Chief Election Commissioner (CEC) और Election Commissioners (EC) की नियुक्ति को लेकर उठे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला 19 मार्च तक के लिए टाल दिया गया है और इस तिथि से पहले सुनवाई संभव नहीं होगी।
यह मामला मंगलवार को तीन बार सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा गया—पहली बार सुबह 10:30 बजे, दूसरी बार दोपहर 2 बजे और तीसरी बार शाम 3 बजे। हालांकि, तीनों बार कोर्ट ने याचिका पर तुरंत सुनवाई करने से इनकार कर दिया।
जब याचिकाकर्ताओं ने इस मामले को “असाधारण” बताते हुए प्राथमिकता देने की अपील की, तो कोर्ट ने कहा कि उसके लिए सभी मामले महत्वपूर्ण होते हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) ने जोर देकर कहा कि केंद्र सरकार ने संविधान पीठ (Constitution Bench) के फैसले का “मज़ाक” बना दिया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया।
क्या है विवाद?
इस मामले की जड़ में 2023 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा दिया गया एक अहम फैसला है, जिसमें निर्देश दिया गया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) की नियुक्ति एक चयन समिति द्वारा की जाएगी, जिसमें देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भी शामिल होंगे।
लेकिन केंद्र सरकार ने इस निर्णय को संशोधित कर दिया और CEC व EC की नियुक्ति के लिए बनी समिति से मुख्य न्यायाधीश (CJI) को हटा दिया। वर्तमान में यह समिति तीन सदस्यों वाली है:
- प्रधानमंत्री (PM) – अध्यक्ष
- एक कैबिनेट मंत्री (वर्तमान में गृह मंत्री अमित शाह) – सदस्य
- लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष – सदस्य
पहले इस समिति में कैबिनेट मंत्री की जगह भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) होते थे, लेकिन 2023 में सरकार ने समिति की संरचना में बदलाव किया। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि सरकार ने इस बदलाव से सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया।
कौन-कौन सी याचिकाएं दायर हुई हैं?
इस मामले में कई याचिकाएं एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (Association for Democratic Reforms – ADR) और अन्य संगठनों द्वारा दायर की गई हैं। इन याचिकाओं में सरकार पर आरोप लगाया गया है कि उसने संविधान पीठ के आदेशों की अनदेखी की है और चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाला कानून लागू किया है।
याचिका में मांग की गई है कि चुनाव आयोग (Election Commission of India – ECI) की नियुक्तियों को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले की जल्द सुनवाई की तारीख देगा, लेकिन 19 मार्च से पहले इसकी सुनवाई नहीं होगी। जब याचिकाकर्ताओं ने इसपर आपत्ति जताई, तो कोर्ट ने कहा कि “हम जल्द ही उचित तारीख तय करेंगे।”
सरकार की सफाई
सरकार की ओर से दलील दी गई कि नया कानून पूरी तरह से संवैधानिक है और चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर कोई खतरा नहीं है। केंद्र सरकार का कहना है कि प्रधानमंत्री, एक कैबिनेट मंत्री और विपक्ष के नेता की समिति एक संतुलित निर्णय ले सकती है और इसमें किसी भी तरह की निष्पक्षता की कमी नहीं है।
हालांकि, याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि सरकार ने खुद को अधिक शक्ति देकर लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों को कमजोर किया है और इसलिए इस कानून की न्यायिक समीक्षा होनी चाहिए।
आगे क्या होगा?
अब इस मामले की सुनवाई 19 मार्च के बाद होगी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट इस बात पर विचार करेगा कि सरकार ने संविधान पीठ के आदेशों का पालन किया है या नहीं और क्या CEC और EC की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर कानून में बदलाव की जरूरत है।