नई दिल्ली, 22 सितंबर (The News Air)
देश में कोरोना वायरस के मामले लगातार घट रहे हैं और मंगलवार को संक्रमण के 26 हज़ार मामले सामने आए साथ ही 252 मौतें दर्ज़ की गईं. एम्स निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया के मुताबिक़ कोरोना वायरस अब महामारी नहीं रह गया है. हालांकि उन्होंने सावधान किया कि जब तक भारत में हर व्यक्ति को वैक्सीन नहीं लग जाती तब तक सतर्क रहने की ज़रूरत है. ख़ास तौर पर सभी के लिए त्योहारों पर भीड़-भाड़ से बचना ज़रूरी है.
‘पूरी तरह कभी ख़त्म नहीं होगा कोरोना’-डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि भारत में दर्ज़ हो रहे आंकड़े अब 25 हज़ार से 40 हज़ार के बीच आ रहे हैं. अगर लोग सावधान रहे तो ये मामले धीरे-धीरे कम होते रहेंगे. हालांकि कोरोना कभी पूरी तरह ख़त्म नहीं होगा. लेकिन भारत में जितनी तेज़ी से वैक्सीनेशन हो रहा है, उसे देखते हुए कोरोना का अब महामारी की शक्ल लेना या बड़े पैमाने पर फैलना मुश्किल है.
एम्स डायरेक्टर डॉक्टर गुलेरिया का कहना है कि कोरोना वायरस जल्द ही आम फ्लू यानी साधारण खांसी, ज़ुकाम की तरह हो जाएगा क्योंकि लोगों में अब इस वायरस के ख़िलाफ़ इम्युनिटी तैयार चुकी है. लेकिन बीमार और कमज़ोर इम्युनिटी वाले लोगों को इस बीमारी से जान का ख़तरा बना रहेगा.
बूस्टर डोज़ पर कही अहम बात-वैक्सीन लगवा रहे लोगों के मन में ये सवाल भी है कि वैक्सीन क्या जीवनभर सुरक्षा प्रदान करेगी या फिर दोबारा कुछ वक़्त के बाद बूस्टर डोज़ की ज़रूरत पड़ेगी. इस सवाल के जवाब में डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि भारत में प्राथमिकता ये है कि सभी लोगों को वैक्सीन की दोनो डोज़ लग जाएं, बच्चों को भी वैक्सीन लग जाए. इसके बाद ही बूस्टर डोज़ पर ज़ोर दिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि दुनिया के सभी देशों में लोग वैक्सीन लगवा लें, इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम को अक्टूबर में फिर से शुरू करने की बात की है. अप्रैल के महीने में भारत सरकार ने भारतीयों को प्राथमिकता देते हुए कुछ वक़्त के लिए दूसरे देशों को वैक्सीन डोनेट करने का काम स्थगित कर दिया था लेकिन एम्स निदेशक के मुताबिक़ अगर दुनिया के किसी भी देश के लोग वैक्सीन नहीं लगवा पा रहे तो इससे हर देश को ख़तरा है.
दिसंबर तक सबका वैक्सीनेशन-डॉक्टर गुलेरिया का कहना है कि वायरस कहीं से भी फिर से फैल सकता है. इस दिशा में दुनिया को वैक्सीन बांटकर भारत अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहा है. हालांकि कुछ वक़्त के बाद बेहद बीमार, बुजुर्गों या कमज़ोर इम्युनिटी वालों को बूस्टर डोज़ दी जा सकती है. ये भी ज़रूरी नहीं कि बूस्टर उसी वैक्सीन का लगे जो किसी ने पहले लगवाई हो. कोई नई वैक्सीन लगवाकर भी बूस्टर का काम किया जा सकता है, हालांकि इस बारे में पहले एक पॉलिसी बनाई जाएगी.
उनका कहना है कि कुछ लोगों को बूस्टर डोज़ की ज़रूरत पड़ सकती है. ये बूस्टर दूसरी वैक्सीन की भी लग सकती है. लेकिन इस पर फ़ैसला लिया जाएगा, पहले सभी को वैक्सीन लगानी ज़रूरी है, फिर बूस्टर की बारी आएगी. डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि दिसंबर तक सभी को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा गया है.