Waqf Amendment Bill: JPC Report Sparks Uproar in Rajya Sabha – वक्फ (संशोधन) बिल पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee – JPC) की रिपोर्ट गुरुवार को राज्यसभा (Rajya Sabha) में पेश कर दी गई। जैसे ही रिपोर्ट सदन में रखी गई, विपक्षी दलों ने जोरदार हंगामा शुरू कर दिया और सरकार पर वक्फ बोर्ड (Waqf Board) को कमजोर करने का आरोप लगाया। विपक्षी सांसदों के विरोध और तीखी नारेबाजी के कारण सभापति को सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
JPC रिपोर्ट पर विवाद क्यों?
31 जनवरी को JPC ने अपनी रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला (Om Birla) को सौंपी थी, जिसे समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल (Jagdambika Pal) ने संसद भवन में प्रस्तुत किया। रिपोर्ट पेश होते ही इस पर सियासी घमासान तेज हो गया।
समिति ने अपनी रिपोर्ट 15-11 के बहुमत से पारित की, जिसमें कुछ संशोधन शामिल किए गए। विपक्षी दलों ने इन बदलावों को लेकर आपत्ति जताई और सरकार पर वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता खत्म करने का आरोप लगाया। असहमति जताने वाले सांसदों ने डिसेंट नोट (Dissent Note) भी सौंपे, जिसमें सरकार पर जनमत के खिलाफ जाकर बिल को जबरन लागू करने का आरोप लगाया गया।
विपक्ष का आरोप – मुसलमानों के अधिकारों पर हमला
विपक्षी दलों का कहना है कि यह वक्फ बोर्डों के अधिकारों को सीमित करने और मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर करने की साजिश है। सांसदों ने आरोप लगाया कि सरकार धार्मिक मामलों में अनावश्यक हस्तक्षेप कर रही है। विपक्ष ने इस बिल को लेकर संसद से सड़क तक आंदोलन की चेतावनी दी है।
सरकार का पक्ष – पारदर्शिता और प्रशासनिक सुधार के लिए लाया गया बिल
सरकार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इस बिल का उद्देश्य केवल वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता को सुनिश्चित करना है।
भाजपा (BJP) सांसदों के मुताबिक, सरकार किसी भी धार्मिक समुदाय के अधिकारों पर हमला नहीं कर रही है। यह संशोधन वक्फ बोर्डों में प्रशासनिक सुधार लाने के लिए किया गया है, ताकि संपत्तियों का सही इस्तेमाल हो सके और भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जा सके।
बिल पर संसद में बड़ा टकराव तय
यह बिल अगस्त 2024 में पहली बार लोकसभा (Lok Sabha) में पेश किया गया था और बाद में इसे JPC के पास भेज दिया गया। अब जब समिति की रिपोर्ट पेश कर दी गई है, तो इसे लेकर संसद के अंदर और बाहर भारी विरोध की संभावना है।
विपक्षी सांसद इस मुद्दे को संसद में उछालने की तैयारी कर रहे हैं। सरकार इस बिल को पारित कराने के लिए रणनीति बना रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा और अधिक गर्मा सकता है।
क्या होगा आगे?
विपक्ष बिल को रोकने के लिए हरसंभव कोशिश करेगा और सड़क पर प्रदर्शन कर सकता है। सरकार को इसे पास कराने के लिए मजबूत रणनीति बनानी होगी। अगर हंगामा ज्यादा बढ़ा, तो इसे आगे किसी समिति को भेजा जा सकता है। विपक्ष इसे 2024 चुनावी मुद्दा भी बना सकता है।