New Delhi: दिल्ली सेवा बिल लोकसभा के बाद बीते दिन सोमवार को राज्यसभा में भी पास कर दिया गया है। सेवा बिल पास करने के पक्ष में कुल 131वोट पड़े, जबकि इसके विरोध में 102वोट आये। इस बिल को पास करने के लिए एनडीए (NDA) की तरफ से राज्यसभा में उम्मीद से ज्यादा समर्थन मिला है। वहीं विपक्ष को उम्मीद के मुताबिक कम वोट मिले है।अब सिर्फ इस बिल पर राष्ट्रपति की मुहर लगना बाकी है। जिसके बाद बिल कानून का रूप ले लेगा और इस बील के कानून में बदलते ही दिल्ली पर केंद्र सरकार का कंट्रोल होगा।
उपराज्यपाल को मिलेगें ये अधिकार
इस बिल से उपराज्यपाल को NCCSA (नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी) तरफ से की गई सिफारिशं समेत मुख्य मामलों पर सीर्फ अपना विवेक प्रयोग करने की ताकत देता है।दिल्ली विधानसभा को बुलाने, स्थगित करने और भंग करने का भी अधिकार भी उपराज्यपाल को मिलेगा।
सचिव किसी भी मंत्री से परामर्श लेने के लिए बाध्य नहीं होगा इसके साथ ही वह मामले को सीधा उपराज्यपाल के संज्ञान में ला सकेगा। इसके साथ ही NCCSA की सिफारिशें बहुमत पर आधारित होंगी औरLG के पास या तो सिफारिशों को मंजूरी देने, पुनर्विचार करने के लिए कहने की शक्ति रहेगी, या उपरोक्त किसी भी मामले पर मतभेद के मामले में LG का निर्णय अंतिम होगा।
इस बिल से उपराज्यपाल को लेजिसलेटीव और प्रशासन से जुड़े मामलों पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार मिलता है। जिस कारण दिल्ली सरकार की शक्तियां कम होंगी।
विधेयक लेगा अध्यादेश की जगह
राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह विधेयक अध्यादेश की जगह लेगा। इस बिल से धारा 3ए हटा दी गई है, जो कहती थी कि दिल्ली विधानसभा का सेवाओं पर कोई नियंत्रण नहीं है।यह धारा उपराज्यपाल को अधिक शक्तियां देती थी। हालाँकि, इस विधेयक में एक प्रावधान राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा अथॉरिटी के गठन से संबंधित है। यह अथॉरिटी अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़े फैसले लेगी।
यह अथॉरिटी भूमि, पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था के अलावा अन्यमामलों से संबंधित अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग की सिफारिश करेगा।
इस बिल के अतंगर्त अगर मुख्य सचिव को लगता है कि कैबिनेट का निर्णय गैरकानूनी है तो वह इसे उपाराज्यपाल के पास भेजेंगे। इसके तहत उपराज्यपाल को यह शक्ति मिलेगी कि वह कैबिनेट के किसी भी निर्णय को पलट सकते हैं।
सेवा बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद सतर्कता सचिव चुनी हुई सरकार के प्रति जवाबदेह नहीं होंगे। वे LGके प्रति बनाए गए अथॉरिटी के तहत ही जवाबदेह होंगे।
सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023 में कुछ बदलाव किए हैं। जैसे धारा-3ए जो बिरादरी का हिस्सा था, उसे धारा-3ए से हटा दिया गया है। प्रावधानों के खंड-3-ए में कहा गया है कि सूची II अनुच्छेद 239 की धारा 41 में शामिल किसी भी मामले पर अधिकार क्षेत्र रखने वाले किसी भी न्यायालय के किसी भी निर्णय, आदेश या डिक्री में कुछ भी शामिल होने के बावजूद, उसे कानून बनाने की शक्ति होगी।
दिल्ली सेव बिल भारत के राष्ट्रपति को संघ सूची से जुड़े संसद के किसी भी कानून के लिए बोर्डों,अधिकारियों, वैधानिक निकायों, आयोगों या पदाधिकारियों को नियुक्त करने का अधिकार देता है।
NCCSAकी सिफारिशें बहुमत पर आधारित होंगी। किसी भी मतभेद के मामले पर LGका निर्णय ही अंतिम होगा।