मुंबई: भारतवर्ष हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाता है। क्योंकि इसी दिन सन् 1947 को हमारा देश अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हुआ था। तब से हर साल पूरा देश इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाता आ रहा है। लेकिन आपको ये जानकार हैरानी होगी कि 1947 से पहले भारत में 15 अगस्त नहीं बल्कि 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाया करता था। आइये जानते हैं क्या थी इसकी वजह?
26 को स्वतंत्रता दिवस मनाने का लिया निर्णय
31 दिसंबर, 1929 को पं. जवाहर लाल नेहरू ने रावी नदी के तट पर लाहौर अधिवेशन में हिस्सा लिया था और सबसे पहले तिरंगा वहीं फहराया था। 31 दिसंबर,1929 को रात के 12 बजे जवाहरलाल नेहरू ने अपार जनसमूह के बीच रावी नदी के तट पर तिरंगा झंडा फहराया। इस अवसर पर पं. नेहरू ने कहा था कि, ‘अब ब्रिटिश सत्ता के सामने और अधिक झुकना मनुष्य और ईश्वर दोनों के खिलाफ अपराध है।’ अधिवेशन में पहला स्वतंत्रता दिवस 26 जनवरी, 1930 को मनाने का निर्णय लिया गया और इसी दौरान उन्होंने सबसे पहले आजादी के लिए 26 जनवरी की तारीख का ऐलान कर दिया था।
स्वतंत्रता की तारीख का ऐलान कर अंग्रेजों पर बनाया दबाव
26 जनवरी सन् 1930 को संपूर्ण स्वराज मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया और अंग्रेजों पर दबाव बनाने के लिए 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा की गई। यह सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक देश को आजादी नहीं मिली। दरअसल ये एक प्रतीकात्मक संदेश था, जिससे ना केवल अंग्रेजों पर मनोवैज्ञानिक दबाव पड़ा, बल्कि भारतीय जनमानस में आजादी की चेतना का संचार शुरू हो गया।
26 को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाने का संकल्प
15 अगस्त, 1947 को जब हमारा देश आजाद हुआ तब भी 26 जनवरी की महत्ता कम नहीं हुई। क्योंकि इसी दिन देश ने पूर्ण स्वतंत्रता का संकल्प लिया था। इसलिए इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाने का संकल्प लिया गया। भारत हर वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस और 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाता है।