Aam Aadmi Party (AAP) Punjab : दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 (Delhi Election 2025) में करारी हार के बाद अब आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए पंजाब (Punjab) में भी खतरे की घंटी बज चुकी है।
अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की अगुवाई में AAP ने लगातार 10 साल दिल्ली पर राज किया, लेकिन 2025 में जनता ने उन्हें पूरी तरह नकार दिया।
केजरीवाल खुद नई दिल्ली (New Delhi) सीट से हार गए, वहीं पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) और मंत्री सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj) को भी करारी शिकस्त झेलनी पड़ी।
अब सवाल उठता है कि क्या पंजाब में भी आम आदमी पार्टी (AAP) को दिल्ली जैसी हार का सामना करना पड़ेगा?
विशेषज्ञों के मुताबिक, AAP सरकार को एंटी-इनकंबेंसी (Anti-Incumbency) और भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे पार्टी की स्थिति कमजोर हो सकती है।
62 से सीधे 22 पर AAP, 10% गिरा वोट शेयर!
दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी को 2015 और 2020 के मुकाबले इस बार भारी नुकसान हुआ। पिछली बार 62 सीटों पर कब्जा जमाने वाली AAP सीधे 22 सीटों पर सिमट गई।
वहीं, पार्टी का वोट शेयर भी 10% घटकर 43.57% रह गया। दिल्ली में ऐसी 14 सीटें थीं जहां हार-जीत का अंतर 5000 वोटों से भी कम था। यह दर्शाता है कि पार्टी का मिडिल क्लास वोट बैंक पूरी तरह खिसक चुका है।
मिडिल क्लास की नाराजगी पड़ी भारी, ‘शीश महल’ बना बड़ा मुद्दा!
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी को मिडिल क्लास की नाराजगी झेलनी पड़ी। वहीं, भाजपा (BJP) ने चुनाव प्रचार में “शीश महल” को बड़ा मुद्दा बनाया, जिससे पार्टी को भारी नुकसान हुआ। इसके अलावा, उपराज्यपाल (LG) और दिल्ली सरकार के बीच जारी खींचतान ने भी जनता को AAP से दूर कर दिया। ऐसे में डबल इंजन सरकार (Double Engine Government) का नारा भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हुआ। हालांकि, AAP को गरीब वोटर्स का समर्थन अब भी मिला है, लेकिन मिडिल क्लास की नाराजगी ने उसे भारी नुकसान पहुंचाया।
दिल्ली के बाद अब पंजाब में खतरा, लोकसभा चुनाव में दिखेगा असर?
AAP अभी भी दिल्ली नगर निगम (MCD) पर काबिज है, जहां उसके पास 134 सीटें हैं। यानी पार्टी का दिल्ली से पूरी तरह सफाया नहीं हुआ, लेकिन विधानसभा में उसकी स्थिति कमजोर हो गई। अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या AAP की यह हार पंजाब में भी दोहराई जा सकती है? विशेषज्ञों का मानना है कि लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में AAP को पंजाब में भी कठिन चुनौती मिलेगी। यह भी खबर है कि पंजाब में कई विधायक पार्टी नेतृत्व से नाराज हैं, जिससे पार्टी में अस्थिरता बढ़ सकती है।
AAP के लिए पंजाब में क्या हैं सबसे बड़े खतरे?
✔ एंटी-इनकंबेंसी (Anti-Incumbency): दिल्ली की तरह पंजाब में भी सरकार से नाराजगी बढ़ रही है।
✔ भ्रष्टाचार के आरोप (Corruption Charges): पीएम मोदी (Narendra Modi) ने खुद कहा है कि दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार की जांच करवाई जाएगी।
✔ आंतरिक कलह (Internal Conflict): पंजाब में AAP के कई विधायक और नेता नेतृत्व से नाराज बताए जा रहे हैं।
✔ भाजपा और कांग्रेस की चुनौती: पंजाब में भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) AAP को घेरने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
क्या पंजाब में भी दोहराएगा दिल्ली जैसा इतिहास?
दिल्ली की हार से साफ संकेत मिलते हैं कि AAP को अब पंजाब में अपने वर्चस्व को बनाए रखने के लिए बड़ी रणनीति बनानी होगी। अगर पार्टी समय रहते अपनी गलतियों को नहीं सुधारती, तो दिल्ली के बाद पंजाब भी हाथ से निकल सकता है। अब देखना होगा कि AAP लोकसभा चुनाव में कैसे प्रदर्शन करती है और क्या पंजाब में वह अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ पाएगी?