लुधियाना, 26 दिसंबर (The News Air): देशभर में जनसंख्या स्थिरता के लिए फर्टिलिटी रेट का 2.1 होना आवश्यक माना जाता है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि हर महिला को औसतन कितने बच्चे होने चाहिए ताकि जनसंख्या का स्तर स्थिर बना रहे। लेकिन पंजाब, हिमाचल प्रदेश, और जम्मू-कश्मीर जैसे उत्तरी राज्यों का फर्टिलिटी रेट तेजी से गिरना चिंता का बड़ा कारण बनता जा रहा है।
पंजाब का फर्टिलिटी रेट गिरावट पर : साल 2008 में पंजाब का फर्टिलिटी रेट 2 था, जो अब घटकर 1.63 रह गया है। हिमाचल प्रदेश में यह 1.70 और जम्मू-कश्मीर में 1.40 तक गिर चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट आने वाले समय में जनसंख्या में तेज कमी लाएगी।
कारोबार पर संभावित असर : ऑल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम के अध्यक्ष बदीश जिंदल ने इस समस्या को व्यापारियों के लिए गंभीर बताते हुए कहा कि घटती जनसंख्या से स्थानीय बाजारों में खरीदारों की कमी और श्रमिकों की आपूर्ति में गिरावट आएगी।
शहरों में स्थिति और गंभीर : गांवों के मुकाबले शहरों में यह समस्या अधिक तेज है। पंजाब के शहरी क्षेत्रों में फर्टिलिटी रेट 1.42, हिमाचल में 1.38, और जम्मू-कश्मीर में 1.20 तक गिर गया है। इस कारण आने वाले कुछ वर्षों में शहरी आबादी में बड़ी गिरावट की संभावना है।
विदेश पलायन ने बढ़ाई समस्या : पंजाब के युवाओं का बड़े पैमाने पर विदेशों की ओर रुख करना इस समस्या को और गंभीर बना रहा है। इसका असर स्थानीय रोजगार और मांग पर पड़ना तय है।
समस्या का समाधान क्या हो? : बदीश जिंदल के अनुसार, पंजाब के कारोबारियों को अन्य राज्यों और निर्यात पर ज्यादा निर्भर होना पड़ेगा। वहीं, सरकार को इस पर नीति तैयार करनी होगी ताकि गिरती आबादी से जुड़े आर्थिक और सामाजिक प्रभावों को कम किया जा सके।