AAP Punjab Crisis: आम आदमी पार्टी (AAP) में बड़ा सियासी उठापटक देखने को मिल सकता है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) अपनी पूरी कैबिनेट के साथ दिल्ली पहुंच चुके हैं, जहां वह अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) से मुलाकात करेंगे। यह बैठक दिल्ली के कपूरथला हाउस (Kapurthala House) में हो रही है, जिससे पंजाब की राजनीति गरमा गई है।
इसी बीच, कांग्रेस ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद से हटाने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा (Partap Singh Bajwa) ने कहा कि उनके संपर्क में 30 AAP विधायक हैं, जो जल्द ही बगावत कर सकते हैं। इस बयान के बाद दिल्ली से लेकर पंजाब तक सियासी भूचाल मच गया है।
Kejriwal और Bhagwant Mann के बीच मतभेद?
AAP नेताओं की यह मीटिंग ऐसे समय में हो रही है, जब पार्टी के अंदर असंतोष की खबरें सामने आ रही हैं। पंजाब के AAP प्रधान अमन अरोड़ा (Aman Arora) के हाल ही में दिए गए बयान से भी विवाद बढ़ गया है। उन्होंने कहा था कि “अगर 2% सिख प्रधानमंत्री बन सकते हैं, तो 38% हिंदू आबादी वाले पंजाब में हिंदू मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकता?” इस बयान को भगवंत मान के खिलाफ सियासी चाल के रूप में देखा जा रहा है।
इसी बीच, यह भी चर्चा तेज हो गई है कि अरविंद केजरीवाल लुधियाना वेस्ट (Ludhiana West) सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैं और खुद को पंजाब की राजनीति में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।
AAP में टूट के संकेत? कांग्रेस ने किया बड़ा दावा
पंजाब में AAP की अंदरूनी कलह को लेकर कांग्रेस काफी आक्रामक दिख रही है। नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने दावा किया है कि AAP के 30 विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली चुनाव में हार के बाद आम आदमी पार्टी पूरी तरह कमजोर हो चुकी है और भगवंत मान तथा केजरीवाल के बीच मतभेद बढ़ चुके हैं।
बाजवा ने कहा,“अरविंद केजरीवाल पंजाब के अगले मुख्यमंत्री बनने की तैयारी कर रहे हैं। लुधियाना वेस्ट उपचुनाव में वह उम्मीदवार बन सकते हैं, और अगर ऐसा हुआ, तो AAP की अंदरूनी लड़ाई और तेज हो जाएगी।”
AAP की सफाई – यह सिर्फ संगठनात्मक बैठक है
AAP की तरफ से इन अटकलों को खारिज करते हुए पार्टी प्रवक्ता मालविंदर कंग (Malvinder Kang) ने कहा कि यह बैठक महज “संगठनात्मक मीटिंग” है। उन्होंने कहा कि “AAP के राष्ट्रीय संयोजक होने के नाते केजरीवाल समय-समय पर नेताओं से मुलाकात करते रहते हैं।”
AAP प्रवक्ता नील गर्ग (Neel Garg) ने भी कहा कि “पंजाब के विधायकों और मंत्रियों ने दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया था। अब पार्टी सिर्फ उनका फीडबैक ले रही है। इसे कोई सियासी संकट कहना गलत होगा।”
Kejriwal का अगला दांव – पंजाब से नुकसान की भरपाई?
दिल्ली में हार के बाद अब अरविंद केजरीवाल के पास सिर्फ पंजाब ही बचा है, जहां उनकी सरकार है। पार्टी के लिए यह राज्य अब सबसे अहम हो गया है, क्योंकि अगर पंजाब में भी AAP कमजोर पड़ती है, तो राष्ट्रीय राजनीति में उसकी पकड़ खत्म हो जाएगी।
विशेषज्ञों के अनुसार,
- दिल्ली में हार के बाद AAP के लिए पंजाब सबसे अहम राज्य बन गया है।
- 2027 के विधानसभा चुनाव में AAP को मजबूत करने के लिए यह बैठक की जा रही है।
- अगर पार्टी में बगावत होती है, तो आम आदमी पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है।
क्या पंजाब में मध्यावधि चुनाव संभव हैं?
पंजाब कांग्रेस को उम्मीद है कि AAP की अंदरूनी कलह का फायदा उन्हें मिलेगा। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पंजाब में “शराब नीति घोटाला” सामने आ सकता है, जो दिल्ली की तरह ही AAP सरकार के लिए भारी पड़ सकता है।
कांग्रेस का यह भी दावा है कि “भगवंत मान सरकार में अरविंद केजरीवाल के दखल से पार्टी कमजोर हो रही है। विधायक नाराज हैं और अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो पंजाब में समय से पहले चुनाव हो सकते हैं।”
AAP की पंजाब इकाई में उठापटक जारी है। भगवंत मान और विधायकों की दिल्ली में हुई बैठक को लेकर कांग्रेस ने कई गंभीर दावे किए हैं, जिसमें 30 विधायकों के बगावत की खबर सबसे अहम है। हालांकि, AAP इन अटकलों को खारिज कर रही है, लेकिन राजनीतिक माहौल गर्म है। अब देखना होगा कि इस मीटिंग के बाद क्या AAP में सबकुछ सामान्य रहेगा या पार्टी को पंजाब में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।