Sajjan Kumar Verdict: 1984 Sikh Riots Case में दिल्ली (Delhi) की अदालत ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार (Sajjan Kumar) को उम्रकैद की सजा सुनाई। यह फैसला राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) ने सुनाया, जिसमें सज्जन कुमार को जसवंत सिंह (Jaswant Singh) और उनके बेटे तरुणदीप सिंह (Tarundeep Singh) की हत्या का दोषी पाया गया।
#WATCH | Delhi: On former Congress MP Sajjan Kumar's conviction in a 1984 anti-Sikh riot case, Delhi Sikh Gurudwara Management Committee (DSGMC) General Secretary Jagdip Singh Kahlon says, "… Sajjan Kumar who was leading the Sikh massacre 40 years ago has been convicted and he… pic.twitter.com/Hu8SBh7amf
— ANI (@ANI) February 12, 2025
दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी ने जताई नाराजगी
हालांकि, इस फैसले से दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (Delhi Sikh Gurdwara Management Committee – DSGMC) पूरी तरह संतुष्ट नहीं है। कमेटी के महासचिव जगदीप सिंह काहलों (Jagdeep Singh Kahlon) ने कहा कि अगर सज्जन कुमार को मृत्युदंड (Death Penalty) दिया जाता तो यह न्याय की पूरी जीत होती। उन्होंने कहा, “हम अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन सज्जन कुमार जैसे अपराधी के लिए मौत की सजा बेहतर होती।”
41 साल बाद मिला अधूरा न्याय?
41 साल की लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद, यह फैसला सिख समुदाय के लिए राहत लेकर आया। लेकिन, सिख समाज का एक बड़ा वर्ग अब भी मानता है कि सज्जन कुमार को फांसी की सजा मिलनी चाहिए थी।
सिख समाज की पुरानी मांग
सज्जन कुमार पर 1984 में दिल्ली में हुए सिख दंगों में हिंसा भड़काने और सिख समुदाय के लोगों को निशाना बनाने का गंभीर आरोप था। उन पर पिता-पुत्र की हत्या के आरोप सिद्ध हुए हैं। सिख समाज लंबे समय से उनकी फांसी की मांग कर रहा था।
कोर्ट का फैसला और उसका असर
दिल्ली की अदालत ने सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाकर यह सुनिश्चित किया कि उन्हें अब शेष जीवन जेल में ही बिताना होगा। हालांकि, इस फैसले से न्याय की दिशा में एक मजबूत संदेश गया है, लेकिन DSGMC और सिख समाज का कहना है कि इससे पीड़ित परिवारों को पूरी तरह संतोष नहीं मिला।
न्याय की जीत या अधूरा इंसाफ?
जहां एक ओर अदालत का यह फैसला भारतीय न्याय प्रणाली में विश्वास को मजबूत करता है, वहीं दूसरी ओर, सिख समाज का यह मानना है कि सज्जन कुमार जैसे दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए थी।