The News Air- यूक्रेन और रूस के बीच ज़ंग रोकने के प्रयास के लिए शांति वार्ता तुर्क़ी के इस्तांबुल में चल रही है लेकिन इसकी पूरी कूटनीतिक तैयारियों का केंद्र नई दिल्ली बना हुआ है। पिछले 10 दिन में 7 देशों के विदेश मंत्री और सुरक्षा सलाहकार भारत आ चुके हैं। भारत को अपने साथ लेने के लिए पूरा ज़ोर लगाया हुआ है।
अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और यूनान तक के नेताओं ने इसके लिए भारत में हाज़िरी लगाई है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव गुरुवार को नई दिल्ली पहुंचे। वे आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात करेंगे। चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बाद रूसी विदेश मंत्री का यह दौरा भारत के अगले कूटनीतिक क़दम की दिशा तय करने में मायने रखता है। जयशंकर फार्मूला नाम से जानी गई भारतीय कूटनीति अंतरराष्ट्रीय ताक़तों के बीच संतुलन साधने पर केंद्रित है। अगले हफ़्ते की जी-7 की बैठक के लिए भारतीय समर्थन ज़रूरी है।
क्या है जयशंकर फार्मूले की शर्तें
- रूस यूक्रेन ज़ंग के शांतिपूर्ण समाधान के लिए तुरंत संघर्ष विराम पहली शर्त है।
- संघर्ष-विराम सैन्य स्तर पर ही नहीं बल्कि साइबर हमले, सूचना युद्ध, बयानों से हो रहे हमले इसमें शामिल हैं।
- अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों और यूएन चार्टर का पूरा सम्मान हो और कोई भी समाधान उसके दायरे में हो।
- हर राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता और सार्वभौमिकता का सम्मान किया जाए।
- हर देश के लोकतांत्रिक और मानवाधिकारों का हर हाल में सम्मान किया जाए और उनके आर्थिक हितों की रक्षा भी की जाए।
गुटनिरपेक्षता के सिद्धांतों का पालन, हितों का त्याग नहीं
भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह गुटनिरपेक्षता के अपने उसूलों का पालन करेगा लेकिन अपने हितों का त्याग नहीं करेगा। रूस से तेल लेने की भारत की कोशिशों को लेकर हो रहे विरोध को देखते हुए नई दिल्ली का यह रूख काफ़ी साफ़ है।