नई दिल्ली, 29 नवम्बर, (The News Air) बस मार्शल के मुद्दे पर गंदी राजनीति कर रही भाजपा को दिल्ली विधानसभा में एक्सपोज़ करते हुए सीएम आतिशी ने कहा कि, भाजपा द्वारा पहले मार्शलों का वेतन रोका गया, फिर नौकरी से निकाला और अब मार्शलों की पुनः बहाली पर भी अड़ंगा लगा रहे है। उन्होंने कहा कि, दिल्ली सरकार द्वारा एलजी साहब को बस मार्शलों को पक्का करने और तबतक बसों में उनकी यथास्थिति तैनाती का प्रस्ताव भेजे 2 हफ़्ते बीत गए है। लेकिन 2 हफ़्ते बीतने के बाद भी एलजी ने मार्शलों की बसों में नियुक्ति के प्रस्ताव पर कोई जबाव नहीं दिया।
उन्होंने कहा कि, एलजी साहब महिलाओं की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण इस प्रस्ताव को जल्द पास करें ताकि बसों में फिर से मार्शलों की तैनाती हो सकें। सीएम आतिशी ने नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता को चुनौती देते हुए कहा कि, “नेता प्रतिपक्ष बस मार्शलों के नियुक्ति के प्रस्ताव पर एलजी से साइन करवायें, मैं उनके लिए चुनाव प्रचार करूंगी।”
बस मार्शलों के मुद्दे पर विधानसभा में संबोधित करते
हुए सीएम आतिशी ने कहा कि, “बस मार्शल का मुद्दा मेरे दिल के बहुत करीब है। ये इसलिए मेरे दिल के बहुत करीब है क्योंकि मैं दिल्ली की रहने वाली हूँ। मैंने अपने स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई दिल्ली से की। कई सालों तक दिल्ली में नौकरी की।”
उन्होंने साझा किया कि, “दिल्ली में जब कोई लड़की कोई महिला पढ़ाई करती है, नौकरी पर जाती है तो डीटीसी बसों में उनके साथ जो दुर्व्यवहार होता है, उसे मैं अच्छी तरह से समझती हूँ।मुझे याद है जब मैं स्कूल में जाती थी तो अक्सर स्कूल में एक्स्ट्रा क्लास, स्कूल ट्रेनिंग के लिए छुट्टी के बाद भी रोका जाता था। लेकिन तबतक स्कूल बस तो चली जाती थी तो जो बच्चे यहाँ रुकते थे उन्हें डीटीसी बस से वापिस घर जाना होता था। और अक्सर लड़कियों के माता-पिता लड़कियों को स्कूल में इसलिए नहीं रुकने देते थे क्योंकि उन्हें भरोसा नहीं था कि उनकी बेटियां सुरक्षित तरीके से घर वापस आ पाएगी।क्योंकि एक लड़की, एक महिला जब डीटीसी बस में घुसती थी। खासकर भरी बस में तो उसे ग़लत निगाह से देखना, अभद्र टिप्पणी करना, छेड़छाड़ करना आम बात थी।”
सीएम आतिशी ने कहा कि, “दिल्ली की लड़कियों का, महिलाओं का भाग्य उस दिन बदला जब अरविंद केजरीवाल जी दिल्ली के मुख्यमंत्री बनें। अरविंद केजरीवाल जी दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री नहीं थे। आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली की पहली सरकार नहीं थी लेकिन अरविंद केजरीवाल जी वो पहले ऐसे नेता थे जिन्होंने दिल्ली की महिलाओं का दर्द समझा। पहले किसी सरकार ने ये नहीं सोचा था कि बसों में मार्शल लगाए जाए, बसों में महिलाओं से होने वाली बदतमीजी को रोका जाए। लेकिन अरविंद केजरीवाल जी ने ये सोचा।”
उन्होंने कहा कि, “2015 में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद, अरविंद केजरीवाल जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने हर बस में मार्शल लगाने की प्रक्रिया शुरू की। इस प्रक्रिया में समय लगा लेकिन दिल्ली के हर डीटीसी बस में मार्शल तैनात किए गए।”
