BSP Crisis, Mayawati, Ashok Siddharth Expelled: बहुजन समाज पार्टी (BSP) की मुखिया मायावती (Mayawati) ने एक बड़ा फैसला लेते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ (Ashok Siddharth) को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इस फैसले की जानकारी खुद मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की। उन्होंने कहा कि अशोक सिद्धार्थ और पूर्व सांसद नितिन सिंह (Nitin Singh) पार्टी विरोधी गतिविधियों और गुटबाजी में शामिल थे, जिसकी वजह से उन्हें तत्काल प्रभाव से निष्कासित किया जा रहा है।
बीएसपी की ओर से ख़ासकर दक्षिणी राज्यों आदि के प्रभारी रहे डा अशोक सिद्धार्थ, पूर्व सांसद व श्री नितिन सिंह, ज़िला मेरठ को, चेतावनी के बावजूद भी गुटबाजी आदि की पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण पार्टी के हित में तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित किया जाता है।
— Mayawati (@Mayawati) February 12, 2025
मायावती का बड़ा एक्शन, पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप
मायावती ने अपने बयान में कहा कि बसपा (BSP) दक्षिण भारत समेत कई राज्यों में अपने संगठन को मजबूत करने के प्रयास कर रही थी, लेकिन अशोक सिद्धार्थ लगातार गुटबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए। पहले भी उन्हें इस बारे में चेतावनी दी गई थी, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज किया। इसके बाद बसपा सुप्रीमो ने कड़ा कदम उठाते हुए उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया।
BSP का जनाधार खिसक रहा, संगठन को बचाने की कोशिश में मायावती
बसपा पिछले कुछ सालों में अपना राजनीतिक जनाधार तेजी से खो रही है। यूपी (Uttar Pradesh) में कभी मजबूत मानी जाने वाली पार्टी अब चुनाव दर चुनाव कमजोर हो रही है। मायावती अपने संगठन को फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रही हैं।
इसी मकसद से उन्होंने हाल ही में अपने जन्मदिन के बाद वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में सदस्यता अभियान, संगठन विस्तार, कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण शिविर और संभावित गठजोड़ पर चर्चा की गई थी।
BSP के कमजोर प्रदर्शन की वजह क्या है?
बसपा को 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद से ही लगातार झटके लग रहे हैं। पार्टी ने पिछले साल हुए यूपी विधानसभा उपचुनाव (UP By-Election) में नौ सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन कहीं भी जीत हासिल नहीं कर पाई।
- कई सीटों पर तो बसपा उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा सके।
- इससे पहले लोकसभा चुनाव के साथ हुए पांच उपचुनावों में भी बसपा को हार का सामना करना पड़ा था।
BSP का कमजोर प्रदर्शन और अंदरूनी गुटबाजी पार्टी के लिए बड़ी समस्या बन गई है, जिसके चलते मायावती अब पार्टी में सख्ती से अनुशासन लागू कर रही हैं।
क्या BSP गठबंधन की राह पर जाएगी?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बसपा अब गठबंधन (Alliance) की रणनीति अपना सकती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party – SP) और राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के साथ गठबंधन किया था और उसे कुछ सफलता भी मिली थी।
हालांकि, बाद में यह गठबंधन टूट गया और 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा पूरी तरह फेल हो गई।
अब सवाल यह है कि क्या मायावती 2024 लोकसभा चुनाव के लिए फिर किसी बड़े दल से गठबंधन करेंगी?
बसपा के अंदरूनी संकट और गुटबाजी को रोकने के लिए मायावती ने अशोक सिद्धार्थ और नितिन सिंह को बाहर कर दिया। यह फैसला संगठन को मजबूत करने के लिए लिया गया है।
अब देखना होगा कि क्या यह बदलाव बसपा के जनाधार को बढ़ाने में मदद करेगा या पार्टी की मुश्किलें और बढ़ेंगी।