जहाँ जिस्म ने लड़ने से पहले ही हार मान लिया हो वहा असंभव को संभव कर भाग्य से भिड़, शरीर को साध, जीत के सांचे से सोना चांदी कांसे के तगमे गढ़ने के हुनर के दम पर ही जांबाज़ जिंदगी से जीत मेडल बटोर लाए। किसी की बाजू कट गई थी, तो किसी के पैरों में खड़े होने का हौसला गंवा दिया था, किसी की कमर टूट गई थी तो किसी की उम्मीदों को पोलियो पी गया था… हारे शरीर में जीतने का साहस समेट सफलता का परचम लहराना इतना सरल ना था, पर इतिहास तो वही बनाते हैं जो संघर्ष में तप, साधना में रम, संयम से सीख सफलता को चूम लेते हैं। टोक्यो में दुनिया के पैरा ओलंपिअन का मेला लगा जिंदगी में जिस्म की मजबूरी पर इरादों की मजबूती लिए तिरंगे के मान को बढ़ाने भारतीय दल भी इस खेल रण में जा भिड़ा लड़ाकुओं की बानगी मेडलो के रंग और संख्या बताने को प्रयाप्त है कि मुश्किल युद्ध में गौरव गाथा कैसे लिखी जाती है। इन जांबाजो की जीतने की जिद्द ने हार को बार बार कई बार हराया, इतनी बार हारी हार कि मेडल बरसने लगे इन सोने चांदी के रंग की तगमो की बरसात ने हिंदुस्तान में उत्साह की तरंग बहा दी।
सुहास बुद्धि की पराकाष्ठा, सेवा में सर्वोच्च, साधना की प्रतिमूर्ति, संयम सरलता के स्वामी गौतम बुध नगर के जिलाधिकारी हैं। सोने से चूक चांदी लूट लाये, बैडमिंटन प्रतियोगिता में भारत की अभिलाषा को चांदी के तगमे में समेट लाने वाले सुहास देश के पहले आईएएस अधिकारी बनने का गर्व टोक्यो की जमीं से भारत साथ ले आये। जिन्होंने ओलंपिक पदक वतन के नाम किया। टखने के विकार के बावजूद कभी हार ना मानने वाले सुहास करोड़ों हिंदुस्तानियों की जीत की जीती जागती मिसाल हैं जो मुरझाए मन की उम्मीद को फुहार दे जीतने का फूल खिलाते रहेंगे। सोने से चूक गए पर सोने वाले करोड़ों हिंदुस्तानियों को जगाने जीत बटोर लाने का गीत बन सदा सदा प्रेरित करते रहेंगे।
टोक्यो में टकराने वाले भारतीय खिलाड़ियों ने गीत का जो गीत गाया वह गूंज रहा है गांव-गांव, गली-गली महानता को महानतम, जीत को यादगार, संघर्ष को गौरवान्वित, साहस को मुकाम देने वाले इन सितारों ने मेडल की बरसात कर दी। पांच सोना आठ चांदी और छ: कांसे के तगमे मां भारती के जांबाज टोक्यो जापान से जीत लाए। यह अद्भुत, अनुकरणीय, वंदनीय साधना का प्रसाद है जहाँ जिस्म अधूरा, साहस पूरा वरदान बन सागर सम उत्साह के हिलोरे ले रहा है।
महज ग्यारह साल की उम्र थी अवनी लेखरा की एक सड़क हादसे में रीड़ की हड्डी टूट गई पैर नाकाम हो खड़े होने की हिम्मत न जुटा सका। फिर क्या कामयाबी की राह अवनी ने राइफल के दम पर तलाशी राइफल का सटीक निशाना सोने पर साध अवनी ने देश के नाम गोल्ड कर दिया।
एक ऐसे ही हादसे में सुमित अंतिल ने बांया पैर गंवा दिया एक पैर से ही दौड़ सुमित ने भाला इतनी दूर फेंका कि दुनिया दंग देखती रह गई और सोना हिंदुस्तान का हो गया। पिस्टल का ट्रिगर दबा गोली सोने पर दागने वाले मनीष अग्रवाल एक हाथ से लाचार हैं, पर ज़िद्द सोने से कम नहीं, इस जुनून के दम पर सोना भेद स्वर्णवीर बने। बैडमिंटन में दुनिया को घुटने टीका सोना अपने नाम करने वाले प्रमोद भगत को पांच साल की उम्र में पोलियो हो गया था, लकवा पैर खराब कर सकता था कर भी दिया पर उनके साहस को न छू सकता था न छू पाया। एक लाइलाज बीमारी ने कृष्णा नागर का कद दबा दिया, छोटे कद को कृष्णा ने परिश्रम की पराकाष्ठा से इतना बड़ा, इतना ऊंचा बना दिया कि कृष्णा की सुनहरी जीत से तिरंगा आसमान में लहरा दिया गया, सात समुंदर पार जन गण मन बज उठा, हिंदुस्तान खिल उठा।
कुल 54 खिलाड़ी इस बार तिरंगा ले टोक्यो के रण में टकराए, जिसमें से पांच ने सुनहरे सोने को गले लगाया। तो वहीं भविना बेन ने टेबल टेनिस, निषाद कुमार ने ऊंची कूद, देवेंद्र झाझरिया ने भाला फेंक, योगेश ने डिस्कस थ्रो, प्रवीण कुमार ने ऊंची कूद, सिंह राज ने शूटिंग, मरियप्पन ने ऊंची कूद और आईएएस सुहास ने बैडमिंटन में चांदी की चमक वतन के नाम की। कांसा जीतने वालों में सुंदर सिंह गुर्जर ने भाला फेंक, सिंहराज ने दूसरा मेडल शूटिंग में, शरद कुमार ऊंची कूद, अवनि लखेरा ने दूसरी सफलता शूटिंग, हरविंदर सिंह तीरंदाजी और मनोज सरकार ने बैडमिंटन में जीता।
54 खिलाड़ियों की टीम ने 19 पदक अपने नाम कर लिए, जो साहस शौर्य सफलता का शिखर है जिसे आज तक इससे पहले भारत कभी छू नहीं पाया था।इस जीत ने हमें उस मुकाम पर पहुंचा दिया जो ख्वाब बन सदियों से आँखों में समाया था। साहस, प्रतिभा, लगन, संघर्ष के इन महावीरों ने सिद्ध कर दिखाया कि हौसला है तो मंजिल कदम चूमेगी ही। यह बिना पांव के जीत की छाती पर ऐसा निशान है जो इतिहास के पन्नों से मिटाए नहीं मिटेगा, यह बिना बाजू के मेडल को छीन लाने का साहस है शौर्य बन जो सूरज की भांति सदा चमकता ही रहेगा, यह हौसले की जीत, हिम्मत की आराधना, साहस का दम, जीत का गीत, सफलता की वो अमिट गौरव गाथा है जो हम भारतीयों को सदा सदा प्रेरित करती रहेगी। यह हकीकत दास्तां बन सुनाई जाती ही रहेगी जिस्म अधूरा, साहस पूरा… मेडल की बरसात।