सीएम आतिशी ने साझा करते हुए कहा कि, “मुझे महिलाएं में पढ़ने वाली लड़कियां बताती है कि, बस में यूनिफार्म में एक मार्शल के होने से मनचलों की बदतमीज़ी करने की हिम्मत नहीं होती थी, महिलायें सुरक्षित महसूस करती थी। उन्हें पता था कि, किसी भी बदतमीजी की स्थिति में बस में उनकी सुरक्षा के लिए एक मार्शल है। लेकिन भाजपा को इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है। इसलिए भाजपा की केंद्र सरकार, उनके एलजी और उनके अफसरों ने 2015 से 2023 तक बस मार्शलों की सुचारू चल रही प्रक्रिया में अड़ंगा लगाना शुरू किया।”
उन्होंने कहा कि, “मार्च 2023 से बस मार्शलों की तनख्वाह रोक दी गई। दिल्ली सरकार के मंत्रियों ने बार-बार लिख कर भेजा, आदेश दिए, एलजी साहब की चिट्ठी लिखी कि बस मार्शलों को तनख्वाह दी जाए। लेकिन मार्शलों को तनख्वाह नहीं दी गई। बार बार इनके अफसर लिखकर भेजते थे कि, बस मार्शलों की जरूरत नहीं है। और अक्टूबर 2023 में एलजी साहब ने सभी बस मार्शलों को हटा दिया। उन्होंने दिल्ली की महिलाओं के बारे में नहीं सोचा। दिल्ली की लड़कियों के बारे में नहीं सोचा, 10 हज़ार बस मार्शलों के बारे में नहीं सोचा कि उनका क्या होगा।”
सीएम आतिशी ने कहा कि, “अरविंद केजरीवाल जी ने 20 अक्टूबर 2023 को एलजी साहब को फाइल भेजी जिसमें स्पष्ट तौर पर कहा कि, जो भी बस मार्शल बसों में काम कर रहे है, उन्हें नहीं हटाना चाहिए। और ये भी कहा कि, जिन अफसरों ने इनकी तनख्वाह रोकी वो चाहे तब के डिविजनल कमिश्नर अश्वनी कुमार हो, प्रधान वित्त सचिव आशीष वर्मा हो या ट्रांसपोर्ट कमिश्नर आशीष कुंद्रा हो सभी पर एक्शन लिया जाए। लेकिन एलजी साहब को इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ा। 27 अक्टूबर को अरविंद केजरीवाल जी ने एक बार फिर एलजी साहब को चिट्ठी लिखी कि, बस मार्शल महिलाओं की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है और ये 10,000 मार्शल ग़रीब परिवारों से आते है, इन्हें न हटाया जाए लेकिन तब भी एलजी साहब को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा।”
सीएम आतिशी ने कहा कि, “1 नवंबर को एलजी साहब के आदेश पर तब के डिविजनल कमिश्नर अश्वनी कुमार ने सभी बस मार्शलों को हटा दिया। मैंने तब बतौर राजस्व मंत्री उन्हें चिट्ठी लिखी कि यदि वो सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स को हटा रहे है लेकिन जो बस मार्शल के तौर पर काम कर रहे है उन्हें न हटाया जाए क्योंकि इससे बसों में महिलाएं असुरक्षित हो जायेंगी। लेकिन उन्होंने मेरा आदेश नहीं माना। मैंने ये चिट्ठी एलजी साहब को भेजी लेकिन उन्होंने भी ये बात नहीं मानी।”
उन्होंने कहा कि, “मैं बस मार्शलों को दाद देना चाहती हूँ कि, एलजी साहब के न मानने के बाद भी, नौकरी जाने के बाद भी इन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पिछले 1 साल से लगातार सड़कों पर संघर्ष किया है। इन बस मार्शलों के संघर्ष में आम आदमी पार्टी के विधायकों ने, दिल्ली सरकार के मंत्रियों ने साथ दिया। जो कंधे से कंधा मिलाकर बस मार्शलों के संघर्ष में उनके साथ रहे। इन्होंने बस मार्शलों के साथ डंडे खाए, गिरफ्तार हुए लेकिन बस मार्शलों का साथ नहीं छोड़ा। क्योंकि दिल्ली सरकार न सिर्फ़ इन 10,000 लड़के-लड़कियों को रोजगार देना चाहती है बल्कि महिलाओं को सुरक्षा भी देना चाहती है।”
