Delhi Assembly Elections 2025 – आम आदमी पार्टी (AAP) को दिल्ली में करारी हार का सामना करना पड़ा। अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) जैसे बड़े नेता भी अपनी सीट बचाने में असफल रहे। बीजेपी (BJP) ने इस बार ऐतिहासिक जीत दर्ज की और आम आदमी पार्टी को सत्ता से बाहर कर दिया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर AAP ने कांग्रेस (Congress) के साथ गठबंधन किया होता, तो शायद केजरीवाल और सिसोदिया चुनाव जीत सकते थे। लेकिन गठबंधन ना होने की वजह से ‘आप’ के दिग्गज नेता हार गए।
क्यों हारे Arvind Kejriwal और Manish Sisodia?
दिल्ली चुनावों से पहले कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन की चर्चा जोरों पर थी। ऐसा माना जा रहा था कि अगर AAP और कांग्रेस साथ में चुनाव लड़ते, तो बीजेपी के खिलाफ मजबूत मोर्चा बनता। लेकिन अंत में AAP और Congress ने अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया, और इसका सीधा फायदा बीजेपी को हुआ।
- नई दिल्ली (New Delhi) विधानसभा सीट पर अरविंद केजरीवाल 4,089 वोटों से हार गए।
- जंगपुरा (Jangpura) विधानसभा सीट पर मनीष सिसोदिया 675 वोटों से हारे।
- इन दोनों ही सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को हार के अंतर से ज्यादा वोट मिले, जिससे साफ होता है कि अगर कांग्रेस के वोट AAP को मिलते, तो नतीजे अलग हो सकते थे।
Arvind Kejriwal की हार का विश्लेषण
नई दिल्ली सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार परवेश वर्मा (Parvesh Verma) ने अरविंद केजरीवाल को 4,089 वोटों से हरा दिया।
- परवेश वर्मा को 30,088 वोट मिले।
- अरविंद केजरीवाल को 25,999 वोट मिले।
- कांग्रेस के उम्मीदवार संदीप दीक्षित (Sandeep Dikshit) को 4,568 वोट मिले।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि केजरीवाल की हार का अंतर (4,089) कांग्रेस प्रत्याशी को मिले वोटों (4,568) से कम था। इसका मतलब यह हुआ कि अगर कांग्रेस और AAP साथ चुनाव लड़ते, तो केजरीवाल यह सीट जीत सकते थे।
Manish Sisodia की हार का विश्लेषण
AAP के वरिष्ठ नेता और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को जंगपुरा विधानसभा सीट पर बीजेपी के योगेश शर्मा (Yogesh Sharma) से हार मिली।
- योगेश शर्मा को 35,210 वोट मिले।
- मनीष सिसोदिया को 34,535 वोट मिले।
- कांग्रेस के उम्मीदवार को 2,000 से ज्यादा वोट मिले।
यहां भी अगर कांग्रेस और AAP का गठबंधन होता, तो मनीष सिसोदिया की हार को रोका जा सकता था।
AAP की हार के पीछे कौन-से बड़े कारण रहे?
- गठबंधन ना होना: AAP और Congress ने अलग-अलग चुनाव लड़ा, जिससे वोट बंट गए और बीजेपी को फायदा हुआ।
- BJP की आक्रामक रणनीति: बीजेपी ने इस बार दिल्ली में पूरी ताकत झोंक दी और AAP के खिलाफ मजबूत अभियान चलाया।
- मनीष सिसोदिया की गैर-मौजूदगी: शराब नीति घोटाले के आरोपों में मनीष सिसोदिया के जेल में रहने से AAP कमजोर हुई।
- Anti-Incumbency: दिल्ली में 11 साल से सरकार में रहने की वजह से AAP के खिलाफ जनता में नाराजगी बढ़ी।
क्या गठबंधन होता तो AAP बचा पाती सत्ता?
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, अगर कांग्रेस और AAP साथ मिलकर चुनाव लड़ते, तो नतीजे पूरी तरह से बदल सकते थे। कई सीटों पर कांग्रेस और AAP के वोट जोड़ दिए जाएं, तो वे बीजेपी को हराने के लिए काफी थे।
लेकिन अब हार के बाद अरविंद केजरीवाल और AAP को इस फैसले पर दोबारा विचार करना होगा। क्या वे 2029 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन करेंगे? यह देखने वाली बात होगी।
दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी की हार के पीछे सबसे बड़ा कारण विपक्षी वोटों का बंटवारा रहा। अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया दोनों ही गठबंधन ना करने की गलती की वजह से हार गए।
अब सवाल यह है कि क्या AAP आने वाले चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन करेगी? या फिर वह 2029 के लोकसभा चुनाव में अकेले ही मैदान में उतरेगी?
आपको क्या लगता है? अगर AAP और कांग्रेस साथ होते तो क्या केजरीवाल जीत जाते? अपनी राय नीचे कमेंट में बताएं!