The News Air- आज सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन डॉलर के मुक़ाबले रुपए (Dollar Vs Rupee) में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। जिसकी वजह से रुपए के मुक़ाबले डॉलर 76 रुपए के काफ़ी नज़दीक पहुंच गया है। इस गिरावट के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। जिसमें क्रूड ऑयल में तेज़ी (Crude Oil Price), अमरीकी ट्रेजरी यील्ड में इज़ाफा, डॉलर इंडेक्स में मज़बूती, विदेशी निवेशकों की मुनाफावसूली आदि शामिल हैं। आइए आपको भी बताते हैं कि आख़िर रुपया किस लेवल पर कारोबार कर रहा है। इस पर आम लोगों की ज़िंदगी पर क्या प्रभाव पड़ेगा और वो 9 कौन कौन से है जिसकी वजह से रुपये में गिरावट देखने को मिल रही है।
पाकिस्तान ही नहीं बल्कि रुपये में भी है गिरावट
बीते कुछ समय से पाकिस्तानी रुपए के गिरावट की काफ़ी बाते हो रही हैं। भारतीय मीडिया में पाकिस्तानी रुपया के रिकॉर्ड लो लेवल पर गिरने की ख़बरें आ रही हैं। वहीं दूसरी ओर भारतीय रुपये के गिरने की शुरूआत हो चुकी है। आज भारतीय रुपए में 11 महीने की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है। जिसकी वजह से भारतीय रुपया 75.9600 रुपए पर पहुंच गया। आंकड़ों की बात करें तो भारतीय रुपए की शुरुआत गिरावट के साथ 75.7075 रुपए के साथ हुई थी। जोकि 75.9600 रुपए के साथ उच्चतम स्तर के साथ हुई। एक दिन पहले डॉलर के मुक़ाबले रुपया 75.6975 रुपए पर बंद हुआ था। मौजूदा समय में दोपहर 2 बजकर 10 मिनट पर रुपया 23 पैसे की गिरावट के साथ 75.9300 रुपए पर कारोबार कर रहा है।
रुपया में आई गिरावट के कारण
- यूएस ट्रेजरी यील्ड के एक साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचने रुपए में गिरावट देखने को मिली है।
- अमरीकी डॉलर की मज़बूती से रुपए में गिरावट आई है।
- 18 नवंबर से एफआईआई ने 5 अरब डॉलर मूल्य की शुद्ध बिक्री की है।
- विदेशी निवेशकों ने साल के अंत से पहले मुनाफावसूली करना शुरू कर दिया है।
- वैश्विक बाज़ार में कच्चे तेल की तेज़ उछाल भी रुपए के गिरने का कारण है।
- यूएस फेड ने अपनी आसान मुद्रा नीति वापस ले ली और दरों को सख़्त करने की ओर क़दम बढ़ा दिए हैं।
- यूएस फेड महंगाई पर लगाम लगाने के लिए तैयार हो गया है, जिससे डॉलर में मज़बूती आई है।
- रिकॉर्ड व्यापार घाटा रुपए की गिरावट का अहम कारण बना हुआ है।
- इकोनॉमी पर ओमाइक्रोन तनाव के प्रभाव पर अनिश्चितता से भी रुपया कमज़ोर पड़ रहा है।
रुपए के गिरने से आम जनता की ज़ेब पर असर
विदेशी सामान होगा महंगा हो जाएगा। इंपोर्ट होने वाले सामान पर भारत को ज़्यादा डॉलर ख़र्च होंगे। जिससे उनकी क़ीमत में उछाल देखने को मिलेगा। भारत में इंपोर्टेड सामान का काफ़ी क्रेज है। जिसमें घड़ियां, जूते, परफ्यूम , कपड़े आदि हैं।
विदेश में पढ़ाई करना महंगा होगा। दुनियाभर की यूनिर्वसटिीज में भारतीय स्टू डेंट्स पढ़ाई करने के जाते हैं। ऐसे में उनके पेरेंट्स में फ़ीस से लेकर रहने तक के लिए ज़्यादा डॉलर ख़र्च करने होंगे। जोकि काफ़ी एक्सपेंसिव हो जाएगा।
पेट्रोल और डीज़ल की क़ीमत पर असर देखने को मिलेगा। भारत 80 फ़ीसदी क्रूड ऑयल इंपोर्ट करता है। जिसके लिए उसे अब ज्या दा रुपया ख़र्च करना होगा। वैसे भी क्रूड ऑयल पहले से ही महंगा हो रहा है। ऐसे में भारत पर डबल मतार पड़ेगी। जिसकी वजह से पेट्रोल और डीज़ल की क़ीमत में इज़ाफा देखने को मिल सकता है।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट के फेयर पर असर पड़ता हुआ दिखाई देगा। डीज़ल के दाम में इज़ाफा होने के बाद पब्लिक ट्रांसपोर्ट के फेयर में इज़ाफा देखने को मिलता है। वहीं आज भी देश में ट्रेनें डीज़ल से ही चल रही हैं। जिसका असर फेयर पड़ना तय है।
फल और सब्जी यों की क़ीमत में पर असर देखने को मिलेगा। वास्तव में देश में फल और सब्िसकायों की क़ीमत पर ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट एड किया जाता है। जब ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट में इज़ाफा होता है तो फल और सब्िफेययों के साथ दूसरे सामानों में भी तेज़ी आ जाती है।