नई दिल्ली, 8 मई (The News Air) केरल में एक नई बीमारी सामने आई है। वेस्ट नाइल बुखार के कई मरीज सामने आए हैं। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने केरल के मलप्पुरम, कोझिकोड और त्रिशूर जिलों में अलर्ट जारी किया है। राज्य सरकार की ओर से स्वास्थ्य विभाग को साफ सफाई और लोगों की जांच तेज करने के निर्देश दिए गए हैं। जिला वेक्टर नियंत्रण इकाई द्वारा कई जगहों से नमूने एकत्र किए गए हैं। सभी नमूनों को परीक्षण के लिए भेजा गया है। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने जागरुकता कार्यक्रम भी चलाने के लिए कहा है।
कई जिलों में सामने आए मरीज
इस बीमारी के अब तीन जिलों में मामले सामने आ चुके हैं। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने लोगों से अनुरोध किया है कि वह बुखार के लक्षण सामने आने के बाद जांच जरूर कराएं। उन्होंने कहा कि इस वायरस के प्रकोप से बचने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि यह डेंगू के समान है। अभी चिंता की या घबराहट की आवश्यकता नहीं है। अब तक हॉट स्पॉट नहीं हैं। कोझिकोड के जिला कलेक्टर स्नेहिल कुमार सिंह न बताया कि अब तक सिर्फ पांच मामले सामने आए हैं, जिनमें से चार ठीक हो गए हैं, एक का इलाज चल रहा है।
क्या है वेस्ट नाइल बुखार?
वेस्ट नाइल बुखार एक मच्छर जनित बीमारी है, जो आमतौर पर संक्रमित मच्छरों के काटने के कारण फैलती है। सामान्य तौर पर यह मच्छर की गई बीमारियों से फैसला है लेकिन इसमें क्यूलेक्स पिपियन्स मुख्य प्रजाति है। इसका पहला मामला 1937 में युगांडा में सामने आया था। केरल में इसका पहला मामला 2011 में सामने आया था। केरल के मलप्पुरम में 6 साल के एक बच्चे की 2019 में इस बीमारी से मौत हो चुकी है। इसके अलावा मई 2022 में त्रिशूर जिले में इस वायरस के कारण 47 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई थी।
कितनी खतरनाक है बीमारी?
इस वायरस से संक्रमित 80 फीसदी लोगों में इसके कोई खास लक्षण सामने नहीं आते हैं। कुछ फ्लू जैसे लक्षण होते हैं और दुर्लभ मामलों में स्थायी रूप से न्यूरोलॉजिकल डैमेज भी हो सकता है। वेस्ट नाइल वायरस कुछ दिनों से कई हफ्तों तक व्यक्ति के शरीर में रह सकता है। अगर समय पर मरीज का ट्रीटमेंट न हो तो ये बुखार एन्सेफलाइटिस का कारण भी बन सकता है। इस वायरस से ब्रेन से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा रहता है। इसके गंभीर मामलों में मौत का खतरा भी रहता है।