The News Air- (नई दिल्ली) पीएम मोदी के तीनों कृषि क़ानून वापस लेने के ऐलान के बाद सिंघु बॉर्डर पर माहौल एकाएक बदल गया। आसपास के लोग मिठाइयां लेकर पहुंचने लगे और आंदोलन स्थल पर किसान अपने तरीक़े से ख़ुशी का इज़हार करते दिखे। आम दिनों की तुलना में बॉर्डर पर शुक्रवार को हलचल ज़्यादा थी। इस ख़ुशी के बीच किसानों का दर्द भी छलका कि यह दिन देखने के लिए 700 किसानों ने क़ुर्बानी दी है।
कुंडली बॉर्डर पर TDI किंग्सबरी के सामने किसानों ने वहाँ से गुज़र रहे लोगों को मीठे बिस्कुट भेंट किए। साथ ही हाथ जोड़कर माफ़ी माँगी कि हमारी वजह से आपको बहुत दिक्क़त झेलनी पड़ी। किसानों ने पंजाब-हरियाण-दिल्ली-यूपी एकता के नारे लगाए। आने जाने वाले सब लोगों का सहयोग के लिए धन्यवाद किया।
358 दिन हो गए, हर सेकेंड का हिसाब है
सिंघु बॉर्डर पर किसान रायकोट निवासी बाबा नछत्तर सिंह हाथ में एक बोर्ड पकड़े दिखे। बोर्ड पर लिखा था कि किसानों को दिल्ली बॉर्डर पर 358 दिन हो गए हैं। अब तक हमारे 719 साथी शहीद हो चुके हैं। अभी लड़ाई ख़त्म नहीं हुई है। MSP पर गारंटी की बात अभी PM ने नहीं की है। साथ ही बोर्ड पर लिखा था कि किसानों को 8592 घंटे से ज़्यादा आंदोलन करते बीत चुके हैं। हमने एक-एक सेकेंड का हिसाब यहां रखा है।
किसान नहीं पर आतंकवादी भी नहीं
किसान आंदोलन में शामिल होने आए दिल्ली के प्रिंस पाल सिंह ने किसानों के साथ झूमते हुए कहा कि वह दिल्ली में रहते हैं, किसान नहीं हैं। भाजपा सरकार और नेताओं ने किसानों की पगड़ी को गाली दी है, आतंकवादी बताया। उसी दिन से वह किसान न होते हुए भी आंदोलन में खड़े हैं।
ट्रैक्टर पर चढ़ कर ख़ूब नाचे
कृषि क़ानूनों को वापस लेने के ऐलान का ख़ुमार युवाओं पर छाया रहा। सुबह 9 बजे ही ट्रैक्टरों पर संगीत बजाते छतों पर चढ़ कर नाचने लगे थे। उनका नाच गाना दोपहर बाद तक जारी रहा। युवाओं ने अरदास की और किसान एकता मंच के सामने जमकर नाचे। महिलाओं और बुजुर्गों ने भी उनका साथ दिया। युवक राजू ने कहा कि अभी देखना है कि कहीं किसानों के बहाने राजनीतिक हित तो नहीं साधा जा रहा।