The News Air- मिशन 2024 को लेकर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सोनिया गांधी के आवास पर शनिवार को 4 घंटे तक प्रजेंटेशन दिया। PK ने रोडमैप में बताया कि पार्टी लोकसभा की 370 सीटों पर फोक्स के साथ ही महाराष्ट्र, बंगाल और तमिलनाडु में गठबंधन, जबकि ओडिशा, बिहार और यूपी में ‘एकला चलो’ की नीति अपनाए। सूत्रों के मुताबिक़ PK के प्रजेंटेशन से राहुल गांधी सहमत थे।
प्रशांत का पहला सुझाव- 370 सीटों पर फोक्स करे पार्टी
मीटिंग में PK ने कांग्रेस को सुझाव दिया कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कुल 543 सीटों में से सिर्फ़ 370 सीटों पर फोक्स करे। इनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल और गुजरात की अधिकांश सीटें शामिल है।
सुझाव के पीछे की रणनीति: दरअसल, 2019 के आम चुनाव कांग्रेस पार्टी 52 सीटें ही जीत पाई। पार्टी 210 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही। यानी देश में लोकसभा की 262 सीटें ऐसी है, जहां पर भाजपा से कांग्रेस का सीधा मुक़ाबला रहा। इसके अलावा, 2009 के आम चुनाव में कांग्रेस 350 सीटों पर पहले या दूसरे नंबर पर रही। PK ने इसी को आधार बनाकर 370 सीटों पर फोक्स करने का सुझाव दिया।
PK का दूसरा सुझाव: बिहार-यूपी और ओडिशा में एकला चलो
प्रशांत किशोर ने अपने प्रजेंटेशन में कांग्रेस को दूसरा बड़ा सुझाव दिया कि बिहार, यूपी और ओडिशा में कांग्रेस अकेले चुनाव लड़े। इन राज्यों में लोकसभा की कुल 140 सीटें हैं। सियासी गलियारों में दिल्ली का रास्ता यूपी-बिहार से होकर जाने का मुहावरा प्रचलित है। ऐसे में दोनों बड़े राज्यों में कांग्रेस के एकला चलो की रणनीति के पीछे क्या मायने हो सकते हैं?
सुझाव के पीछे की रणनीति: बिहार, यूपी और ओडिशा में कांग्रेस के पास कोई भरोसेमंद सहयोगी नहीं है। राजद के साथ बिहार में मिलकर कांग्रेस चुनाव लड़ चुकी है, लेकिन लोकसभा में कोई फ़ायदा नहीं हुआ। वहीं यूपी की बड़ी क्षेत्रीय पार्टी सपा और बसपा कांग्रेस के साथ गठबंधन करना नहीं चाहती है। आइए जानते हैं PK के इस स्ट्रेटजी के बारे में…
पहले बात बिहार की करते हैं, बिहार में 2020 के असेंबली इलेक्शन तक कांग्रेस राजद के साथ मिलकर महा गठबंधन में चुनाव लड़ रही थी। लेकिन पिछले कुछ महीनों से दोनों की राहें अलग हो गई है। बिहार में लोकसभा की 40 सीट है, जिसमें से 39 पर भाजपा और जदयू की गठबंधन ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस के खाते में एक सीट आई थी। बिहार में लोकसभा चुनाव का ट्रेंड देखें तो, वहाँ पर विधानसभा की तुलना में कांग्रेस और राजद गठबंधन फिसड्डी साबित हुआ है।
अब बात सबसे बड़े राज्य यूपी की, यूपी में कांग्रेस के उत्थान का ज़िम्मा प्रियंका गांधी को दिया गया है। हालांकि, प्रियंका 2019 के लोकसभा और 2022 के विधानसभा चुनाव में सफल नहीं रही हैं। इसके बावज़ूद पीके ने यूपी में गठबंधन नहीं करने की सलाह दी है। दरअसल, यूपी में बिहार जैसी स्थिति है। यहां लोकसभा चुनाव में क्षेत्रिय पार्टियां तमाम प्रयोग के बावज़ूद भाजपा के मुक़ाबले बेहतर परफॉर्मेंस नहीं कर पाई है। ऐसे में PK लोकसभा चुनाव में ‘एकला चलो’ की नीति अपना कर भाजपा से सीधी फाइट की रणनीति का सुझाव दे रहे हैं।
और ओडिशा में पटनायक फैक्टर…
ओडिशा में पिछले 22 साल से सत्ता में नवीन पटनायक क़ाबिज़ हैं। यहां पर कांग्रेस में विपक्ष में है। हालांकि, पार्टी लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हारी थी। ओडिशा में गठबंधन नहीं करने के पीछे की दो रणनीति हो सकती है।
- पटनायक पिछले 18 साल से केंद्र में किसी भी दल का ना तो खुलकर सपोर्ट किया है और ना ही विरोध।
- ओडिशा में कांग्रेस अकेले लड़ने के पीछे गठबंधन को बड़ा नहीं करने की रणनीति है, जिससे भाजपा मोदी वर्सेज ऑल का नैरेटिव सेट कर सके।
PK का तीसरा सुझाव- बंगाल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में गठबंधन करो
PK ने कांग्रेस को अपने प्रजेंटेशन सलाह दी है कि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में मज़बूत गठबंधन बनाए। इन राज्यों में लोकसभा की 139 सीटें है। महाराष्ट्र, और तमिलनाडु में कांग्रेस गठबंधन में शामिल हैं।
सुझाव के पीछे की रणनीति: गठबंधन करने के पीछे महाराष्ट्र में शरद पवार और बंगाल में ममता बनर्जी कांग्रेस की उपज है। वहीं तमिलनाडु में स्टालिन की पार्टी DMK लगातार केंद्र के ख़िलाफ़ मुखर है।
बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार है और दीदी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) लोकसभा चुनाव में भी बेहतर परफॉर्मेंस करती है। 2019 के चुनाव में ममता की पार्टी ने 42 में से 22 सीटें जीती थी। दो सीटों पर कांग्रेस ने भी जीत हासिल की थी। ऐसे में अगर यहां ममता के साथ कांग्रेस गठबंधन करती है, तो 2024 में बंगाल का पॉलिटिकल सिनेरियो बदल सकती है।
बात महाराष्ट्र की करें, तो यहां पर कांग्रेस, शिवसेना और NCP का गठबंधन है। हालांकि, 2019 में तीनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ी थीं। 48 सीटों वाले महाराष्ट्र में अगर तीनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ती हैं, तो यहां भी कांग्रेस को फ़ायदा हो सकता है। तमिलनाडु में भी कांग्रेस का स्टालिन की पार्टी DMK के साथ गठबंधन है। दोनों दलों के गठबंधन ने 2019 में 39 में से 38 सीटों पर जीत दर्ज़ की थी।
अब आगे क्या होगा?
प्रशांत किशोर के प्रजेंटेशन के बाद कांग्रेस ने एके एंटोनी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अंबिका सोनी की एक कमेटी बनाई है। सूत्रों के मुताबिक़ मीटिंग में मौजूद नेताओं ने पीके को कांग्रेस जॉइन करने के लिए कहा है। हालांकि, पीके किस पोस्ट के लिए काम करेंगे, इस पर सस्पेंस है। एक इंटरव्यू में PK ने कहा था कि 2 मई तक कोई ना कोई फ़ैसला कर ही लूंगा