देश में पिछले दशक में प्लास्टिक और रीकन्सट्रक्टिव सर्जरी (Reconstructive surgery) के क्षेत्रों में काफी प्रगति हुई है। अब ट्रॉमा तथा कैंसर मरीज़ों (खासतौर से ओरल कैविटी एवं ब्रैस्ट) के उपचार एवं देखभाल के लिए पहले की तुलना में कहीं ज्यादा प्लास्टिक सर्जन उपलब्ध हैं। ट्रॉमा सेंटर्स में इन प्लास्टिक सर्जनों की अनेक भूमिकाएं हैं और ये चेहरे पर चोटों, जलने वाले मरीज़ों के लिए उपचार के अलावा जीवनरक्षा तथा हाथ-पैरों को बचाने से लेकर घावों पर फ्लैप्स तथा स्किन ग्राफ्टिंग सहित कई जटिल रीकन्सट्रक्टिव सर्जरी (Reconstructive surgery) करते हैं।
दुनिया भर में सबसे ज्यादा होते हैं ब्रेस्ट कैंसर के मामले
स्तन कैंसर दुनियाभर में महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला कैंसर है जो कि महिलाओं के सभी प्रकार के कैंसर से बहुत अधिक होता है। फिलहाल ब्रैस्ट कैंसर का इलाज मुख्य रूप से सर्जरी, एंडोक्राइन थेरेपी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और टार्गेटेड थेरेपी से किया जाता है। ऐसे मरीज़ों के लिए मुख्य इलाज अभी भी रैडिकल मैस्टेक्टमी ही है।
जीवन रक्षक होने के बावजूद यह मरीज़ों की बॉडी इमेज पर काफी बुरा असर डालता है जिसके कारण उन्हें एंग्जाइटी और डिप्रेशन हो सकता है। मरीज़ सामाजिक मेल-मिलाप से दूर रहने की कोश्शि करते हैं और परिणामस्वरूप, उनकी जीवन गुणवत्ता प्रभावित होती है।
अध्ययनों से सामने आया है कि ब्रैस्ट कंज़र्विंग (Breast conserving) और ब्रैस्ट रीकन्स्ट्रक्शन (Breast reconstructive) सर्जरी करवा चुके मरीज़ों के जीवन की गुणवत्ता ब्रैस्ट रीसेक्शन करवाने वाले मरीज़ों की तुलना में काफी अधिक होती है। पश्चिमी देशों में, अब ब्रैस्ट रीकन्सट्रक्शन सर्जरी को ब्रैस्ट कैंसर उपचार का ही हिस्सा माना जाता है।
कैसे की जाती है रिकन्स्ट्रक्शन सर्जरी (how is reconstructive surgery done)
प्लास्टिक सर्जन की ट्रेनिंग काफी खास होती है, जो उन्हें सभी प्रकार की ट्रॉमा टीमों का अहम सदस्य बनाती है। इनकी भूमिका न सिर्फ फेशियल सॉफ्ट टिश्यू तथा कंकाल (स्कैलटन) के एक्यूट ट्रॉमा के शिकार मरीज़ों के इलाज से जुड़ी है, बल्कि हाथों-पैरों की चोटों, जलने के कारण, ट्रंक पेरिनियम तथा अन्य भागों में घावों/चोटों, क्रोनिक वुंड रीकन्स्ट्रक्शन, पुराने ट्रॉमा जनित विकारों या सेकंडरी विकारों तथा ट्रॉमा के कारण उत्पन्न निशानों (घाव) के उपचार के लिए अस्पतालों में आते हैं।
माइक्रोसर्जिकल तकनीकों के बाद पोस्ट ट्रॉमा विकारों के रीकन्स्ट्रक्शन के मामले में नया आयाम जुड़ चुका है। जिसके परिणामस्वरूप हाथ-पैरों को बचाकर उनके फंक्शनल एवं एस्थेटिक पहलुओं की सुरक्षा होती है। इन तकनीकों के चलते, आज के दौर में अधिक ऊर्जा एवं तेज रफ्तार के चलते सामने आने वाले ट्रॉमा के मामलों में मरीज़ों को कम खर्च में शीघ्र रिकवरी में मदद मिलती है।
ओरल या ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों को मिल सकता है इसका लाभ
प्लास्टिक सर्जन की सेवाओं से मरीज़ों का जीवन और कई बार उनके दुर्घटनाग्रस्त हाथों एवं पैरों को भी बचाने में मदद मिलती है। प्लास्टिक सर्जन कैंसर सर्जरी की वजह से नष्ट हुए शरीर के महत्वपूर्ण ऊतकों (टिश्यूज़) जैसे ओरल कैविटी (मुख) या ब्रैस्ट (स्तन) के रीकन्स्ट्रक्शन में भी काफी महत्वपूर्ण रोल अदा करते हैं।
स्तन कैंसर की वजह से मास्टैक्टमी (स्तन हटाना) से गुजर चुकी महिला मरीज़ों के लिए ब्रैस्ट रीकन्सट्रक्शन सर्जरी उनके मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर असर डालने के साथ-साथ कॉस्मेटिक परिणाम भी देती है।
ब्रेस्ट रिकन्स्ट्रक्शन में सेफ मानी गई है यह सर्जरी
मास्टैक्टमी के बाद ब्रैस्ट रीकन्सट्रक्शन करवाने वाली महिलाओं की जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार देखा गया है। प्रत्येक स्तन कैंसर मरीज़ को मास्टैक्टमी के तुरंत बाद या कुछ समय रुककर फिजिशियन के मार्ग-निर्देशन में इसकी पेशकश की जानी चाहिए।
ब्रैस्ट रीकन्स्ट्रक्शन के अन्य फायदों के अलावा बेहतर बॉडी इमेज, आत्म-सम्मान का भाव और अच्छा महसूस करना शामिल है। साथ ही, संभावित सरवाइवल एडवांटेज भी मिलता है, खासतौर से युवा मरीज़ों में इसकी संभावना अधिक होती है। ब्रैस्ट रीकन्स्ट्रक्शन में ऑटोलोगस टिश्यू (फ्लैप्स) रीकन्स्ट्रक्शन और इंप्लांट रीकन्स्ट्रक्शन या इन दोनों का मेल शामिल होता है। ब्रैस्ट रीकन्स्ट्रक्शन सर्जरी को मास्टैक्टमरी के तुरंत बाद या कुछ समय रुककर, मरीज़ की प्राथमिकता के अनुसार किया जाता है।
कानूनी रूप से भी वैध है ब्रेस्ट रिकन्स्ट्रक्शन सर्जरी
ब्रैस्ट रीकन्स्ट्रक्शन सर्जरी को ओंकोलॉजी के लिहाज़ से सुरक्षित प्रक्रिया माना जाता है, और चूंकी यह रीकन्स्ट्रक्टिव प्रक्रिया है तथा रोग के उपचार प्रक्रिया का हिस्सा है। इसलिए कानून में भी यह प्रावधान किया गया है कि इंश्योरेंस प्रदाता इसके लिए भी आवश्यक रूप से कवरेज उपलब्ध कराएं।