The News Air-भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने शुक्रवार को मॉनेटरी पॉलिसी (Monetary Policy) पेश की। इसमें पॉलिसी रेट्स (Policy Rates) यानी रेपो और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने करेंट फाइनेंशियल ईयर में इकोनॉमी की ग्रोथ के अनुमान को 7.8 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया है। खास बात यह है कि ग्रोथ और इनफ्लेशन के अनुमान के लिए यह माना गया है कि क्रूड ऑयल प्राइस 100 डॉलर प्रति बैरल रहेगा।
इंडिया के लिए अक्टूबर 2021 से मार्च 2022 के दौरान क्रूड ऑयल बास्केट का एवरेज प्राइस 88 डॉलर प्रति बैरल रहा। यह आरबीआई के 75 डॉलर प्रति बैरल के अनुमान से काफी ज्यादा है। इसकी वजह यह है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद एनर्जी और कमोडिटी के ग्लोबल प्राइसेज में उछाल आया है। पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के डेटा के मुताबिक मार्च में महीना दर महीना आधार पर इंडिया के लिए क्रूड ऑयल बास्केट का प्राइस 20 फीसदी बढ़ा है।
आरबीआई इकोनॉमी की ग्रोथ और इनफ्लेशन का अनुमान लगाने के लिए क्रूड ऑयल प्राइस का एक अनुमान लगाता है। इसी अनुमान के आधार पर वह ग्रोथ या इनफ्लेशन का फॉरकास्ट देता है। इस बार उसने क्रूड की कीमत ज्यादा रहने का अनुमान लगाया है, जिससे उसने इनफ्लेशन का अपना फॉरकास्ट भी बढ़ाया है।
हालांकि, आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि फॉरकास्ट के साथ रिस्क भी जुड़ा होता है। उन्होंने कहा, “फरवरी के अंत से क्रूड ऑयल के ग्लोबल प्राइस में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव और जियोपॉलिटिकल टेंशन बढ़ने से पैदा हुई अनिश्चितता के चलते ग्रोत और इनफ्लेशन के किसी तरह के अनुमान से रिस्क जुड़ा हुआ है। यह बहुत कुछ इस पर निर्भर करता है कि फ्यूचर में ऑयल और कमोडिटी की कीमतों का रुख कैसा रहता है।”