Supreme Court to Examine Lifetime Ban on Convicted Politicians: राजनीति में अपराधियों की बढ़ती संलिप्तता पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई करने का निर्णय लिया है। इस मामले में केंद्र सरकार और चुनाव आयोग (Election Commission) से जवाब मांगा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को तीन जजों की बेंच को भेजा है और 4 मार्च को इस पर सुनवाई होगी।
याचिका में मांग की गई है कि आपराधिक पृष्ठभूमि (Criminal Background) वाले लोगों पर राजनीति में भाग लेने और चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाए। वर्तमान में, किसी सांसद या विधायक को यदि दो साल या उससे अधिक की सजा होती है, तो वह सजा पूरी होने के छह साल बाद तक चुनाव नहीं लड़ सकता, लेकिन उसके बाद दोबारा राजनीति में लौट सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने की जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 की जांच की घोषणा
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान जनप्रतिनिधित्व कानून (Representation of the People Act) की धारा 8 की जांच करने की बात कही। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि जब एक सरकारी कर्मचारी, चाहे वह क्लास 4 कर्मचारी ही क्यों न हो, यदि हत्या या बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों में दोषी पाया जाता है, तो वह अपनी नौकरी दोबारा नहीं पा सकता। लेकिन एक MP (सांसद) या MLA (विधायक) यदि किसी गंभीर अपराध में दोषी पाया जाता है, तो वह फिर से चुनाव लड़ सकता है और मंत्री पद भी हासिल कर सकता है।
निचली अदालतों में सुनवाई की धीमी रफ्तार पर सुप्रीम कोर्ट की चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी चिंता जताई कि MP/MLA कोर्ट में मामलों की सुनवाई की गति बेहद धीमी है। जस्टिस मनमोहन (Justice Manmohan) ने कहा कि दिल्ली की निचली अदालतों में उन्होंने देखा है कि दिनभर में सिर्फ एक या दो मामले लगाए जाते हैं और जज 11 बजे तक अपने चैंबर में चले जाते हैं।
एमिक्स क्यूरी (Amicus Curiae) विजय हंसारिया (Vijay Hansaria) ने कोर्ट को बताया कि अन्य राज्यों में भी मामलों की सुनवाई बार-बार टाली जाती है, और इसका कोई ठोस कारण नहीं बताया जाता। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि कई राज्यों में MP/MLA कोर्ट अभी तक गठित ही नहीं की गई हैं।
क्या चुनाव आयोग राजनीतिक दलों पर नियम बना सकता है?
सुनवाई के दौरान यह सुझाव भी दिया गया कि चुनाव आयोग (Election Commission) कोई ऐसा नियम बनाए, जिससे राजनीतिक दलों को गंभीर अपराधों में दोषी पाए गए व्यक्तियों को पार्टी पदाधिकारी नहीं बनाने के लिए बाध्य किया जाए।
बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की याचिका
यह याचिका बीजेपी (BJP) नेता अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) ने दायर की है। उन्होंने तर्क दिया कि राजनीतिक दलों को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वे स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवार क्यों नहीं चुन रहे हैं।
क्या बदलाव संभव है?
फिलहाल, कानून के अनुसार, दो साल या उससे अधिक की सजा होने पर संबंधित व्यक्ति सजा की अवधि पूरी होने के छह साल बाद ही चुनाव लड़ सकता है। लेकिन यदि सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर गंभीर रुख अपनाता है, तो दोषी सांसदों और विधायकों पर आजीवन चुनावी प्रतिबंध लगाने का रास्ता खुल सकता है।
राजनीति में अपराधियों की भागीदारी पर रोक लगाने का यह मामला बेहद अहम है। अगर सुप्रीम कोर्ट कोई सख्त फैसला सुनाता है, तो देश में चुनावी प्रक्रिया में बड़ा सुधार देखने को मिल सकता है। 4 मार्च को होने वाली सुनवाई पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।