किसानों के सर फोड़ दो… उठा उठा कर मारो… सीधे सर फोड़ने का आदेश उठा उठा के मारने का हुक्म खाकी को खौफदार बनाते, धारदार शब्दों से जोश भरते एसडीएम करनाल के शब्दों के कारण करनाल में ऐसी खून की होली खेली जिसे देख देश दंग रह गया। टिकैत की बात याद आई अगर किसान खालिस्तानी है तो सरकार तालिबानी है।
लाल लहू के रंग से रंगे किसानों पर बरसती लाठियों के निशानों के जिम्मेदार अधिकारी ने करनाल के बसताड़ा टोल पर डटे किसानों के सर को फोड़ने का जो हुक्म दिया वो हिंदुस्तानी तो नहीं कहा जा सकता। लहू लुहान किसानों पर जमकर बरसी लाठियां सरकारी कायरता का क्रूर कारनामा, सरकारी फरमान का परिणाम है।
ड्यूटी मजिस्ट्रेट के आदेश की बानगी तो देखिए “जो भी हो यहाँ से इससे कोई भी आगे नहीं आएगा वहाँ, स्थिति स्पष्ट कर देता हूँ… सर फोड़ देना… नहीं जाएगा कोई, मैं ड्यूटी मजिस्ट्रेट हूँ लिखित में बता रहा हूँ कोई डाउट, फोड़ोगे… कोई जाएगा… उठा उठा कर मारना… कोई डाउट नहीं है, किसी को भी डायरेक्शन की कोई जरूरत नहीं है क्लियर है। यह नाका किसी तरह भी खाली रखना है हमारे पास पर्याप्त फोर्स है सौ की फोर्स पीछे है, यहाँ पर आपको खड़ा रखा है मारोगे ना लट्ठ… यस सर।
अधिकारी ने अपने अधिकार का प्रयोग कर पुलिस को लाठियां बरसाने, कहर बरपाने, सिर फोड़ने का जो आदेश दिया, वह आदेश कैमरे में रिकॉर्ड हो घर-घर पहुंच रहा है। लाल लहू से रंगे किसान अस्पतालों में जख्मों पर पट्टी बंधवा रहे हैं और चैन से बैठी हरियाणा सरकार सुकून की सांस ले रही है। किसानों के लहू से रंगा करनाल सीएम मनोहर का घर है, सियासत के सिंहासन पर पड़ी ये खून के छींटे सरकार के चेहरे पर कालिख से कम नहीं वक्त इसे याद दिलाता रहेगा।
जान लेने से नहीं डरती है ये जुल्मी सरकार पंचकुला की सड़कों पर सरेआम डेरा प्रेमियों के सीने पर संगीने दाग दिनदहाड़े भूनने वाली यह हरियाणा पुलिस का कहर इस बार किसानों पर बरपा है। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के आमने सामने आने में झड़प हिंसा में पहले भी देशभर में परिवर्तित होती ही रही है। पर योजनाबद्ध तरीके से एक आला अधिकारी के सरकारी आदेश पर सिर फोड़ देने का आह्वान, पुलिस को पूरी आजादी, सिर फोड़ने, उठा उठा कर मारने का फरमान किसी अधिकारी का ऐसा आदेश कैमरे पर शायद पहली बार ही कैद हुआ है। कोई अधिकारी कैसे, कितनी हिम्मत, कितनी निर्दयता से ऐसा आदेश देता होगा यह शायद पहली बार जन जन के मोबाइल पर गूंज रहा है और चीख चीख कर बता रहा है यह कायराना कारनामा करनाल में हुआ है यह हरियाणा सरकार के बीजेपी राज में हुआ है।
महम किसानों पर गोली कांड, गुड़गांव में मजदूरों के सिर के दो फाड़, पंचकुला की सड़कों पर डेरा प्रेमियों का कत्लेआम और अब करनाल का सिर फोड़ हमला खाकी का खौफ की जिंदा तस्वीरें हैं जो जब तक हरियाणा रहेगा नासूर बन सरकारों का सालता रहेगा।
सरकार बर्बर हो सकती है पर खून की प्यासी हो सिर के टुकड़े टुकड़े करने का आदेश दे सिर फुड़वा तमाशा देखने का जिगरा रखेगी ऐसा केवल हरियाणा में ही हो सकता है। एक और गुनाह की गवाह बनी आज वीरों की भूमि हरियाणा किसानों के सर फोड़ने का ये दौर ए तानाशाही भी गुजर ही जाएगा।
सरकारें आती हैं जाती हैं, आती जाती भी रहेंगी पर जुल्मी सरकार के जुल्म, जुल्मी अधिकारी का फोड़ दो सिर वाला आदेश चाल, चरित्र, चेहरे का नारा देने वाली फूलदार सरकार का पीछा कभी नहीं छोड़ेगा। यह जो किसान का सर फोड़ इतरा रहे हैं वक्त के कटघरे में खुद भी खुद को माफ ना कर पाएंगे। आज उन किसानों का सर फोड़ घमंड से चूर सरकार सत्ता के नशे में झूम रही है। कल इन किसानों से किस हक से वोट मांगेगी? क्या बोलेगी? चुनाव में सरकार तुम हमें वोट दो हम तुम्हारा सर फोड़ देंगे।
अभिमान अत्याचार के रथ पर सवार अनर्थ पर उतारू यह सरकार न किसान की हुई न जवान की न रोजगार की राहत की न भक्त न समाज की यह सरकार जुर्म के लिए याद की जाती रहेगी गोली लाठी डंडा के लिए याद की जाती रहेगी देशद्रोह के मामले दर्ज करने के लिए सर फोड़ो पर राज करने के इरादे वाली सरकार सच मायने में कायरता बर्बरता की मिसाल बन गई है नाम भले ही मनोहर हो।