सीएम ने साझा करते हुए कहा कि, “नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता जी ने मुजसे मिलने का समय मांगा, अगला दिन शनिवार था जब दफ्तरों में छुट्टी होती है। लेकिन इस अहम मुद्दे पर हमने उन्हें मिलने का तुरंत समय दिया। तब विजेंद्र गुप्ता ने बार बार एक बात कही कि, बस मार्शलों को वापस रखने का मुद्दा हम कैबिनेट से पास करे, एलजी से हम पास करवायेंगे।”
उन्होंने कहा कि, “हमनें पूरी कैबिनेट उसी दिन वही बुला लिया और दिल्ली विधानसभा के बस मार्शलों को वापस रखने के रेजोल्यूशन पर पूरी कैबिनेट ने साइन किया। फिर हमनें विजेंद्र गुप्ता से जी उसपर एलजी साहब से साइन करवाने के लिए कहा लेकिन विजेंद्र गुप्ता जी एलजी साहब के पास जाने के लिए तैयार नहीं थे। हालात यहां तक आ गए कि मंत्री सौरभ भारद्वाज जी को उनके पांव पकड़ने पड़ गए। मुझे इनकी गाड़ी में बैठना पड़ा। उस दौरान भी अपनी गाड़ी को इधर उधर जाने का प्रयास किया लेकिन फिर भी हमनें अपना वादा पूरा किया और अब विजेंद्र गुप्ता जी को अपना वादा पूरा करना होगा।”
सीएम आतिशी ने कहा कि, “5 नवंबर को ये रेजोल्यूशन एलजी साहब को दिया गया। आज 29 नवंबर है, 24 दिन बीत जाने के बाद भी वो साइन होकर, अप्रूव होकर वापिस नहीं आया है। और फिर दिन एलजी साहब की चिट्ठी आई कि, दिल्ली सरकार अलग-अलग विभागों के साथ मिलकर इसपर एक पॉलिसी बनाए। दिल्ली सरकार ने इसपर ट्रांसपोर्ट विभाग के सचिव को नोट दिया कि हम एक मंत्री समूह बनायेंगे और वो पूरी पॉलिसी बनाएगी।
तब ट्रांसपोर्ट सचिव ने 6 नवंबर को साफ़-साफ़ शब्दों के लिखकर दिया कि बस मार्शलों का मुद्दा सर्विसेज और लॉ एंड ऑर्डर के तहत आता है और ये दोनों एलजी साहब के अधीन है।इसलिए जो भी पॉलिसी बनेगी वो एलजी साहब को ही बनानी होगी।
उन्होंने कहा कि, “इसके बाद हमने एक ऑल मिनिस्टर्स मीटिंग बुलाई और बस मार्शलों को पक्का करने का प्रस्ताव बनाया। और ये भी कहा कि, पॉलिसी को बनने में समय लगेगा तबतक बस मार्शलों को उनकी 31 अक्टूबर 2023 की यथास्थिति में तुरंत प्रभाव से वापिस बसों में तैनात किया जाए।”
सीएम आतिशी ने कहा कि, “13 नवंबर को ऑल मिनिस्टर्स की रिपोर्ट और रिकॉमेंडेशन एलजी साहब को भेजा गया लेकिन इतने दिन बीतने के बाद भी बस मार्शलों को वापिस लगाने का प्रस्ताव एलजी साहब के पास पड़ा है। एलजी साहब इसे अब तुरंत पास करें ताकि तत्काल प्रभाव से बस मार्शलों को बसों में तैनात किया जाए।
नेता प्रतिपक्ष मार्शलों को पक्का करने का प्रस्ताव एलजी साहब से पास करवाए, मैं उनके लिए चुनाव प्रचार करूंगी
सीएम आतिशी ने विधानसभा ने नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता को चुनौती देते हुए कहा कि, “नेता प्रतिपक्ष दिल्ली सरकार द्वारा बस मार्शलों की नियुक्ति के प्रस्ताव पर एलजी साहब से साइन करवाए। अगर नेता प्रतिपक्ष ऐसा करते है तो मैं उनके लिए चुनाव प्रचार करूँगी क्योंकि हमारे लिए एक सीट नहीं बल्कि दिल्ली की महिलाओं की सुरक्षा और ग़रीब परिवारों से आने वाले 10,000 बस मार्शलों की नियुक्ति महत्वपूर्ण है।”