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मुख्यमंत्री ने अमित शाह से मुलाकात की, बाढ़ प्रभावित पंजाब के लिए विशेष पैकेज की मांग की

बाढ़ पीड़ितों के लिए मुआवजे को बढ़ाने हेतु एस.डी.आर.एफ./एन.डी.आर.एफ. नियमों में संशोधन की मांग

The News Air by The News Air
मंगलवार, 30 सितम्बर 2025
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नई दिल्ली, 30 सितंबर (The News Air) पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और हाल ही में आई भयानक बाढ़ों के कारण हुए भारी नुकसान को देखते हुए राज्य के लिए विशेष पैकेज की मांग की।

मुख्यमंत्री ने अमित शाह से उनके आवास पर मुलाकात की और बाढ़ पीड़ितों को एस.डी.आर.एफ./एन.डी.आर.एफ. से मुआवजा दिलाने के लिए नियमों में संशोधन की मांग की। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री को बताया कि पंजाब ने दशकों बाद अपनी सबसे भयानक बाढ़ों में से एक का सामना किया है, जिससे 2614 गांवों के 20 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं और 6.87 लाख लोग बेघर हो गए हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इस आपदा ने व्यापक नुकसान पहुंचाया है, क्योंकि 4.8 लाख एकड़ से अधिक फसलें नष्ट हो गई हैं, 17,000 से अधिक घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, 2.5 लाख से अधिक पशु प्रभावित हुए हैं, और 4657 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें, 485 पुल, 1417 पुलियां और 190 मंडियां बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नुकसान का प्रारंभिक अनुमान 13,832 करोड़ रुपये है, जिसमें कृषि, बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका का नुकसान शामिल है। उन्होंने कहा कि मौजूदा एस.डी.आर.एफ./एन.डी.आर.एफ. मानदंड नुकसान के वास्तविक पैमाने की पूर्ति के लिए अपर्याप्त हैं। उन्होंने कहा कि जहां फसलों का नुकसान 33 प्रतिशत और उससे अधिक है, वहां गृह मंत्रालय द्वारा प्रति एकड़ 6800 रुपए का मुआवजा दिया जाता है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि किसानों को इतना कम मुआवजा देना सरासर अन्याय होगा, क्योंकि फसलें लगभग तैयार थीं। इसलिए, किसानों को कम से कम 50,000 रुपए प्रति एकड़ का भुगतान किया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने पहले ही मंत्रालय के समक्ष यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने बताया कि अभी तक इसका कोई जवाब नहीं मिला है, इसलिए राज्य ने मुआवजे को बढ़ाने के लिए अपने स्तर पर राज्य बजट से हिस्सा बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने एस.डी.आर.एफ. नियमों के तहत 26 से 33 प्रतिशत फसल नुकसान के मुआवजे को मौजूदा 2000 रुपए प्रति एकड़ से बढ़ाकर 10,000 रुपए प्रति एकड़, 33 से 75 प्रतिशत फसल नुकसान के मुआवजे को मौजूदा 6800 रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपए प्रति एकड़, और 75 से 100 प्रतिशत फसल नुकसान के मुआवजे को मौजूदा 6800 रुपए से बढ़ाकर 20,000 रुपए प्रति एकड़ करने का फैसला किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को दिए जाने वाले 20,000 रुपए प्रति एकड़ मुआवजे में राज्य सरकार का योगदान 14,900 रुपए होगा, जो पूरे देश में सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि पूरी तरह से क्षतिग्रस्त/ढह चुके घरों के लिए मुआवजा मौजूदा 1.20 लाख रुपए से दोगुना करके 2.40 लाख रुपए किया जाना चाहिए। भगवंत सिंह मान ने कहा कि आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों (झुग्गी-झोपड़ियों को छोड़कर) के लिए मौजूदा 6500 रुपए से बढ़ाकर 50,000 रुपए प्रति घर किया जाना चाहिए, जबकि कच्चे मकानों के लिए मुआवजा मौजूदा 4000 रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपए किया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि घरों से सटे पशुओं के बाड़ों के लिए मौजूदा मुआवजा 3000 रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपए किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि पंजाब ने इस साल 1988 के बाद अब तक की सबसे भयानक बाढ़ों का सामना किया है और प्रारंभिक मूल्यांकन के अनुसार, इस प्राकृतिक आपदा के परिणामस्वरूप लगभग 1900 गांव डूब गए हैं, जिससे किसानों को भारी परेशानी हुई है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इस आपदा का सबसे अधिक नुकसान किसानों को उठाना पड़ा है, जिसमें लगभग चार लाख एकड़ जमीन पर फसलों का नुकसान हुआ है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरदासपुर, अमृतसर, फाजिल्का, कपूरथला और फिरोजपुर सबसे अधिक प्रभावित जिले हैं, इसलिए सावन मंडीकरण सीजन 2025-26 के लिए पंजाब को विशेष छूट दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, भारत सरकार प्राथमिकता के आधार पर सावन खरीद सीजन 2025-26 के दौरान धान की खरीद के लिए मानकों में छूट दे सकता है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है ताकि प्राकृतिक आपदा के कारण हुए भारी नुकसान के अलावा किसानों को किसी अन्य परेशानी का सामना न करना पड़े।

