नई दिल्ली, 4 सितंबर (The News Air)
केंद्रीय जांच ब्यूरो यानि सीबीआई की कार्यशैली से नाराज़ सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसी से सक्सेस रेट बताने को कहा है। सीबीआई द्वारा मुक़दमा चलाए जा रहे मामलों में अत्यधिक देरी का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अदालती मामलों में एजेंसी की सफलता दर (सक्सेस रेट) पर डेटा मांगा है। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट सीबीआई के प्रदर्शन का मूल्यांकन कर सकता है। दरअसल, एक मामले में सीबीआई द्वारा 542 दिनों की देरी के बाद अपील दायर किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराज़गी व्यक्त की और उसने केंद्रीय एजेंसी के कामकाज और उसके परफॉर्मेन्स का विश्लेषण करने का फ़ैसला किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक़ सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई निदेशक को निर्देश दिया है कि वह उन मामलों की संख्या को कोर्ट के सामने रखें, जिनमें एजेंसी ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्टों में अभियुक्तों को दोषी ठहराने में सफल रही। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि सीबीआई निदेशक क़ानूनी कार्यवाही के के संबंध में विभाग को मज़बूत करने के लिए क्या क़दम उठा रहे हैं? जस्टिस संजय किशन कौल और एमएम सुंदरेश की बेंच ने कहा कि सीबीआई की कुछ जवाबदेही होनी चाहिए।
दो जजों जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि एजेंसी के लिए केवल मामला दर्ज़ करना और जांच करना ही काफ़ी नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि अभियोजन सफलतापूर्वक किया जाए। पीठ ने सीबीआई से अभी निपटाए जा रहे केसों और सफलतापूर्वक पूरे किए गए मामलों का पूरा विवरण मांगा है। सीबीआई को यह भी ब्योरा देने के लिए कहा गया है कि अदालतों में कितने मामले लंबित हैं और कितने समय से हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपील दायर करने में अत्यधिक देरी के लिए सीबीआई की खिंचाई की है। सुप्रीम कोर्ट ने अब एक क़दम आगे बढ़ाते हुए अन्य मामलों में भी एजेंसी के प्रदर्शन का विश्लेषण करने का फ़ैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट की इस पीठ ने कहा कि हम सीबीआई की सफलता दर की जांच करेंगे। दरअसल, पीठ 2018 में सीबीआई द्वारा दायर एक साल से अधिक समय पर एक अपील से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने अपना फ़ैसला सुनाया था।
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