्स पर लगने वाले 12 पर्सेंट ब्याज और रिफंड की राशि पर 18 पर्सेंट ब्याज भुगतान के फैसले को भी वापस लेने की मांग की थी।
इस फैसले को लागू करने से जुड़ी कार्यवाही को लेकर एक और मामला दिल्ली हाई कोर्ट की दूसरी बेंच के सामने पेंडिंग है। इसकी सुनवाई 5 सितंबर को हो सकती है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 7 जुलाई को कहा था कि आर्बिट्रेशन का फैसला लागू करने योग्य है, क्योंकि स्पाइसजेट ने मारन को भुगतान करने के मामले में समयसीमा का पालन नहीं किया था। सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2023 में इस मामले में स्पाइसजेट की 270 करोड़ की बैंक गारंटी को भुनाने का निर्देश दिया था और एयरलाइन को तीन महीने के भीतर ब्याज के तौर पर 75 करोड़ रुपये देने को भी कहा था।
क्या था मामला
मारन और काल एयरवेज ने फरवरी 2015 में स्पाइसजेट और चेयमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर (CMD) अजय सिंह को अपनी 58.46 पर्सेंट हिस्सेदारी ट्रांसफर की थी। स्पाइसजेट के को-फाउंडर सिंह ने एयरलाइन की 1,500 करोड़ की लाइबिलिटी को भी लिया था।
मारन और काल एयरवेज का कहना है कि समझौते के मुताबिक उन्होंने वारंट्स और प्रेफरेंस शेयर जारी करने के लिए स्पाइसजेट को 679 करोड़ रुपये दिए। हालांकि, मारन का आरोप है कि वारंट्स और प्रेफरेंस शेयर आवंटित नहीं किए गए।
इस मामले में मारन ने स्पाइसजेट और अजय सिंह के खिलाफ आर्बिट्रेशन में मामला दर्ज किया। आर्बिट्रेशन पैनल ने जुलाई 2018 में मारन के 1,323 करोड़ रुपये के हर्जाने के दावे को खारिज कर दिया। हालांकि, स्पाइसजेट को 579 करोड़ रुपये के रिफंड और ब्याज भुगतान का निर्देश दिया। स्पाइसजेट को 329 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी देने और 250 रुपये कैश के तौर पर जमा करने को कहा गया था।