सीमावर्ती बुनियादी ढांचे को बाढ़ से बचाने के लिए कार्यों के लिए धन के मुद्दे को उठाते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ऐसी जगहें हैं जहां रावी और सतलुज नदियां कई बार अंतरराष्ट्रीय सीमा को पार करती हैं। उन्होंने कहा कि ये नदियां समय के साथ अपना रास्ता भी बदलती रहती हैं। पंजाब को नदियों के रास्ता बदलने के कारण जमीनों के नदी में बह जाने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी कोशिश कर रही है कि किसानों की जमीन और अन्य बुनियादी ढांचे का न्यूनतम नुकसान हो।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हर साल कई जगहों पर बाढ़ सुरक्षा के लिए प्रबंध किए जाते हैं, लेकिन राज्य सरकार के पास धन की कमी के कारण अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर बाढ़ से बचाव के लिए आवश्यक धन उपलब्ध कराना संभव नहीं है। उन्होंने गृह मंत्री को अवगत कराया कि बी.एस.एफ. के साथ हुई बैठक के दौरान यह बात सामने आई है कि बी.एस.एफ. द्वारा संचालित सीमा चौकियों को बाढ़ का खतरा है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि सीमावर्ती जिलों के उपायुक्तों ने बी.एस.एफ. से एकत्रित परियोजनाओं की सूची प्रदान की है, जिन्हें बाढ़ से तत्काल सुरक्षा की आवश्यकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 175.96 करोड़ रुपए की एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डी.पी.आर.) कार्यों को लागू करने के लिए धन जारी करने हेतु सी.डब्ल्यू.सी. और एन.डी.एम.ए., नई दिल्ली को सौंपी गई थी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले एक साल के दौरान सी.डब्ल्यू.सी. और एन.डी.एम.ए. के साथ कई बैठकें की हैं। हालांकि, इनके जवाब की अभी भी प्रतीक्षा की जा रही है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इसलिए अनुरोध किया जाता है कि कार्यों को समय पर पूरा करने के लिए आवश्यक धन जल्द से जल्द जारी किया जाए।

