Delhi Election 2025 Results: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) को करारी हार मिली है, और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 27 साल बाद सत्ता में वापसी की है। AAP की हार के बाद अब कई राजनीतिक विश्लेषक इस नतीजे के पीछे की वजहों पर चर्चा कर रहे हैं। इसी कड़ी में जन सुराज पार्टी के मुखिया और मशहूर चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने AAP की हार को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की सबसे बड़ी गलती शराब घोटाले में गिरफ्तारी के बाद भी इस्तीफा न देना रही।
प्रशांत किशोर ने AAP की हार का कारण बताया
प्रशांत किशोर के मुताबिक, केजरीवाल को शराब घोटाले (Liquor Scam) में गिरफ्तारी के तुरंत बाद इस्तीफा दे देना चाहिए था। अगर वह ऐसा करते और फिर जमानत के बाद वापस आते, तो उनकी पार्टी को इतनी बड़ी हार का सामना नहीं करना पड़ता।
उन्होंने कहा कि चुनाव से ठीक पहले किसी और को मुख्यमंत्री (CM) बनाना भी AAP की हार का एक अहम कारण था। दिल्ली में सत्ता विरोधी लहर (Anti-Incumbency Wave) पहले से ही मजबूत थी, और इस फैसले ने आम जनता में भ्रम पैदा कर दिया।
केजरीवाल की राजनीतिक रणनीति फेल?
इंडिया टुडे को दिए गए इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने कहा कि केजरीवाल का राजनीतिक रवैया अस्थिर (Unstable Political Approach) रहा। पहले उन्होंने लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) और सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) जैसे नेताओं के साथ मिलकर INDIA गठबंधन (INDIA Alliance) का हिस्सा बनने का फैसला किया, जबकि वह इन्हीं नेताओं के खिलाफ राजनीति कर सत्ता में आए थे।
इसके बाद उन्होंने गठबंधन से बाहर निकलकर चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया, जिससे उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठे और हार की बड़ी वजह बनी।
10 साल की सत्ता विरोधी लहर और AAP की नाकामी
प्रशांत किशोर ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार का सबसे बड़ा कारण 10 साल की सत्ता विरोधी लहर थी।
इसके अलावा, दिल्ली में जल-जमाव (Waterlogging) और खराब सड़कों (Bad Roads) जैसी समस्याओं से जनता नाराज थी।
उन्होंने कहा, “झुग्गियों में रहने वाले लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा, जिससे AAP सरकार की कमजोरियां खुलकर सामने आ गईं। अरविंद केजरीवाल का ‘गवर्नेंस मॉडल’ अब उतना प्रभावी नहीं रहा, और जनता ने उसे नकार दिया।”
केजरीवाल की हार और BJP की जीत
दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP को 22 सीटें ही मिल पाईं, जबकि भारतीय जनता पार्टी ने 48 सीटों पर जीत हासिल कर बहुमत प्राप्त किया।
सबसे बड़ा झटका तब लगा जब अरविंद केजरीवाल अपनी नई दिल्ली (New Delhi) सीट से बीजेपी के प्रवेश वर्मा (Parvesh Verma) से 4,000 से ज्यादा वोटों से हार गए।
इस हार के बाद AAP और केजरीवाल के राजनीतिक भविष्य पर भी सवाल उठने लगे हैं। प्रशांत किशोर का मानना है कि AAP के लिए अब आगे की राह मुश्किल होगी, क्योंकि बीजेपी अब दिल्ली में अपना संगठन मजबूत कर चुकी है।
क्या है AAP के लिए आगे की चुनौती?
- पार्टी की छवि सुधारना – शराब घोटाले से जुड़ी बदनामी को खत्म करना सबसे बड़ी चुनौती होगी।
- आम जनता में भरोसा वापस जीतना – झुग्गी बस्तियों और मध्यम वर्गीय लोगों में AAP की पकड़ कमजोर हुई है।
- 2029 लोकसभा चुनाव की तैयारी – अगर AAP को राष्ट्रीय स्तर पर टिकना है, तो उसे मजबूत रणनीति बनानी होगी।
दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी की हार कई कारणों से हुई, जिसमें गठबंधन की राजनीति, सत्ता विरोधी लहर और गलत रणनीतिक फैसले मुख्य रहे। प्रशांत किशोर ने साफ कहा कि अगर केजरीवाल शराब घोटाले में गिरफ्तारी के तुरंत बाद इस्तीफा देते, तो चुनाव के नतीजे कुछ और हो सकते थे। अब देखना होगा कि AAP अपनी गलतियों से सीखकर आगे की रणनीति किस तरह बनाती है।