Farmers Protest, Delhi March: पंजाब और हरियाणा के खनौरी बॉर्डर (Khannauri Border) पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल (Jagjit Singh Dallewal) का अनशन आज (10 फरवरी) को 77वें दिन में प्रवेश कर गया है। वह पिछले 7 दिनों से बिना मेडिकल सुविधाओं के अनशन पर हैं, क्योंकि उनके शरीर की अधिकतर नसें ब्लॉक हो चुकी हैं, जिससे डॉक्टरों को उन्हें इलाज देने में दिक्कत आ रही है।
इस बीच, संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha – SKM) ने 12 फरवरी को चंडीगढ़ (Chandigarh) में एक “एकता मीटिंग” बुलाई है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर (Sarwan Singh Pandher) ने कहा है कि यदि 14 फरवरी को केंद्र सरकार के साथ होने वाली बैठक सफल नहीं होती है, तो किसान 25 फरवरी को दिल्ली कूच करेंगे।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेताओं ने रखे 3 अहम मुद्दे
किसान नेताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी तीन प्रमुख मांगें रखीं:
संयुक्त किसान मोर्चा की एकता जरूरी:
किसान नेता ने कहा कि एकता को लेकर पहले भी दो बैठकें पातड़ा (Patra) में हो चुकी हैं। 11 फरवरी से 13 फरवरी तक किसान आंदोलन के तहत दोनों बॉर्डर पर कार्यक्रम होंगे, लेकिन इसके बावजूद सभी किसान संगठनों की एकता सुनिश्चित करने के लिए मीटिंग में शामिल होने का फैसला लिया गया है।कृषि नीति पर सरकार का स्पष्ट रुख चाहिए:
किसानों ने कहा कि केंद्र सरकार की कृषि मार्केट पॉलिसी (Agriculture Market Policy) को मांग पत्र में शामिल किया जाना चाहिए। किसानों का मानना है कि यह नीति कॉर्पोरेट्स के हितों की रक्षा करती है, जिससे छोटे और मध्यम किसानों को नुकसान हो सकता है। किसानों ने स्पष्ट किया कि वे पूर्ण एकता के पक्ष में हैं, लेकिन सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि वह किसानों की संपूर्ण मांगों पर सहमत है या केवल आंशिक बदलाव चाहती है।वार्ता विफल रही तो 25 फरवरी को दिल्ली कूच:
किसान नेताओं ने कहा कि यदि 14 फरवरी को सरकार के साथ बातचीत सफल नहीं होती है, तो 25 फरवरी को दिल्ली कूच किया जाएगा। किसान नेताओं ने सरकार के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा कि एक तरफ सरकार बातचीत का प्रस्ताव दे रही है, दूसरी तरफ संसद में बयानबाजी से उनकी नीयत पर सवाल उठ रहे हैं।
77 दिनों से जारी अनशन, डॉक्टरों के लिए चुनौती बनी स्थिति
किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ (Abhimanyu Kohar) ने बताया कि जगजीत सिंह डल्लेवाल (Jagjit Singh Dallewal) लगातार अनशन पर हैं, जिससे उनका शरीर बेहद कमजोर हो गया है। डॉक्टरों को उनकी नसें नहीं मिल पा रही हैं, जिससे ड्रिप (IV Fluid) देने में परेशानी हो रही है।
- डॉक्टरों ने बताया कि 48 से 72 घंटे में नसें ब्लॉक हो रही हैं, जिसके कारण बार-बार नई नस की तलाश करनी पड़ रही है।
- दोनों हाथों में नसें मिलना मुश्किल हो गया है, जिससे डॉक्टरों ने पैरों में भी ड्रिप लगाने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली।
क्या किसानों की मांगें पूरी होंगी या फिर होगा दिल्ली कूच?
अब सवाल यह उठता है कि क्या केंद्र सरकार 14 फरवरी को होने वाली बैठक में किसानों की मांगों पर सहमत होगी, या फिर एक और बड़े आंदोलन की तैयारी शुरू हो जाएगी?
किसान संगठनों की नजरें 12 फरवरी को चंडीगढ़ में होने वाली “एकता मीटिंग” पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि सभी संगठन एकसाथ रहेंगे या फिर आंदोलन में अलग-अलग धाराएं बनेंगी। वहीं, 14 फरवरी को केंद्र सरकार की बैठक का भी इंतजार किया जा रहा है। यदि बैठक विफल होती है, तो 25 फरवरी को किसानों का दिल्ली कूच तय माना जा सकता है।