SGPC (Shiromani Gurdwara Parbandhak Committee) अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी (Harjinder Singh Dhami) ने अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने इस्तीफे का कारण श्री अकाल तख्त साहिब (Akal Takht) के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह (Giani Raghbir Singh) की एक पोस्ट को बताया। यह पोस्ट तब आई जब SGPC ने ज्ञानी हरप्रीत सिंह (Giani Harpreet Singh) को श्री दमदमा साहिब (Damdama Sahib) के जत्थेदार पद से हटा दिया था।
धामी ने इस्तीफा देने से पहले जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह की पोस्ट को पढ़ा और कहा कि उसमें साफ तौर पर यह संकेत दिया गया कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह को हटाने का कारण वह स्वयं थे। इस घटनाक्रम के बाद SGPC और अकाल तख्त के बीच विवाद गहरा गया है।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह को हटाने पर हुई थी लंबी चर्चा
धामी ने अपने इस्तीफे में यह भी कहा कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह को हटाने के लिए SGPC की कार्यकारी समिति (Executive Committee) की बैठक में डेढ़ घंटे तक गहन चर्चा हुई थी। बैठक में 14 एग्जीक्यूटिव सदस्य मौजूद थे और सभी को अपनी राय रखने का मौका दिया गया। लेकिन उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए SGPC के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना सही समझा।
उन्होंने आगे कहा कि SGPC सिखों की प्रबंधकीय संस्था है और श्री अकाल तख्त साहिब सिख समुदाय का सर्वोच्च तख्त है। ऐसे में इस संस्था से जुड़े निर्णय पूरी तरह पारदर्शी और पंथक परंपराओं के अनुरूप होने चाहिए।
जत्थेदार रघबीर सिंह की पोस्ट में क्या लिखा था?
SGPC द्वारा जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को पद से हटाने के बाद 13 फरवरी को ज्ञानी रघबीर सिंह ने एक सोशल मीडिया पोस्ट साझा की थी। इस पोस्ट में उन्होंने SGPC के फैसले की कड़ी आलोचना की और तीन प्रमुख बिंदु उठाए:
1. हरप्रीत सिंह को हटाने का कारण उचित नहीं
उन्होंने लिखा कि जिस तरीके से ज्ञानी हरप्रीत सिंह को पद से हटाया गया, वह न्यायसंगत नहीं था। उन्होंने SGPC पर आरोप लगाया कि यह फैसला सिख मर्यादाओं के खिलाफ लिया गया।
2. योजनाबद्ध तरीके से माहौल बनाया गया
उन्होंने कहा कि SGPC ने एक सुनियोजित रणनीति के तहत हरप्रीत सिंह के खिलाफ माहौल बनाया। 18 साल पुराने पारिवारिक विवाद को मीडिया में उछालकर हरप्रीत सिंह की छवि खराब करने की कोशिश की गई।
3. जत्थेदारों के अस्तित्व को कमजोर करने की साजिश
उन्होंने इसे सिख परंपराओं और तख्त साहिबानों के अस्तित्व को कमजोर करने वाला कदम बताया।
SGPC में विवाद की जड़ कहां है?
इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत 2 दिसंबर 2024 को हुई, जब श्री अकाल तख्त साहिब पर पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक हुई थी। इस बैठक में शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) के पूर्व अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) और अन्य नेताओं को सजा सुनाई गई थी। इसके बाद SGPC और अकाल तख्त के बीच मतभेद खुलकर सामने आने लगे।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह पर लगे आरोप और जांच
16 दिसंबर 2024 को गुरप्रीत सिंह (Gurpreet Singh) नामक व्यक्ति ने SGPC अध्यक्ष के समक्ष ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इस शिकायत में आरोप लगाया गया कि हरप्रीत सिंह ने उसके वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप किया, जिससे उसका तलाक हुआ। इस पर SGPC ने 19 दिसंबर को तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की।
लेकिन 20 दिसंबर को जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने इस जांच का विरोध किया और कहा कि जत्थेदारों के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई का अधिकार केवल श्री अकाल तख्त साहिब को है।
SGPC के अंदरूनी हालात और इस्तीफे की टाइमलाइन
✅ 28 अक्टूबर 2024: हरजिंदर सिंह धामी चौथी बार SGPC के अध्यक्ष चुने गए।
✅ 2 दिसंबर 2024: श्री अकाल तख्त साहिब पर जत्थेदारों की बैठक हुई, जिसके बाद SGPC और अकाल तख्त के बीच मतभेद बढ़ गए।
✅ 16 दिसंबर 2024: गुरप्रीत सिंह ने ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
✅ 19 दिसंबर 2024: SGPC ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की।
✅ 10 फरवरी 2025: SGPC ने बैठक बुलाकर ज्ञानी हरप्रीत सिंह को पद से हटाया।
✅ 13 फरवरी 2025: जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सोशल मीडिया पोस्ट साझा की।
✅ 17 फरवरी 2025: हरजिंदर सिंह धामी ने SGPC अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
SGPC में आगे क्या होगा?
अब सवाल यह है कि SGPC और श्री अकाल तख्त साहिब के बीच मतभेद कैसे सुलझेंगे?
- SGPC के नए अध्यक्ष का चुनाव जल्द होगा।
- ज्ञानी हरप्रीत सिंह के मामले में SGPC कोई नया कदम उठा सकती है।
- सिख समुदाय में इस विवाद को लेकर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
इस पूरे घटनाक्रम पर सिख संगत की पैनी नजर बनी हुई है। SGPC और अकाल तख्त साहिब के बीच यह विवाद सिख राजनीति को किस दिशा में ले जाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा।