564 एमएलडी क्षमता वाला ये प्लांट यमुना को साफ़ करने के अभियान में गेम चेंजर साबित होगा- जल मंत्री आतिशी
जल मंत्री आतिशी ने प्रोजेक्ट में देरी पर लगाई अधिकारियों को फटकार,डेडलाइन देते हुए कहा-साल के अंत तक प्लांट को शुरू किया जाए
यमुना को साफ़ करने की दिशा में ये प्लांट बेहद महत्वपूर्ण,निर्माण में अब एक दिन की भी देरी नहीं होगी बर्दाश्त-जल मंत्री आतिशी
जल मंत्री का अधिकारियों को निर्देश- नए टाइमलाइन के साथ बचा हुआ काम पूरा किया जाए, हर सोमवार सौंपी जाए प्रोग्रेस रिपोर्ट
मुख्यमंत्री जी ने कहा है यमुना साफ़ होगी तो यमुना साफ़ होकर रहेगी, इस दिशा में युद्धस्तर पर चल रहा है काम-जल मंत्री आतिशी
प्लांट सेंट्रल और साउथ दिल्ली के अधिकांश हिस्सों का सीवेज़ ट्रीट करेगा, शोधित पानी का होगा शत प्रतिशत यमुना में छोड़ा जाएगा-जल मंत्री आतिशी
परियोजना से ज़रिए 40 लाख लोगों को मिलेगा लाभ, प्लांट के शोधित पानी का इस्तेमाल बाग़वानी के लिए किया जा सकेगा-जलमंत्री आतिशी
नए प्लांट में यूवी सहित अत्याधुनिक तकनीकों से सीवेज़ को किया जाएगा शोधित, स्टैंडर्ड मानक तक पहुँचेगी पानी की क्वॉलिटी-जलमंत्री आतिशी
सीवेज़ के गाद से बायो-गैस तैयार कर प्लांट उत्पादित करेगा 4.8 मेगावाट बिजली, अपनी आधी ऊर्जा ज़रूरत ख़ुद करेगा पूरी-जल मंत्री आतिशी
प्लांट से उत्पादित गाद का इस्तेमाल वेस्ट टू एनर्जी और खाद बनाने में किया जाएगा इस्तेमाल
30 नवंबर, नई दिल्ली (The News Air) यमुना को साफ़ करने की दिशा में केजरीवाल सरकार युद्धस्तर पर काम कर रही है। इस दिशा में केजरीवाल सरकार ओखला में एशिया का सबसे बड़ा सीवेज़ ट्रीटमेंट प्लांट तैयार करवा रही है, जहां प्रतिदिन 564 मिलियन लीटर सीवेज़ को शोधित किया जा सकेगा। परियोजना अपने अंतिम चरण में चल रही है, इसका निरीक्षण करने के लिए जल मंत्री आतिशी ने गुरुवार को इस प्लांट का दौरा किया। प्रोजेक्ट में देरी को लेकर जलमंत्री आतिशी ने अधिकारियों को फटकार लगाई और निर्देश दिये कि इस साल के अंत तक प्लांट को शुरू कर दिया जाए।
564 एमएलडी क्षमता वाला ये प्लांट यमुना को साफ़ करने के अभियान में गेम चेंजर साबित होगा
इस मौक़े पर जल मंत्री आतिशी ने कहा कि, 564 एमएलडी क्षमता वाला ये प्लांट यमुना को साफ़ करने की दिशा में गेम चेंजर साबित होने वाला है। उन्होंने कहा कि इस प्लांट के शुरू होने के बाद प्रतिदिन करोड़ों लीटर सीवर को सीधे यमुना में छोड़ने के बजाय उसे शोधित करके छोड़ा जाएगा। इस प्लांट के चालू होने के बाद गंदे पानी के बायोलॉजिकल ऑक्सीडेशन डिमांड (बीओडी) स्तर को शोधित कर 10 तक लाया जा सकेगा। प्लांट से उपचारित पानी न केवल यमुना को साफ करने में मदद करेगा, बल्कि बाग़वानी सहित अन्य चीजों के लिए भी उपयोगी बनेगा।
नए टाइमलाइन के साथ साल के अंत तक बचा हुआ काम पूरा किया जाए, हर सोमवार सौंपी जाए प्रोग्रेस रिपोर्ट
विजिट के दौरान जलमंत्री ने पाया कि प्रोजेक्ट तय डेडलाइन से पीछे चल रहा है, इसपर अधिकारियो को निर्देश देते हुए जल मंत्री ने कहा कि, नए टाइमलाइन के साथ साल के अंत तक बचा हुआ काम पूरा किया जाए, और हर सोमवार को उन्हें इसकी प्रोग्रेस रिपोर्ट सौंपी जाए। उन्होंने कहा कि, यमुना को साफ़ करने की दिशा में ये प्लांट बेहद महत्वपूर्ण है, ऐसे में इसके निर्माण में अब एक दिन की भी देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि, यमुना की साफ़ करना हमारी प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री जी ने कहा है यमुना साफ़ होगी तो यमुना साफ़ होकर रहेगी, और इस दिशा में युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है।
प्लांट सेंट्रल और साउथ दिल्ली के अधिकांश हिस्सों का सीवेज़ ट्रीट करेगा, शोधित पानी को साफ़ करने के बाद यमुना में छोड़ा जाएगा
अधिकारियों ने जल मंत्री को साझा करते हुए कहा कि, इस प्लांट में सेंट्रल दिल्ली(मुख्यत एनडीएमसी एरिया), साउथ दिल्ली के अधिकांश हिस्सों का सीवेज़ आएगा। यहाँ यूवी सहित अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए, सीवेज़ के पानी को शोधित किया जाएगा और बायोलॉजिकल ऑक्सीडेशन डिमांड (बीओडी) स्तर को शोधित कर 10 तक लाया जाएगा। उसके बाद ही साफ़ पानी को यमुना में छोड़ा जाएगा।
परियोजना से ज़रिए 40 लाख लोगों को मिलेगा लाभ, प्लांट के शोधित पानी का इस्तेमाल बाग़वानी के लिए किया जा सकेगा
इस प्लांट के ज़रिए 40 लाख लोगों को लाभ मिलेगा क्योंकि ये दिल्ली की एक बहुत बड़ी आबादी क्षेत्र के सीवेज़ को ट्रीट करने का काम करेगा। ये प्लांट एशिया का सबसे बड़ा सीवेज़ ट्रीटमेंट प्लांट है, जो अकेले दिल्ली के 15 से 20% सीवेज़ को शोधित करेगा। शोधित होने के पश्चात पानी का बीओडी इस स्तर पर पहुँचेगा जिसका इस्तेमाल बाग़वानी सहित विभिन्न कार्यों में किया जा सकेगा।
सीवेज़ के गाद से बायो-गैस तैयार कर प्लांट उत्पादित करेगा 4.8 मेगावाट बिजली, अपनी आधी ऊर्जा ज़रूरत ख़ुद करेगा पूरी
बता दें कि ये प्लांट ग्रीन एनर्जी के ज़रिए ऊर्जा की अपनी आधी ज़रूरतों को ख़ुद से पूरा कर सकेगा। प्लांट में सीवेज़ के गाद से निकलने वाले बायो-गैस के ज़रिए 4.8 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा। साथ ही गाद से वेस्ट टू एनर्जी प्लांट को भी चलाया जा सकेगा और इसका इस्तेमाल खाद की तरह भी हो सकेगा।