The News Air: जनरल मनोज पांडे ने शनिवार को भारत के 29वें आर्मी चीफ़ के रूप में पदभार संभाला। जनरल एमएम नरवणे ने बैटन सौंपकर उन्हें आर्मी चीफ़ की कुर्सी पर बैठाया। ऐसा पहली बार है कि जब सेना की इंजीनियरिंग कोर का कोई अधिकारी आर्मी चीफ़ बना है। इससे पहले, इन्फैंट्री, आर्मर्ड और आर्टिलरी अधिकारी ही आर्मी चीफ़ बनते रहे हैं।
ऑपरेशन पराक्रम को कर चुके हैं लीड
नेशनल डिफेंस एकेडमी के 1982 बैच से पास आउट मनोज पांडे इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से आने वाले पहले आर्मी चीफ़ हैं। पांडे ने जम्मू-कश्मीर के LOC पल्लनवाला में चलाए गए ऑपरेशन पराक्रम को लीड किया है। यह ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर में 2001 में संसद हमले के बाद चलाया गया था, जिसमें आतंकियों के हथियार सप्लाई के नेक्सस का खुलासा किया गया था। इस ऑपरेशन में बड़ी संख्या में आतंकी मारे गए थे।
चीन बॉर्डर पर काम करने पर एक्सपीरिएंस
जनरल मनोज पांडे चीन से सटे ईस्टर्न कमांड में कमांडर और ब्रिगेडियर स्टाफ़ के पद पर काम कर चुके हैं। वे लद्दाख़ इलाक़े के माउंटेन डिवीजन में इंजीनियर ब्रिगेड के पद पर तैनात रह चुके हैं। वहीं नॉर्थ-ईस्ट रीजन में भी लेफ्टिनेंट जनरल रहते कई ऑपरेशन में भाग ले चुके हैं। इसके अलावा, वे अंडमान-निकोबार में बतौर कमांडर भी काम कर चुके हैं। जनरल पांडे परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित हो चुके हैं।
पिता मनोचिकित्सक और मां रेडियो अनाउंसर थीं
जनरल मनोज पांडे के पिता डॉ. सीजी पांडे एक नामचीन मनोचिकित्सक हैं। वो कई साल तक नागपुर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में हेड के रूप में कार्यरत रहे। उनकी माता प्रेमा पांडे ऑल इंडिया रेडियो में अनाउंसर थीं। जनरल की माता जी अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा पेश किया जाने वाले ‘बेला के फूल’ कार्यक्रम आज भी लोग याद करते हैं।