Anti Sikh Riots Verdict: Anti Sikh Riots Case में बड़ा फैसला आया है। दिल्ली (Delhi) की राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) ने 1984 के सिख विरोधी दंगों में दोषी पाए गए कांग्रेस नेता सज्जन कुमार (Sajjan Kumar) को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह फैसला विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा (Special Judge Kaveri Baweja) ने सुनाया, जिसमें दिल्ली के सरस्वती विहार (Saraswati Vihar) में जसवंत सिंह (Jaswant Singh) और उनके बेटे तरुणदीप सिंह (Tarundeep Singh) की हत्या के मामले में सज्जन कुमार दोषी करार दिए गए।
41 साल बाद मिला इंसाफ
इस केस में यह पहली बार नहीं है जब सज्जन कुमार को दोषी ठहराया गया हो। इससे पहले भी एक अन्य मामले में उन्हें उम्रकैद की सजा मिल चुकी है। 12 फरवरी 2024 को कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया था और उनकी मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति की रिपोर्ट तिहाड़ जेल (Tihar Jail) प्रशासन से मांगी थी। इस सजा के बाद 41 साल पुराने जख्मों पर मरहम लगने की उम्मीद जगी है।
कैसे शुरू हुई यह कानूनी लड़ाई?
इस केस की शुरुआत पंजाबी बाग पुलिस थाना (Punjabi Bagh Police Station) में दर्ज एफआईआर से हुई थी। बाद में, यह मामला विशेष जांच दल (Special Investigation Team – SIT) को सौंपा गया, जिसने गहराई से जांच करते हुए कोर्ट में मजबूत केस पेश किया। कोर्ट ने 16 दिसंबर 2021 को सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय कर दिए थे।
दंगों की भयावह कहानी
अभियोजन पक्ष के अनुसार, दंगे उस समय भड़के जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की हत्या के बाद उग्र भीड़ ने सिख समुदाय को निशाना बनाना शुरू कर दिया। आरोप है कि सज्जन कुमार ने भीड़ को उकसाया, जिससे लूटपाट, आगजनी और हत्याओं का तांडव मचा।
पीड़ितों की मांग: मौत की सजा
सुनवाई के दौरान एक शिकायतकर्ता ने कोर्ट से मांग की कि सज्जन कुमार को मृत्युदंड (Death Penalty) दी जाए। शिकायतकर्ता ने कहा कि सज्जन कुमार की उकसाने वाली भूमिका के कारण ही उनके पति और बेटे की हत्या हुई। उनके वकील एच.एस. फुल्का (H.S. Phoolka) ने कहा कि “भीड़ का नेतृत्व करने और मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए सज्जन कुमार को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।”
अंतिम फैसला: न्याय की जीत
कोर्ट के इस फैसले को सिख समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक जीत माना जा रहा है। 41 साल बाद पीड़ित परिवारों को न्याय मिला है। यह मामला भारतीय न्याय व्यवस्था की जटिलताओं को भी उजागर करता है, लेकिन यह साक्ष्य है कि देर से ही सही, न्याय आखिरकार मिलता है।