चीन की इकोनॉमी से जुड़ी खराब खबरों के आने का सिलसिला रुक नहीं रहा है। चीन के एक्सपोर्ट (Export from China) में (डॉलर में) गिरावट आई है। सरकार ने 8 अगस्त को इस बारे में बताया। उसने कहा कि जुलाई में एक्सपोर्ट साल दर साल आधार पर 14.5 फीसदी घटा है। इस दौरान इंपोर्ट में 12.4 फीसदी गिरावट आई। एक्सपोर्ट में गिरावट एनालिस्ट्स के अनुमान से ज्यादा है। रायटर्स के एक पोल में निर्यात में 12.5 फीसदी गिरावट का अनुमान जताया गया था। इंपोर्ट्स में 5 फीसदी तक गिरावट का अनुमान था। चीन से अमेरिका को निर्यात में भी 23.1 फीसदी कमी आई है। यूरोपीय यूनियन को एक्सपोर्ट 20.6 फीसदी गिरा। एसोसिएशंस ऑफ साउथइस्ट एशियंश नेशंस को निर्यात में 21.4 फीसदी कमी आई है।
आयात में भी बड़ी गिरावट
रूस से चीन के आयात में जुलाई में 8.1 फीसदी गिरावट आई। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिका और दूसरे देशों की इकोनॉमी में सुस्ती की वजह से इन देशों को चीन का निर्यात घटा है। हालांकि, चीन में घरेलू मांग भी कमजोर बनी हुई है। जुलाई में चीन का क्रूड ऑयल का इंपोर्ट 20.8 फीसदी कम रहा। इंटिग्रेटेड सर्किट का आयात भी करीब 17 फीसदी गिर गया। जुलाई में विदेशी व्यापार में आई गिरावट से चीन के एक्सपोर्ट और इंपोर्ट की कमजोर स्थिति का पता चलता है।
2023 के एक्सपोर्ट के आंकड़े भी निराशाजनक
लंबी अवधि में भी चीन के निर्यात में कमजोरी के संकेत हैं। इस साल (2023) के पहले 7 महीनों में चीन के एक्सपोर्ट में 5 फीसदी गिरावट आई है। इस दौरान इंपोर्ट 7.6 फीसदी गिरा है। हाई वैल्यू के जिन प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट बढा है, उनमें रिफाइंड ऑयल और बैग्स, सूटकेसेज और इसी तरह के दूसरे प्रोडक्ट्स शामिल हैं। इस साल जनवरी से जुलाई के दौरान चीन में पेबर पल्प, कोल प्रोडक्ट्स और एडिबल वेजिटेबल ऑयल के आयात में वृद्धि देखने को मिली।
चीन की इकोनॉमी में एक्सपोर्ट की बड़ी हिस्सेदारी
चीन के निर्यात में गिरावट उसकी इकोनॉमी के लिए अच्छी नहीं है। इसकी वजह यह है कि चीन की जीडीपी में एक्सपोर्ट की ज्यादा हिस्सेदारी है। चीन की इकोनॉमी में एक्सपोर्ट से जुड़ी गतिविधियों का सबसे ज्यादा योगदान रहा है। हालांकि, पिछले कुछ सालों में इसमें कुछ गिरावट देखने को मिली है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन की सरकार इकोनॉमी की रफ्तार बढ़ाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है। कोरोना की महामारी को फैलने से रोकने के लिए चीन की सरकार ने लंबे समय तक अपनी पॉलिसी सख्त बनी रखी। इसका असर चीन की इकोनॉमी पर पड़ा।