The News Air- पंजाब में कांग्रेस किसी सांसद को पार्टी की कमान सौंप सकती है। 2 साल बाद 2024 में लोकसभा चुनाव हैं। ऐसे में पंजाब की 13 सीटों पर जीत के लिए कांग्रेस में इस बात पर मंथन चल रहा है। नए प्रधान पद के लिए प्रदेश कमेटी की तरफ़ से भेजे नाम में सांसद रवनीत बिट्टू और चौधरी संतोख सिंह शामिल हैं। वहीं गिदड़बाहा से विधायक अमरिंदर राजा वड़िंग और सुखजिंदर रंधावा भी इस दौड़ में हैं। हालांकि नवजोत सिद्धू दूसरी बार प्रधानगी पद मांग रहे हैं। राजा वड़िंग को जरुर राहुल गांधी से नज़दीकी का फ़ायदा मिल सकता है। इसके अलावा पंजाब की राजनीति में वापस लौटे विधायक प्रताप सिंह बाजवा भी इशारों में दावेदारी ठोक चुके हैं।
गुटबाज़ी को थामने पर माथापच्ची
पंजाब में कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी टेंशन गुटबाज़ी को थामने की है। कांग्रेस में इस वक़्त नवजोत सिद्धू के अलावा सुनील जाखड़, माझा की दिग्गज तिकड़ी सुखजिंदर रंधावा, तृप्त राजिंदर बाजवा और सुख सरकारिया अलग-अलग चल रहे हैं। वहीं पार्टी के सभी सांसद इन सबसे अलग रास्ते पर हैं। ऐसे में कांग्रेस की कोशिश है कि दो साल बाद लोकसभा चुनाव में इसका नुक्सान न हो, इसलिए कांग्रेस सांसदों पर फोक्स कर रही है।
आपसी लड़ाई से 77 सीटों वाली कांग्रेस 18 पर सिमटी
पंजाब में कांग्रेस की आपसी लड़ाई से विधानसभा चुनाव में करारी हार हुई। 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थी। तब भी पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) की लहर चल रही थी। इस बार आप की सूनामी के बीच कांग्रेस 18 सीटों पर सिमटकर रह गई।
इसकी बड़ी वजह नवजोत सिद्धू, चरणजीत चन्नी और सुनील जाखड़ की गुटबाज़ी और बयानबाज़ी को ठहराया जा रहा है। सुनील जाखड़ ने चुनाव नहीं लड़ा लेकिन भतीजे को जिता दिया। वहीं सिद्धू अमृतसर ईस्ट और चरणजीत चन्नी चमकौर साहिब और भदौड़ सीट से चुनाव हार गए।
सिद्धू डाल रहे दबाव
नवजोत सिद्धू दूसरी बार प्रधानगी के लिए कांग्रेस हाईकमान पर दबाव डाल रहे हैं। सिद्धू ने हाल ही में पंजाब के 24 नेताओं से मीटिंग की। जिसमें चुनाव हारे उम्मीदवारों के साथ विधायक सुखपाल खैहरा और बलविंदर धालीवाल भी शामिल हुए। सिद्धू खेमे का तर्क है कि चरणजीत चन्नी को सीएम चेहरा बनाते वक़्त ही राहुल गांधी को स्पष्ट कर दिया गया था कि हार या जीत के ज़िम्मेदार सिद्धू नहीं होंगे। इसलिए अब उन्हें प्रधानगी से हटाना उचित नहीं है।