फगवाड़ा/ जालंधर (The News Air)– फगवाड़ा सिविल अस्पताल में उस समय आज हंगामा शुरू हो गया जब ट्रेन की चपेट में आकर घायल हुए युवक की इलाज के दौरान मौत हो गई। घायल को लेकर सिविल अस्पताल में आए लोगों ने ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर और स्टाफ की पिटाई कर डाली। घटना के बाद डॉक्टरों और स्टाफ ने धरना लगा दिया है। पुलिस ने हमला करने वाले कुछ लोगों को भी हिरासत में लिया है।
दरअसल, नवांशहर को जाने वाले रेलवे ट्रैक के पास एक 17 साल का युवक अनुज सिंह कान से मोबाइल लगाकर सुन रहा था। युवक फोन सुनने में इतना मशगूल था कि उसे ट्रेन के आने का पता नहीं चला। रेलवे ट्रैक के किनारे ट्रेन की फेट लगने से युवक के सिर पर गंभीर चोटें आईं। युवक का सिर पूरी तरह से खुल चुका था।
युवक के परिजन और लोग उसे तुरंत प्रभाव से उठाकर सिविल अस्पताल फगवाड़ा में ले आए। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर अशीष जेतली ने युवक हालत देखकर पहले उसे परिजनों को लुधियाना या फिर किसी अन्य अस्पताल में ले जाने के लिए कहा। लेकिन परिजन नहीं माने और डॉक्टर पर इलाज के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। इस पर डॉक्टर ने घायल अनुज सिंह को इलाज देने के लिए स्टिच लगाने शुरू ही किए थे कि घावों की ताव न सहते हुए अनीश ने वहीं पर दम तोड़ दिया।फगवाड़ा के सिविल अस्पताल में जमकर हुआ हंगामा, लोगों ने डाक्टर को पीटा
जब डॉक्टर ने अनीश की मौत के बारे में परिजनों को बताया तो उनका गुस्सा भड़क गया। अनीष के परिजनों व साथ आए लोगों ने डॉक्टर और स्टाफ के अस्पताल में ही जमकर मारपीट करनी शुरु कर दी। मारपीट में डॉक्टर अशीष जेतली को गंभीर चोटें आई हैं वह खुद अस्पताल में ही भर्ती हैं।
अस्पताल में हंगामा करने के बाद मारपीट जैसी घटना के बाद अस्पताल स्टाफ में गहरा रोष पाया जा रहा है। स्टाफ ने कामकाज छोड़ कर अस्पताल के बाहर धरना लगा दिया है। स्टाफ सुरक्षा को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहा है और हमलावरों को पकड़ने की मांग कर रही है। हालांकि इसी बीच पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया है।
डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करे सरकार
मारपीट में घायल हुए डॉक्टर अशीष जेतली ने कहा कि युवक अनुज सिंह जो कि ट्रेन की फेट लगने से बुरी तरह घायल हो गया था उसका सिर खुल चुका था। घायल युवक को वेंटिलेटर की तुरंत आवश्यकता थी। उन्होंने प्राथमिक उपचार देकर युवक रेफर करने से पहले टांके लगाने का काम शुरू ही किया था कि इसी दौरान वह कोलैप्स कर गया।
इस पर परिजनों ने उनकी पिटाई शुरू कर दी। स्टाफ के साथ-साथ कुछ मरीजों के तीमारदारों से भी मारपीट की। उन्हें अस्पताल में युवक के परिजनों उनके साथ आई महिलाओं और लोगों ने पीटा। डॉ. अशीष ने कहा कि डॉक्टर को हमेशा मरीज को बचाने की हर कोशिश कर करता है। लेकिन परिजनों को पीटने के लिए सबसे सॉफ्ट टॉर्गेट डॉक्टर ही होता है।
उन्होंने कहा कि कोई भी आकर अस्पताल में डॉक्टरों को पीट कर चला जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाएं। अन्यथा उनके लिए सरकारी अस्पतालों जिनमें नाम मात्र की सुविधाएं हैं वहां पर काम करना मुश्किल हो जाएगा।