The News Air- पंजाब में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 86 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। कांग्रेस ने इसमें पूर्व CM कैप्टन अमरिंदर सिंह के ख़िलाफ़ मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है। लिस्ट में कैप्टन के सभी करीबियों को टिकट दे दी गई है। वहीं ज़्यादातर विधायक या पिछला चुनाव हारे नेता इस लिस्ट में शामिल हैं।
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अब बड़ा सवाल यह है कि अमरिंदर आगे क्या करेंगे?। यह बात इसलिए उठ रही है क्योंकि अमरिंदर दावा करते रहे कि चुनाव आचार संहिता के बाद कई दिग्गज उनके साथ आएंगे। हालांकि अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। सबकी नज़र कांग्रेस के टिकट बँटवारे पर थी। उसमें भी कांग्रेस ने फ़िलहाल कैप्टन के लिए जगह नहीं छोड़ी।
मंत्री पद से हटाए नेताओं और क़रीबी सलाहकार को दी टिकट
कांग्रेस ने कैप्टन के क़रीबी रहे विधायक गुरप्रीत कांगड़ और साधु सिंह धर्मसोत को टिकट दी है। कैप्टन को CM की कुर्सी से हटाने के बाद कांग्रेस ने इनकी मंत्रीपद से छुट्टी कर दी थी। विधायक बलबीर सिद्धू और सुंदर शाम अरोड़ा को लेकर भी यही मुद्दा था कि वह कैप्टन के क़रीबी रहे। हालांकि इन दोनों की कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी से भी क़रीबी है। सबसे अहम लुधियाना के दाखा से कैप्टन संदीप संधू का नाम है। जो कैप्टन के सबसे करीबियों में एक थे। उन्हें भी कांग्रेस ने टिकट दे दी।
राणा गुरजीत और सुखपाल खैहरा को भी दूर किया
कांग्रेस में मंत्री राणा गुरजीत को भी कैप्टन का क़रीबी माना जाता है। उन्हें पहले मंत्री पद और अब टिकट भी दी गई है। इसी तरह तेजतर्रार नेता सुखपाल खैहरा को जेल में होने के बावज़ूद कांग्रेस ने टिकट दे दी। खैहरा कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में ही कांग्रेस में शामिल हुए थे। हालांकि अब वह ईडी के केस में पटियाला जेल में बंद हैं।
अमरिंदर के साथ नहीं जा रहे नेता
कांग्रेस से जिन विधायकों ने पार्टी छोड़ी, वह अमरिंदर के साथ नहीं जा रहे। इनमें कादियां से फतेहजंग बाजवा, गुरहरसहाय से राणा गुरमीत सोढ़ी और मोगा से हरजोत कमल ने कांग्रेस छोड़ी लेकिन भाजपा में शामिल हो गए। यह कैप्टन की रणनीति है या फिर इन विधायकों की भविष्य की चिन्ता, इसको लेकर भी सियासी चर्चाएं जारी हैं।
कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के मिशन में जुटे कैप्टन
कैप्टन अमरिंदर सिंह का पंजाब में इकलौता मिशन कांग्रेस को सत्ता से बाहर करना है। यही वजह है कि उन्होंने पंजाब लोक कांग्रेस के नाम से अलग पार्टी बनाई। भाजपा के साथ चुनावी गठजोड़ कर लिया। हालांकि कैप्टन अपनी पार्टी को मज़बूत करते नज़र नहीं आ रहे हैं। कोई दिग्गज चेहरा अभी तक उनकी पार्टी से जुड़ता नज़र नहीं आया है।