अमृतसर (The News Air) अमृतपाल अमृतसर का रहने वाला है और जालंधर से फरार हुआ लेकिन उसने गिरफ्तारी मोगा जिले के गांव रोडे में दी। 36 दिन से फरार अमृतपाल यहां के गुरुद्वारा संत खालसा पहुंचा। यहां पाठ किया। वहां मौजूद लोगों को प्रवचन दिया। उसके बाद पंजाब पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। ऐसे में बड़ा सवाल है कि पंजाब के अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली तक भागने वाले अमृतपाल ने गिरफ्तारी के लिए यह गांव क्यों चुना?। अमृतपाल का इस रोडे गांव से क्या कनेक्शन है? इसके पीछे 4 बड़ी वजहें हैं….।
1. अमृतसर, तलवंडी साबो और महाराष्ट्र नहीं जा सका
अमृतपाल अपनी गिरफ्तारी को सीधे सिखों से कनेक्ट करना चाहता था। जिसके लिए वह सिखों के सर्वोच्च धर्मस्थलों पर जाने की प्लानिंग में था। पहले उसने अमृतसर स्थित सिखों के सर्वोच्च तख्त श्री अकाल तख्त साहिब में जाने की योजना बनाई। वह दरबार साहिब में जाकर गिरफ्तारी देना चाहता था। हालांकि पंजाब पुलिस उसके पीछे लगी हुई थी। इसका इंटेलिजेंस इनपुट मिल गया और वहां पहले ही सुरक्षा कड़ी कर दी गई।
फिर अमृतपाल ने प्लानिंग बदली और बठिंडा के तलवंडी साबो स्थित तख्त श्री दमदमा साहिब में जाकर गिरफ्तारी की प्लानिंग की। हालांकि इसकी भनक भी पुलिस को लग गई। पुलिस ने वहां भी सिक्योरिटी टाइट कर दी। जिस वजह से सरेंडर में कामयाब नहीं हो सका।
इसके बाद उसकी कोशिश महाराष्ट्र के नांदेड़ साहिब तख्त श्री केशगढ़ साहिब में पहुंचने की थी। पुलिस को उसके महाराष्ट्र में होने के इनपुट मिल गए, इस वजह से वह कामयाब नहीं हो सका।
अमृतपाल के अमृतसर में दरबार साहिब पहुंचकर सरेंडर करने की चर्चा के बाद पंजाब पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी थी।
2. भिंडरावाला के प्रति हमदर्दी का फायदा
अमृतपाल अच्छी तरह से जानता है कि ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारे गए जरनैल सिंह भिंडरावाला के प्रति सिख कट्टरपंथियों में आज भी हमदर्दी है। मोगा जिले के इसी रोडे गांव में भिंडरावाला का जन्म हुआ। इसीलिए अमृतपाल वहां पहुंचा। वह उसी गुरुद्वारे में गया, जो भिंडरावाला के जन्म स्थान पर बना हुआ है। यहां उसने पाठ किया। सिख श्रद्धालुओं के आगे प्रवचन किए। इसके जरिए वह सीधे मैसेज देने की कोशिश में था कि भिंडरावाला की कट्टरपंथी विरासत का असली पैरोकार वही है।
मोगा में जरनैल सिंह भिंडरावाले के जन्मस्थान रोडे में बने इसी गुरुद्वारा संत खालसा से अमृतपाल को गिरफ्तार किया गया।
3. खालिस्तानियों का समर्थन जरूरी
अमृतपाल ने दुबई से पंजाब आकर बड़ी-बड़ी बातें की थी। यहां तक कहा था कि अगर कोई कार्रवाई हुई तो सबसे पहले वह आगे होगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पुलिस ने जब रेड की तो वह भाग निकला। साथी पकड़े गए लेकिन अमृतपाल सामने नहीं आया। इससे उसको समर्थन करने वाले खालिस्तानियों को भी लगा कि अमृतपाल डरपोक है।
पुलिस ने उसे भगोड़ा करार दे दिया। उसकी इमेज काफी डैमेज हो गई। इसे कंट्रोल करने के लिए वह उसी जगह गया, जहां बड़े हुजूम की मौजूदगी में उसकी दस्तारबंदी हुई थी। अमृतपाल ने फिर से लोगों का समर्थन जुटाने की कोशिश की।
मोगा के इसी रोडे गांव में वारिस पंजाब दे का चीफ बनाने के लिए अमृतपाल की दस्तारबंदी की गई थी।
4. गांव में भीड़ जुटानी आसान थी
रोडे गांव में भिंडरावाले का अच्छा प्रभाव है। अमृतपाल इसके जरिए यहां एक योद्धा की तरह सरेंडर करने की कोशिश में था। उसे पता था कि इस गांव में भिंडरावाला के नाम पर भीड़ जुटाने में आसानी रहेगी। इसीलिए उसने यहां प्रवचन तक की प्लानिंग की। अपनी वीडियो की रिकॉर्डिंग भी कराई। हालांकि पुलिस ने उसे दोपहर तक का समय नहीं दिया और सुबह ही करीब 7 बजे गिरफ्तार कर लिया।
भिंडरावाला जैसा दिखने को करा चुका था सर्जरी
पुलिस जांच में यह भी सामने आया था कि अमृतपाल के दुबई से पंजाब आने के पीछे सीधा मकसद भिंडरावाला पार्ट-2 बनना था। इसीलिए वह दुबई से जॉर्जिया गया। वहां जाकर भिंडरावाला जैसा दिखने के लिए सर्जरी कराई। इसके बाद पंजाब आते ही उसने भिंडरावाला के कपड़ों से लेकर बोलने के अंदाज तक, सब कॉपी किया। हालांकि उसके मंसूबे के बारे में पुलिस को पहले ही भनक लग गई तो वह भिंडरावाला जैसा कद बनाने से चूक गया।