नई दिल्ली: टीवी न्यूज चैनलों की निगरानी के लिए मौजूदा स्व-नियमन तंत्र में खामी से सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। मौजूदा स्व-नियमन तंत्र में खामी का उल्लेख करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह इसे अधिक प्रभावी बनाना चाहता है। साथ ही इस मामले में शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से उसकी प्रतिक्रिया मांगी है।
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में हुई थी अनियंत्रिता
बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले मीडिया कवरेज में अनियंत्रिता का मामला सामने आया था। सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि वह मीडिया कवरेज की अनियंत्रता को लेकर दिशा-निर्देश जारी करेगा।
मीडिया ट्रायल अदालत की अवमानना
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि स्व-नियमन तंत्र के उल्लंघन के लिए टीवी समाचार चैनल पर अधिकतम जुर्माना केवल एक लाख रुपये लगाया जा सकता है, जो 2008 में तय किया गया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि मीडिया ट्रायल अदालत की अवमानना है। इसने प्रेस से आग्रह किया कि वह लक्ष्मण रेखा को पार न करे। हाई कोर्ट ने कुछ समाचार चैनलों द्वारा अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की कवरेज को अवमाननापूर्ण माना।
मीडिया पर सेंसरशिप लागू नहीं करना चाहती सुप्रीम कोर्ट
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि वह मीडिया पर कोई सेंसरशिप लागू नहीं करना चाहती। हालांकि शीर्ष अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि समाचार चैनलों के लिए स्व-नियमन तंत्र प्रभावी होना चाहिए। कहा कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की कवरेज के दौरान कुछ चैनल अनियंत्रित हो गए थे।