आर.डी.एफ. और मंडी शुल्क के 11297 करोड़ रुपए के बकाया के मुद्दे को उठाते हुए, मुख्यमंत्री ने खेद व्यक्त किया कि पंजाब ग्रामीण विकास अधिनियम-1987 की धारा 7 और पंजाब कृषि उपज विपणन अधिनियम-1961 की धारा-23 के तहत भुगतान की स्पष्ट व्यवस्था के बावजूद ग्रामीण विकास शुल्क और मंडी शुल्क का भुगतान राज्य सरकार को नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस फंड का उद्देश्य कृषि और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देना है, जो अंततः ग्रामीण सड़क नेटवर्क, मंडियों के बुनियादी ढांचे, भंडारण सुविधाओं का विस्तार, भूमि रिकॉर्ड का कम्प्यूटरीकरण, मंडियों का स्वचालन और मशीनीकरण आदि के माध्यम से कृषि के समग्र विकास में योगदान देता है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य सरकार ने डी.एफ.पी.डी., भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार पंजाब ग्रामीण विकास अधिनियम-1987 में संशोधन किया है, लेकिन डी.एफ.पी.डी. के सभी निर्देशों का पालन करने के बावजूद सावन खरीद सीजन-2021-22 से राज्य सरकार को आर.डी.एफ. का बकाया हिस्सा नहीं मिला है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन फंडों का भुगतान न होने के कारण राज्य को गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है, जिसका ग्रामीण बुनियादी ढांचे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास और रखरखाव पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने गृह मंत्री से अपील की कि आर.डी.एफ. और मंडी शुल्क का भुगतान जल्द से जल्द पंजाब को किया जाए ताकि बुनियादी ढांचे के विकास के कार्य को तेज किया जा सके। भगवंत सिंह मान ने पंजाब में आढ़तियों का कमीशन कम करने का मुद्दा भी उठाया और कहा कि पंजाब में आढ़तियों का कमीशन पंजाब कृषि उत्पाद विपणन अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के अनुसार एम.एस.पी. के 2.5 प्रतिशत के हिसाब से देय है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2019-20 के खरीद सीजन से आढ़तियों के कमीशन में कोई बदलाव नहीं किया गया है और वर्तमान समय में यह कमीशन गेहूं के लिए 46 रुपए/क्विंटल और धान के लिए 45.88 रुपये/क्विंटल तक सीमित है। पंजाब कृषि उत्पादन विपणन अधिनियम, 1961 के अनुसार, आढ़तियों को सावन खरीद सीजन-2025-26 के लिए एम.एस.पी. के 2.5 प्रतिशत अर्थात 59.73 रुपए/क्विंटल के हिसाब से आढ़तिया कमीशन देय है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि डी.एफ.पी.डी., भारत सरकार ने धान के लिए 45.88 रुपए/क्विंटल की दर से आढ़तिया कमीशन देने की मंजूरी दी है, जिसके कारण आढ़तियों में बेचैनी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा इन मुद्दों के तत्काल समाधान के लिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग, भारत सरकार से अनुरोध किया जा रहा है, लेकिन ये मुद्दे अभी भी लंबित हैं। उन्होंने कहा कि मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुए, इनके समाधान में देरी से आढ़तिया समुदाय में बेचैनी या संघर्ष शुरू हो सकता है, जिससे राज्य में सुचारू खरीद प्रक्रिया में व्यवधान पड़ सकता है। भगवंत सिंह मान ने केंद्रीय गृह मंत्री से अपील की कि आढ़तिया कमीशन की दरों को जल्द अंतिम रूप देने/संशोधन करने के लिए निर्देश दिए जाएं।

पंजाब से पी.ई.जी. स्कीम के तहत चावल की ढुलाई और कवर्ड गोदामों के निर्माण का मुद्दा उठाते हुए, मुख्यमंत्री ने बताया कि पंजाब की कुल कवर्ड स्टोरेज क्षमता लगभग 180 लाख मीट्रिक टन है, जिसके मुकाबले अब तक लगभग 171 लाख मीट्रिक टन अनाज (140 लाख मीट्रिक टन चावल और 31 लाख मीट्रिक टन गेहूं) कवर्ड क्षेत्र में स्टोर किया गया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सावन खरीद सीजन 2025-26 के लिए मिलर्स द्वारा कस्टम मिल किए गए चावल की डिलीवरी दिसंबर 2025 में शुरू होगी और 117-120 लाख मीट्रिक टन चावल 30 जून, 2026 तक एफ.सी.आई. को डिलीवर किए जाने हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि अब तक चावल की प्राप्ति के लिए केवल 9 लाख मीट्रिक टन कवर्ड स्पेस उपलब्ध है। इसके अलावा, पिछले दो महीनों से राज्य से केवल 5 लाख मीट्रिक टन चावल उठाए जा रहे हैं, जिसके अनुसार दिसंबर 2025 तक केवल 19 लाख मीट्रिक टन चावल के लिए जगह उपलब्ध होगी और 2025-26 के सावन खरीद सीजन के चावल की डिलीवरी को समय पर पूरा करने के लिए जून 2026 तक 100 लाख मीट्रिक टन चावल के लिए जगह बनाने की आवश्यकता होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जून 2026 तक हर महीने कम से कम 10-12 लाख मीट्रिक टन चावल की ढुलाई की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति को देखते हुए, पंजाब से जून 2026 तक प्रति माह कम से कम 10-12 लाख मीट्रिक टन चावल की ढुलाई करने का अनुरोध किया जाता है ताकि इस सीमावर्ती संवेदनशील राज्य में व्यापक जनहित में 30 जून, 2026 तक सावन खरीद सीजन 2025-26 के चावल की मिलिंग को पूरा किया जा सके। उन्होंने आगे कहा कि डी.एफ.पी.डी., भारत सरकार ने पंजाब में 10 साल की गारंटी पी.ई.जी. स्कीम के तहत कवर्ड गोदाम बनाने के लिए 60 लाख मीट्रिक टन की क्षमता को मंजूरी दी है ताकि चरणबद्ध तरीके से खुले भंडारण को समाप्त किया जा सके। भगवंत सिंह मान ने कहा कि खुली, प्रतिस्पर्धी और निष्पक्ष टेंडरिंग प्रक्रिया के माध्यम से खोजे जा रहे पी.ई.जी. गोदामों की दरों को स्वीकार किया जा सकता है या वैकल्पिक रूप से मौजूदा स्थिति को उलटने के लिए सी.डब्ल्यू.सी. दरों के अलावा एक व्यवहारिक दर को मानदंड के रूप में निर्धारित किया जा सकता है।

