प्लाज्मा थेरेपी बना सकती है वायरस को ज्यादा खतरनाक
नई दिल्ली, 12 मई
केंद्र सरकार ने मंगलवार को राज्यों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है कि कोरोना टीके की पहली खुराक ले चुके लोगों को दूसरी खुराक के लिए प्राथमिकता दी जाये। स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान के अनुसार, इसके लिए राज्य केंद्र सरकार से मिलने वाले टीकों का कम से कम 70 फीसदी हिस्सा रख सकते हैं। बाकि 30 फीसदी को पहली खुराक वालों के लिए रखा जा सकता है। बयान के अनुसार, ‘यह सिर्फ निर्देशात्मक है। राज्यों को इसे बढ़ाकर 100 फीसदी तक करने की स्वतंत्रता है।’
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण और कोरोना से निपटने के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति के अध्यक्ष डॉक्टर आरएस शर्मा द्वारा राज्यों के अधिकारियों के साथ आयोजित समीक्षा बैठक में टीके की दूसरी खुराक का इंतजार कर रहे लोगों पर जोर देने का फैसला किया गया।
राज्यों से टीके की बर्बादी को न्यूनतम करने को भी कहा गया है। टीके की राष्ट्रीय औसत से ज्यादा बर्बादी होने पर उसका समायोजन उसी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के आवंटन से किया जाएगा। 45 से ज्यादा आयु वर्ग के लोगों, कोरोना योद्धाओं और स्वास्थ्यकर्मियों सहित अन्य प्राथमिकता समूहों का आंकड़ा पेश करते हुए स्वास्थ्य सचिव ने राज्यों से अनुरोध किया कि इनका प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण किया जाए।
‘प्लाज्मा थेरेपी बना सकती है वायरस को ज्यादा खतरनाक-देश के कुछ चिकित्सकों और वैज्ञानिकों ने कोरोना रोगियों के इलाज में स्वस्थ हो चुके लोगों के प्लाज्मा के ‘अतार्किक व गैर-वैज्ञानिक इस्तेमाल’ के प्रति आगाह करते हुए केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन को पत्र लिखा है। इसमें प्लाज्मा थेरेपी के अतार्किक इस्तेमाल के चलते वायरस के और अधिक खतरनाक स्वरूप पैदा होने की आशंका जताई गयी है। जन स्वास्थ्य पेशेवरों ने कहा कि कोविड-19 रोगियों के इलाज में प्लाज्मा थैरेपी के इस्तेमाल को लेकर दिशा-निर्देश मौजूदा साक्ष्यों पर आधारित नहीं हैं। पत्र में कहा गया है, ‘हम आपसे इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हैं।’