Tahawwur Rana Extradition : मुंबई (Mumbai) आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) को अमेरिका (America) से भारत (India) लाया जाना, मोदी सरकार (Modi Government) की एक अहम कूटनीतिक और कानूनी जीत मानी जा रही है। इस प्रत्यर्पण को लेकर जहां सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है, वहीं विपक्ष के नेताओं ने भी इसकी सराहना की है। हालांकि, विपक्ष ने केस की निष्पक्ष सुनवाई और अंतरराष्ट्रीय मानकों (International Standards) को बनाए रखने की सलाह भी दी है।
एनसीपी-एसपी (NCP-SP) नेता माजिद मेनन (Majid Memon) ने कहा कि तहव्वुर राणा का भारत आना निश्चित रूप से मोदी सरकार की उपलब्धि है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका को प्रत्यर्पण प्रक्रिया में इतना समय नहीं लगाना चाहिए था। माजिद मेनन का मानना है कि इस केस को इंटरनेशनल केस की तरह ट्रीट किया जाना चाहिए और उसकी प्रक्रिया भी उसी स्तर पर होनी चाहिए।
मामले की सुनवाई दिल्ली (Delhi) में एनआईए (NIA) की विशेष अदालत में होगी और फिर जरूरत पड़ने पर हाई कोर्ट (High Court) में भी इसे आगे बढ़ाया जाएगा। होम मिनिस्ट्री (Home Ministry) ने इस केस के लिए विशेष लोक अभियोजक नरेंद्र मान (Narendra Maan) को नियुक्त किया है, जो अगले तीन वर्षों तक इस मामले की पैरवी करेंगे।
नरेंद्र मान का नाम भले ही बड़े वकीलों की सूची में न आता हो, लेकिन उनका अनुभव उन्हें खास बनाता है। वह 2018 के एसएससी पेपर लीक केस (SSC Paper Leak Case) में भी वकील रह चुके हैं और अब सरकार ने उनके रिकॉर्ड को देखते हुए इस केस की जिम्मेदारी उन्हें दी है।
मुंबई हमले के गुनहगार अजमल कसाब (Ajmal Kasab) के केस की याद दिलाते हुए, उज्ज्वल निकम (Ujjwal Nikam) की भी चर्चा की जा रही है, जिन्होंने कसाब को अदालत में फांसी की सजा तक पहुंचाया था। उज्ज्वल निकम को उस केस से खासा लोकप्रियता मिली थी।
सूत्रों के अनुसार तहव्वुर राणा को तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में रखा जाएगा और वहीं से सुरक्षा के बीच कोर्ट में पेशी की जाएगी। सरकार और विपक्ष दोनों की नजर इस केस की निष्पक्षता पर टिकी है, ताकि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता बनी रहे।