The News Air- एक दिन की भारत यात्रा पर पर आए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिल्ली पहुंच गए हैं। एयरपोर्ट से पुतिन हैदराबाद हाउस पहुंचे। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका स्वागत किया। दोनों नेताओं के बीच बातचीत शुरू हो चुकी है। पुतिन की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों में कई समझौते हो सकते हैं। इस विजिट पर अमेरिका और चीन की भी पैनी नज़र है। सोमवार को ही भारत और रूस के बीच 2+2 बातचीत हुई। ये काफ़ी अहम है। देर रात पुतिन मॉस्को लौट जाएंगे।
कई सेक्टर्स में समझौते संभव
रूसी मीडिया के मुताबिक़, पुतिन की एक दिवसीय यात्रा के दौरान दोनों देश ट्रेड, एनर्जी, कल्चर, डिफेंस, स्पेस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में क़रीब 10 समझौते कर सकते हैं। डिफेंस सेक्टर पर दुनिया की नज़रें ज़्यादा होंगी। दो समझौतों से अमेरिका पहले ही कुछ परेशान है। ये हैं S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम और दूसरा है अमेठी में AK-203 राइफ़लों का प्रोडक्शन। यहां साढ़े सात लाख AK-203 राइफ़लें बनाई जानी हैं। दुनिया में पहली बार यह राइफ़लें रूस से बाहर बनाई जानी हैं।
अमेरिकी दबाव
भारत और रूस के बीच जब S-400 पर समझौता हुआ तो अमेरिका इससे नाराज़ हो गया। उसने अपने स्पेशल एक्ट के ज़रिए भारत पर प्रतिबंधों की धमकी दी। ये इसी मामले में वो तुर्क़ी पर लगा चुका है। हालांकि, S-400 की डिलीवरी शुरू हो चुकी है और अमेरिका इस पर ज़्यादा कुछ नहीं कर सका है। माना जा रहा है कि भारत अब S-400 के साथ S-500 पर भी बातचीत कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो अमेरिकी रिएक्शन का इंतज़ार रहेगा।
क्वॉड पर रूस की आपत्ति
भारत ने अब तक सिर्फ़ तीन देशों के साथ 2+2 बातचीत की है। ये हमारे क्वॉड पार्टनर अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया हैं। इस लिस्ट में रूस के शामिल होने से अमेरिका को ख़ुशी तो बिल्कुल नहीं होगी, क्योंकि भारत और रूस पहले ही कई दशक से डिफेंस पार्टनर हैं।
क्वॉड को लेकर रूस की अपनी आपत्तियां हैं और वो इसे पूरी तरह से अमेरिका को ध्यान में रखकर देखता है। ज़ाहिर है भारत की इसमें मौजूदगी से रूस ख़ुश नहीं है। मोदी और पुतिन की बातचीत के दौरान यह मुद्दा उठ सकता है। भारत पहले ही साफ़ कर चुका है कि क्वॉड के चार देशों के बीच इश्यू बेस्ड, यानी मुद्दों पर आधारित सहयोग है।
शॉर्ट विजिट से फ़र्क नहीं पड़ता
कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पुतिन सिर्फ़ कुछ घंटे के लिए ही भारत आ रहे हैं। हालांकि, भारतीय और रूसी विदेश मंत्रालय का कहना है कि यात्रा छोटी होने से बिल्कुल फ़र्क नहीं पड़ता। एनर्जी सेक्टर में दोनों देशों के बीच अभी 30 बिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट है। 2025 तक इसे 50 बिलियन डॉलर तक करने का प्लान है। मोदी 2019 में रूस गए थे। इस दौरान 10 हज़ार 300 किलोमीटर के चेन्नई व्लादिवोस्तोक सी-रूट पर बातचीत हुई थी। अगर इस पर समझौता होता है तो दोनों ओर के शिप्स को एक-दूसरे के यहां पहुंचने में 24 से 40 दिन कम लगेंगे।
कोविड के दौर में पुतिन की यह सिर्फ़ दूसरी विदेश यात्रा है। उनके विदेश और रक्षा मंत्री एक दिन पहले भारत पहुंच चुके हैं। पुतिन ने 2019 में मोदी को ऑर्डर ऑफ़ सेंट एंड्रू से सम्मानित किया था। मोदी यह सम्मान पाने वाले अकेले विदेशी राष्ट्राध्यक्ष हैं।