चंडीगढ़, 2 अक्टूबर (The News Air) आम आदमी पार्टी (आप) ने पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया के उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि पंजाब सरकार एसडीआरएफ (स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड) को अपना फंड समझ रही है और नियमों में तब्दीली (बदलाव) संभव नहीं है।
‘आप’ के सीनियर नेता बलतेज पन्नू और प्रवक्ता नील गर्ग ने इस मामले पर केंद्र की भाजपा सरकार और राज्यपाल के बयान को गैर-जरूरी करार देते हुए स्पष्ट किया कि एसडीआरएफ असल में स्टेट डिजास्टर फंड ही है और यह राशि केंद्र सरकार राज्यों के लिए इसीलिए रखती है ताकि आपदा या इमरजेंसी के समय इसका उपयोग किया जा सके। उन्होंने केंद्र सरकार पर इलज़ाम लगाया कि जब कुदरत की करोपी (प्रकृति का प्रकोप) इतनी बड़ी हो, तो नियमों पर अड़े रहने का भाव सिर्फ़ यह है कि केंद्र की सरकार मुल्क की सबसे बड़ी त्रासदी के समय पंजाब के साथ खड़ा होना ही नहीं चाहती।
बलतेज पन्नू ने राज्यपाल को संवैधानिक मुद्दों पर घेरते हुए सवाल किया कि जब प्रधानमंत्री किसी राज्यपाल को तो बार-बार मिल सकते हैं, पर चुने हुए मुख्यमंत्री को मिलने का समय नहीं देते, तो ‘इलेक्टेड’ और ‘सिलेक्टेड’ वाला यह नियम किस जगह पर लागू होता है? उन्होंने चेतावनी दी कि पंजाब इस समय बाढ़ों से सबसे अधिक नुकसान झेल रहा है और इस मुश्किल समय में हर बात पर आनाकानी करना केंद्र सरकार के लिए शोभा नहीं देता। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब-जब देश को जरूरत पड़ी है, पंजाब हमेशा हर जगह पर देश के साथ डट कर खड़ा रहा है।
आप के सीनियर प्रवक्ता नील गर्ग ने राज्यपाल और केंद्र सरकार के इस रुख को पूरी तरह लोक-विरोधी बताया। उन्होंने कहा कि किसी भी वेलफेयर स्टेट में नियम हमेशा लोगों की भलाई के लिए बनाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि एसडीआरएफ के नियम 2010 में बने थे, पर आज महंगाई तीन गुना बढ़ चुकी है। इसलिए आज के समय में 6800 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा नामंजूर है, जबकि तब डीजल का रेट भी 38 रुपये लीटर था। नील गर्ग ने बताया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी (पत्र) का डेढ़ महीना होने पर भी जवाब न देना बेहद अफ़सोसजनक है।
नील गर्ग ने इस बात पर ज़ोर दिया कि गृह मंत्री के दफ्तर और राज्यपाल का बयान सिर्फ़ यह दर्शाता है कि केंद्र सरकार एसडीआरएफ के नियमों में तब्दीली करने के मूड में नहीं है। उन्होंने केंद्र को अड़ियल रवैया छोड़ने की सलाह देते हुए कहा कि अगर हम सही मायनों में लोगों की सहायता करनी चाहते हैं, तो नियम बदलना समय की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि भले ही यह आपदा पंजाब में है, पर इससे लोगों को मिलने वाला पैसा हिन्दुस्तान के टैक्सपेयरों का ही है।
‘आप’ ने केंद्र सरकार को एक बार फिर गुज़ारिश (अनुरोध) की है कि वह लोक-हितों की सरकारों की तरह सोचें और नियमों में बिना किसी देरी के तब्दीली करके पंजाब के लोगों की मदद करें।






