नई दिल्ली, 27 मई
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पंजाब के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि लुधियाना में सतलुज के डूब क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए वह नदी संरक्षण समिति के साथ मिलकर सुधारात्मक कदम उठाएं। अधिकरण के अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि लुधियाना में सतलुज के डूब क्षेत्रों और वन क्षेत्र की, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम तथा वन संरक्षण अधिनियम के तहत सुरक्षा करने की आवश्यकता है।
पीठ ने कहा, ‘वन संरक्षण अधिनियम के तहत कानूनी रूप से वनों की सुरक्षा आती है और बिना कानूनी अनुमति के जंगल के क्षेत्र में किसी भी गैर-वनीय गतिविधि की अनुमति नहीं है, ऐसे में यह अनुमान लगाने का कोई कारण नहीं है कि उक्त आदेश को नजरअंदाज किया जा सकता है। संबंधित प्राधिकार को इसके पहलुओं पर ध्यान देने और कानून के तहत आगे की कार्रवाई करने दें।”
अधिकरण पंजाब निवासी कपिल देव द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। अर्जी में जंगल वाले इलाके और सतलुज के डूब क्षेत्र में आधुनिक औद्योगिक पार्क विकसित करने संबंधी लुधियाना मास्टर प्लान में प्रस्तावित संशोधन को चुनौती देने हुए कहा गया था कि यह वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 का उल्लंघन है।
अर्जी के अनुसार, आधुनिक औद्योगिक पार्क (955.67 एकड़) डूब क्षेत्र की जमीन पर बनने वाला है जिसके आसपास पूरा वन क्षेत्र और सतलुज नदी हैं, जो संवेदनशील पारिस्थितिकी जोन हैं। आवेदन में कहा गया है, ‘‘मौजूदा मास्टर प्लान के अनुसार, वह क्षेत्र ‘नो मैन्युफैक्चरिंग जोन’ में आता है। मात्तेवाड़ा संरक्षित वन क्षेत्र को 2014-15 में बोटैनिकल और बटरफ्लाई गार्डन के रूप में विकसित किया गया है। ऐसे में, उक्त क्षेत्र में किसी भी विकास कार्य से दुर्लभ प्रजाति के पौधों को खतरा है।”