The News Air- पाकिस्तान में एक और आतंकी हमला हुआ। गुरुवार दोपहर लाहौर के ऐतिहासिक और मशहूर अनारकली बाज़ार में बम धमाका हुआ। इसमें चार लोग मारे गए और 20 घायल हो गए। घायलों में ज़्यादातर की हालत गंभीर बताई गई है। शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक़, इस बाज़ार में काफ़ी भीड़ रहती है और यहां पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं। यहां बेतरतीब ट्रैफिक के बीच एक बाइक खड़ी थी। इसमें ही इम्प्रोवाइस्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस यानी IED लगाया गया था।
बढ़ सकती है मरने वालों की तादाद
लाहौर पुलिस के प्रवक्ता राना आरिफ ने ‘डॉन न्यूज़’ को बताया- घटना गुरुवार दोपहर की है। यहां के अनारकली बाज़ार में उस वक़्त काफ़ी भीड़ थी। यहां अमूमन लोग कहीं भी वाहन खड़े कर देते हैं। जहां से लोगों के गुज़रने का मुख्य रास्ता है, उसी रास्ते में एक बाइक खड़ी की गई थी। इसमें IED प्लांट किया गया था। इसमें ही धमाका हुआ। पुलिस ने मरने वालों की संख्या 3 बताई है, जबकि कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि चार लोगों ने तो मौक़े पर ही दम तोड़ दिया था। 20 लोग घायल हैं। इनमें से ज़्यादातर की हालत गंभीर है। सभी को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है।
जांच के आदेश
लाहौर पंजाब प्रांत का शहर है। यहां के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं। नेशनल एंटी टेरर डिपार्टमेंट को जांच सौंपी गई है। बुजदार ने इस मामले में 24 घंटे के अंदर पुलिस से रिपोर्ट तलब की है। माना जा रहा है कि शहर के कुछ और हिस्सों में भी इसी तरह के हमले हो सकते हैं। लिहाज़ा, फ़ौज की बम डिस्पोजल स्क्वॉड को तैनात कर दिया गया है।
ज़िम्मेदारी किसी ने नहीं ली
इस घटना की अब तक किसी आतंकी समूह ने ज़िम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन सीधा और पहला शक तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी TTP पर है। पाकिस्तान सरकार और TTP के बीच पिछले महीने संघर्ष विराम समझौता ख़त्म हो गया था। तब TTP ने धमकी दी थी कि वो पाकिस्तान सरकार को अब आईना दिखाएगा कि किस तरह वो इस्लाम के नाम पर अवाम से धोखा कर रही है।
TTP के ज़्यादातर नेता और आतंकी इन दिनों अफ़ग़ानिस्तान में हैं। पिछले दिनों पाकिस्तान ने TTP के एक पूर्व प्रवक्ता को सैन्य कार्रवाई में मार गिराया था। इसके बाद आतंकी संगठन ने बदला लेने की धमकी दी थी। अफ़ग़ानिस्तान तालिबान ने पाकिस्तान सरकार से कहा था कि वो TTP से बातचीत के ज़रिए मुद्दे सुलझाए। अफ़ग़ान तालिबान ने इस मामले को पाकिस्तान का अंदरूनी विवाद बताते हुए दख़लंदाज़ी या मध्यस्थता से इनकार कर दिया था।