The News Air – (नई दिल्ली) अमृतसर स्थित श्री दरबार साहिब में बेअदबी की कोशिश के बाद पंजाब सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। गृह मंत्रालय देख रहे डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा ने कहा कि धार्मिक भावनाएं आहत करने वालों को उम्रकैद वाले क़ानून को मंजूरी दें। यह क़ानून पंजाब सरकार ने ही पास किए थे। जो राष्ट्रपति ऑफ़िस में लंबित पड़े हुए हैं।
रंधावा का तर्क है कि 295 और 295A IPC की मौजूदा धाराओं में सिर्फ़ 3 साल की सज़ा है। जो बेअदबी की घटनाओं से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। पंजाब बॉर्डर स्टेट होने की वजह से भाईचारक साँझ बनाकर रखना बेहद ज़रूरी है। बेअदबी के ज़रिए सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वालों को सख़्त सज़ा देनी ज़रूरी है।
IPC और CRPC में किया था संशोधन
रंधावा ने लिखा कि पंजाब विधानसभा ने इंडियन पीनल कोड (IPC) पंजाब संशोधन बिल 2018 और कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसीज़र (CRPC) पंजाब संशोधन बिल 2018 पास किया था। जिसमें श्री गुरु ग्रंथ साहिब के साथ श्रीमद भागवत गीता, क़ुरान और बाइबल की बेअदबी करने पर उम्रकैद तक की सज़ा की व्यवस्था की गई थी। इन बिलों को पंजाब के राज्यपाल ने 12 अगस्त 2018 को मंजूरी दी थी। जिसके बाद अक्टूबर 2018 से यह बिल राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए लंबित है।
पंजाब में बड़ा मुद्दा बन रही बेअदबी
रंधावा ने केंद्रीय गृह मंत्री को बताया कि पंजाब में पवित्र ग्रंथों की बेअदबी एक बड़ा मुद्दा बनती जा रही है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को कोई वस्तु नहीं बल्कि सिखों की तरफ़ से जीवित गुरु माना जाता है। सिख मर्यादा के अनुसार श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का सत्कार किया जाता है। इसी में यह महसूस हुआ कि मौजूदा क़ानून सख़्ती के लिए पर्याप्त नहीं है।
बादल सरकार में बना था क़ानून, कैप्टन ने संशोधित किया
यह क़ानून पहले अकाली-भाजपा सरकार के वक़्त बना था। हालांकि उस समय इसमें सिर्फ़ श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी को शामिल किया गया था। इस वजह से इसे वापस लौटा दिया गया था। फिर कैप्टन सरकार सत्ता में आई तो 2018 में इसे संशोधित किया गया। जिसमें चारों धर्मों के पवित्र ग्रंथों को इसमें शामिल कर लिया गया। बादल सरकार के संशोधन में बेअदबी पर फांसी की सज़ा रखी गई थी लेकिन बाद में इसे उम्रकैद में बदल दिया गया।
पढ़िए केंद्रीय गृह मंत्री को भेजा लेटर…