Repo Rate Cut: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट (Repo Rate) में 0.25% की कटौती का ऐलान किया है। यह फैसला देश की अर्थव्यवस्था और लोन मार्केट पर गहरा असर डाल सकता है। जब रेपो रेट कम होती है, तो बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है और वे अपने ग्राहकों को भी कम ब्याज दर पर लोन देने लगते हैं। इससे होम लोन (Home Loan), कार लोन (Car Loan) और पर्सनल लोन (Personal Loan) पर ईएमआई (EMI) घट सकती है। आइए समझते हैं कि यह कटौती आपकी जेब पर क्या असर डालेगी।
रेपो रेट क्या है और इसका असर कैसे पड़ता है?
रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर RBI कमर्शियल बैंकों को लोन देता है। जब RBI इस दर को कम करता है, तो बैंक भी अपने ग्राहकों को कम ब्याज दर पर लोन देते हैं। इससे:
बैंकों की उधारी लागत घटती है – जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंक सस्ते में कर्ज उठा सकते हैं और इसका लाभ ग्राहकों तक पहुंचाते हैं।
ब्याज दरें घटती हैं – बैंक अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और सेविंग अकाउंट (Savings Account) पर ब्याज दर कम करते हैं और लोन को सस्ता बनाते हैं।
ईएमआई पर असर – ब्याज दरें कम होने से होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की EMI घटती है।
EMI कम होने का गणित
अगर किसी व्यक्ति ने 30 लाख रुपये का होम लोन 8% ब्याज दर पर 20 साल के लिए लिया है, तो उसकी EMI लगभग 25,093 रुपये होगी। यदि ब्याज दर 7% हो जाती है, तो EMI घटकर लगभग 23,259 रुपये रह जाएगी। इस तरह ग्राहक की हर महीने 1,834 रुपये की बचत होगी।
बैंक लोन कैसे देते हैं?
बैंक लोन देने के लिए मुख्य रूप से ग्राहकों के डिपॉजिट (Deposits) का इस्तेमाल करते हैं। जब कोई व्यक्ति अपने पैसे बैंक में जमा करता है, तो बैंक इसे लोन के रूप में जारी करता है। हालांकि, बैंक अपने सभी डिपॉजिट को लोन नहीं दे सकते। उन्हें कुछ रकम कैश रिजर्व रेशियो (CRR) और स्टेच्यूटरी लिक्विडिटी रेशियो (SLR) के रूप में सुरक्षित रखनी होती है।
CRR और SLR के नियमों के तहत बैंक कुल डिपॉजिट का एक हिस्सा नकद और सरकारी बॉन्ड में रखते हैं। उदाहरण के लिए, यदि बैंक के पास 100 रुपये का डिपॉजिट आता है, तो वह लगभग 60 रुपये लोन देने के लिए इस्तेमाल कर सकता है।
महंगाई और ब्याज दरों का नाता
जब कर्ज सस्ता होता है, तो लोग ज्यादा खर्च करते हैं जिससे बाजार में मांग बढ़ती है। यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा होता है, लेकिन इससे महंगाई बढ़ने का खतरा भी रहता है।
RBI रेपो रेट में बदलाव कर महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिश करता है। अगर महंगाई ज्यादा बढ़ती है, तो RBI ब्याज दरें बढ़ा देता है ताकि कर्ज महंगा हो जाए और खर्च करने की क्षमता कम हो। इससे मांग घटती है और महंगाई पर नियंत्रण रखा जाता है।
क्या आपका लोन सस्ता होगा?
RBI द्वारा रेपो रेट में कटौती करने से आमतौर पर बैंकों की ब्याज दरें भी कम हो जाती हैं। इससे:
होम लोन और कार लोन की ब्याज दरें कम हो सकती हैं।
नई लोन लेने वालों को कम EMI चुकानी पड़ेगी।
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर ब्याज दरें भी घट सकती हैं।
रेपो रेट में कटौती से लोन लेने वाले ग्राहकों को फायदा होगा, क्योंकि उनकी EMI घट जाएगी। हालांकि, जिन लोगों ने अपनी पूंजी को फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश किया है, उन्हें कम रिटर्न मिलने की संभावना है। यह फैसला अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और महंगाई को नियंत्रण में रखने के उद्देश्य से लिया गया है।