रबी सीजन 2025-26 के लिए डी.ए.पी. के प्रबंध का मुद्दा उठाते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुमानित 35 लाख हेक्टेयर क्षेत्र गेहूं की खेती के तहत होगा, जिसके लिए लगभग पांच लाख मीट्रिक टन डी.ए.पी. खाद की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि इस कठिन समय के दौरान फॉस्फेट युक्त खादों, विशेष रूप से डी.ए.पी., की लगातार कमी देखी गई है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि डी.ए.पी. गेहूं, आलू और अन्य रबी फसलों के अनुकूल उत्पादन को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक खाद है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब ने मौजूदा सावन सीजन के दौरान पहले ही डी.ए.पी. की कम आपूर्ति का सामना किया है, जिसमें जुलाई के महीने को छोड़कर वास्तविक डिलीवरी आवंटित मात्रा से कम रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब हर साल एफ.सी.आई. द्वारा खरीदे गए बफर स्टॉक का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा प्रदान करता है, इसलिए खाद की कम आपूर्ति के कारण गेहूं के उत्पादन में आने वाली किसी भी कमी का हमारी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। इसलिए, भगवंत सिंह मान ने अपील की कि भारत सरकार के खाद विभाग को अगस्त से सितंबर के महीनों के दौरान पंजाब राज्य को डी.ए.पी. और अन्य फॉस्फेट युक्त खादों की अधिकतम आवंटन और समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर निर्देश दिए जाएं।

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राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किए बिना अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कांटेदार तार को संभव सीमा तक सीमा की ओर स्थानांतरित करने में सहायता की मांग करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार शून्य रेखा से 150 मीटर आगे निर्माण किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पंजाब में कुछ स्थानों पर सीमा सुरक्षा तार शून्य रेखा से बहुत दूरी पर है, जिसके कारण कृषि योग्य भूमि का बड़ा हिस्सा अंतरराष्ट्रीय सीमा और मौजूदा बाड़ के बीच पड़ता है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इस भूमि पर खेती करने के लिए सीमा तार पार करने वाले किसानों की संख्या भी बहुत अधिक है। इन सभी किसानों को रोजाना भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे बी.एस.एफ. का कार्यभार भी बढ़ता है। इसके अलावा, सरकार को इन किसानों को काफी मुआवजा देना पड़ता है। इसे ध्यान में रखते हुए, अनुरोध किया जाता है कि बी.एस.एफ. को राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किए बिना जहां भी संभव हो, सीमा बाड़ को अंतरराष्ट्रीय सीमा की ओर स्थानांतरित करने की संभावना तलाशने के लिए निर्देश दिए जाएं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि उन्होंने यह मुद्दा पहले ही भारत सरकार के समक्ष उठाया हुआ है, लेकिन यह अभी तक लंबित है।

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